दिग्विजय सिंह की फिसली जुबान: 'दंगा-फसाद' बयान पर BJP का सियासी वार, कांग्रेस बैकफुट पर
Digvijay Singh Statement: शाजापुर के एक मंच से निकला दिग्विजय सिंह का एक बयान मध्य प्रदेश की सियासत में आग की तरह फैल गया है। मुस्लिम समाज के सद्भावना सम्मेलन में बोलते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कह डाला है कि हिंदू-मुस्लिम को जोड़कर हमने दंगा फसाद होने में पूरी कोशिश की।" जाहिर है, वह दंगे रोकने की बात कहना चाहते थे, लेकिन जुबान की इस फिसलन ने BJP को हमले का बड़ा मौका दे दिया। खेल मंत्री विश्वास सारंग ने इसे "दिग्गी का कबूलनामा" बताकर कांग्रेस पर तीखा तंज कसा और वायरल वीडियो को X पर शेयर कर आग में घी डाल दिया। BJP इसे कांग्रेस की "दंगा फसाद की साजिश" बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे महज गलतफहमी करार दे रही है। आखिर क्या है यह पूरा विवाद, और क्यों सियासी पारा चढ़ गया? आइए, इस पॉलिटिकल ड्रामे को रोचक अंदाज में खोलते हैं, जैसे कोई सस्पेंस थ्रिलर की पटकथा!
जानिए दिग्विजय की जुबान कैसे फिसली?
दरअसल 16 अप्रैल 2025 को शाजापुर के चौबदार वाडी में मुस्लिम समाज ने सद्भावना सम्मेलन आयोजित किया। मंच पर थे कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह। BJP सरकार को घेरते हुए वह अपनी उपलब्धियाँ गिना रहे थे। 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस का जिक्र आया, और दिग्विजय बोले:
बता दें कि उनका मकसद शायद यह बताना था कि उन्होंने मध्य प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की कोशिश की। लेकिन "दंगा फसाद होने में" जैसे शब्दों ने उनके बयान को उल्टा कर दिया। यह क्लिप तुरंत वायरल हो गई, और BJP ने इसे "कांग्रेस की सच्चाई" बताकर सियासी हथियार बना लिया।
"मियां दिग्गी का दंगा कबूलनामा": BJP का ज़ोरदार पलटवार
BJP ने दिग्विजय के इस बयान को झटके से लपक लिया और इसे कांग्रेस की "दंगा फसाद की नीति" का सबूत ठहरा दिया। मध्य प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक तेवर दिखाए। उन्होंने कह दिया कि दिग्विजय ने खुद कबूल किया कि उन्होंने दंगा-फसाद करवाया।"बाबरी मस्जिद शहीद हुई" जैसे शब्द सनातन धर्म का अपमान हैं।कांग्रेस हमेशा दंगे भड़काने में माहिर रही, और यह बयान इसका पक्का सबूत है। वहीं सारंग ने X पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि सुनिए दिग्विजय सिंह का काबुलनामा! बाबरी मस्जिद शहीद होने पर दंगे हमने करवाए!" उन्होंने दिग्विजय को "मियां दिग्गी" कहकर तंज कसा और कहा कि वह "दंगा फसाद कराने के आदि" हैं।
कांग्रेस का बचाव: गलतफहमी या मजबूरी?
दिग्विजय सिंह ने इस बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक सफाई नहीं दी, जो कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह "जुबान फिसलने" की गलती थी। दिग्विजय का मकसद 1992 में मध्य प्रदेश में दंगे रोकने की अपनी भूमिका को रेखांकित करना था। उस समय, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर, उन्होंने भोपाल जैसे शहरों में सांप्रदायिक तनाव को काबू करने में मदद की थी।
कांग्रेस नेताओं ने BJP पर बयान को "तोड़-मरोड़कर" पेश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि दिग्विजय जी ने दंगे रोकने की बात की थी। BJP के पास कोई मुद्दा नहीं, इसलिए वह गलत रंग दे रही है। यह उनकी पुरानी रणनीति है। लेकिन दिग्विजय की चुप्पी और वीडियो की वायरल प्रकृति ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया। पार्टी कार्यकर्ता डर रहे हैं कि यह बयान मध्य प्रदेश में उनकी सियासी जमीन को और कमजोर कर सकता है।
BJP को क्यों मिला बड़ा हथियार?
दिग्विजय सिंह का यह बयान BJP के लिए सियासी सोने की तरह है, खासकर मध्य प्रदेश में, जहाँ 2023 के विधानसभा चुनावों में BJP ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी थी। इस बयान के कई सियासी निहितार्थ हैं:
हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण: "बाबरी मस्जिद शहीद हुई" जैसे शब्दों को BJP सनातन धर्म के खिलाफ बता रही है, जिससे हिंदू वोटरों को एकजुट करने की कोशिश हो रही है।
कांग्रेस की छवि पर हमला: BJP इसे "कांग्रेस की दंगा फसाद की साजिश" बताकर उसकी धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुँचाने की रणनीति पर है।
2025 चुनावों की जमीन: दिल्ली और बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों में BJP इस बयान को कांग्रेस के खिलाफ बड़ा हथियार बना सकती है।
दिग्विजय के पुराने बयान भी मचा चुके हैं बबाल
दिग्विजय सिंह की बेबाकी उन्हें कांग्रेस में एक अलग पहचान देती है, लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी भी बनती है। उनके कुछ पुराने बयान, जो विवादों का कारण बने:
- 2011: "भगवा आतंकवाद" शब्द का इस्तेमाल, जिसके लिए BJP ने उन्हें हिंदू विरोधी ठहराया।
- 2019: पुलवामा हमले पर सवाल उठाए, जिसे BJP ने "राष्ट्रविरोधी" करार दिया।
- 2023: राम मंदिर निर्माण पर टिप्पणी, जिसके बाद कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी।
इस बार का बयान इसलिए खतरनाक है, क्योंकि मध्य प्रदेश में BJP की सरकार मजबूत है, और शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं की जमीनी पकड़ कांग्रेस को पहले ही कमजोर कर चुकी है। यह बयान स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की रणनीति को और मुश्किल में डाल सकता है।
सियासत में क्या है जुबान की कीमत?
दिग्विजय सिंह की फिसली जुबान ने मध्य प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। एक तरफ BJP इसे "कांग्रेस का दंगा फसाद का असली चेहरा" बता रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस इसे "जुबान की गलती" कहकर बचाव में उतरी है। लेकिन वीडियो की वायरल ताकत और दिग्विजय की चुप्पी ने BJP को ऊपरी हाथ दे दिया। सवाल यह है—क्या यह महज एक गलती थी, या कांग्रेस के लिए नया सियासी संकट? क्या BJP इस बयान को 2025 के चुनावों में बड़ा हथियार बनाएगी, या कांग्रेस इसे दबाने में कामयाब होगी? जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन तब तक यह सियासी जंग X से लेकर मध्य प्रदेश की गलियों तक छाई रहेगी। दिग्विजय की यह "गलती" कांग्रेस को कितनी महँगी पड़ेगी, यह देखना बाकी है।
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