पेट्रोल टैक्स बढ़ाने पर मोदी सरकार ने रचा ऐसा मास्टरप्लान, जिसे समझकर विपक्ष भी हो जाएगा हैरान!
Fuel Price Hike India : इस साल जनवरी में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमते करीब 83 डॉलर प्रति बैरल थीं। अब तक इनमें करीब 20 डॉलर की गिरावट आ चुकी है। खास बात ये है कि खुद सरकार मान रही है उसके पास मौजूदा 45 दिनों के तेल भंडार की औसत कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल है... यानी जनवरी क कीमत से भी 8 डॉलर कम । ऐसे हालात में तेल कंपनियों को पेट्रोल डीजल की कीमतों में कटौती करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। (Fuel Price Hike India) उल्टा सोमवार को पेट्रोलियम मंत्री सामने आते हैं और 2 रुपए प्रति लीटर एक्साइज डयूटी बढ़ाने का ऐलान कर देते हैं। फिर सफाई दी जाती है कि इससे आम आदमी की जेब पर असर नहीं पड़ेगा। अब सवाल उठता है कि...जब कीमतें घट रही हैं, तो बोझ क्यों बढ़ रहा है....
एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की असली वजह क्या है?
एक्साइल डयूटी वह टैक्स है जो केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर वसूलती है। अब सवाल उठता कि मोदी सरकार ने इसे बढ़ाने का फैसला क्यों लिया...क्या सरकार एक बार फिर वहीं 10 साल पुराना मॉडल अपना रही है? आखिर इस फैसले के पीछे क्या रणनीति है? माना जा रहा है कि सरकार ने एक ऐसा धांसू प्लान तैयार किया है, जिससे राजस्व भी बढ़े और विकास की योजनाओं को रफतार मिल सके। आइए जानते हैं इसकी वजह...सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। ये इजाफा ऐसे समय में किया गया है जब इंटनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है।
इस इजाफे से केंद्रीय बजट 2025 में दी गई कर राहत के बाद संभावित कैपेक्स के लिए सरकारी रेवेन्यू बढ़ाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का संकेत दे रही है। यहां खास बात ये है कि अतिरिक्त लागत ‘आम आदमी’ को वहन नहीं करनी पड़ेगी। लेकिन उन्हें सोमवार से एलपीजी सिलेंडर के लिए 50 रुपए अधिक देने होंगे। गौरतलब है कि ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट का अभी तक भारतीयों के लिए फ्यूल की कीमतों में राहत के रूप में कंवर्ट नहीं किया गया है। हालांकि, तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती के संबंध में ‘प्रतीक्षा करें और देखें’ की बात कही है।
तेल सस्ता, टैक्स महंगा....फायदा किसे?
फरवरी में निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग के लिए व्यक्तिगत आयकर में कटौती की थी, जिससे केंद्र के डायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू अनुमानों पर असर पड़ा था। मोदी सरकार ने अप्रत्याशित करों को भी खत्म कर दिया, जिससे रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा जैसी तेल कंपनियों को बड़ी राहत मिली।
जहां तक फ्रेश एक्साइज ड्यूटी में इजाफे का सवाल है पुरी ने कहा कि अतिरिक्त 2 रुपए का शुल्क सामान्य कोष में जुड़ जाएगा, और इसका उपयोग उसी (तेल विपणन) कंपनी के एलपीजी घाटे की प्रतिपूर्ति के लिए होगा। अगर इतिहास को उठाकर देखें तो आपको कई ऐसे प्रमाण मिलेंगे कि मोदी सरकार ने अपने शासन काल के 11 सालों में भी कच्चे तेल की कम होती कीमतों का लाभ आम लोगों को नहीं दिया। यहां तक कि जब 2020 में कच्चे तेल की कीमतें इतिहास में पहली बार शून्य से नीचे गिर गई थीं, तब भी कीमतों को कम नहीं किया गया था।
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