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अशोक बनाम रामजी की लड़ाई के चक्कर में नप गए आकाश! समझें मायावती के एक्शन के पीछे की कहानी

बसपा में मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को पद से हटाया। जानें अशोक सिद्धार्थ और रामजी गौतम की सियासी जंग की पूरी कहानी और कैसे आकाश आनंद बने इसके बीच का पेंच।
07:14 PM Mar 03, 2025 IST | Girijansh Gopalan

बसपा का सियासी संकट अब और गहरा गया है। पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया है। यह फैसला रविवार को हुई पार्टी की बैठक में लिया गया। आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था और उन्हें मायावती का उत्तराधिकारी भी माना जा रहा था। लेकिन अब उनकी जगह मायावती के भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है।

अशोक सिद्धार्थ और रामजी गौतम की सियासी जंग

इस पूरे मामले में दो नाम सामने आ रहे हैं – अशोक सिद्धार्थ और रामजी गौतम। अशोक सिद्धार्थ आकाश आनंद के ससुर हैं और बसपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं। वहीं, रामजी गौतम को मायावती ने अब पार्टी में नंबर दो की पोजिशन दे दी है। दोनों के बीच की सियासी जंग ने आकाश आनंद को बीच का पेंच बना दिया।मायावती ने आकाश आनंद को पद से हटाने के पीछे अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को दो गुटों में बांट दिया था और आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को बर्बाद करने की कोशिश की। वहीं, रामजी गौतम ने इस मौके का फायदा उठाकर खुद को मायावती का करीबी बना लिया।

आकाश आनंद का सियासी सफर

आकाश आनंद को मायावती ने पार्टी में आने के बाद से ही खास मौके दिए थे। उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया और कई चुनावों में अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं। 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में आकाश आनंद को बसपा का स्टार प्रचारक बनाया गया था। उन्होंने मध्य प्रदेश और राजस्थान में पदयात्राएं निकालीं और पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर काम किया। लेकिन 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों के दौरान आकाश आनंद और रामजी गौतम के बीच मतभेद शुरू हो गए। टिकट वितरण को लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ गया। आकाश आनंद चाहते थे कि पार्टी के जमीनी नेताओं को टिकट दिया जाए, लेकिन रामजी गौतम ने इसका विरोध किया।

अशोक सिद्धार्थ का रोल

अशोक सिद्धार्थ बसपा के वरिष्ठ नेता हैं और आकाश आनंद के ससुर भी। उन्होंने आकाश को पार्टी में स्थापित करने के लिए रामजी गौतम का सहारा लिया था। लेकिन रामजी गौतम की महत्वाकांक्षाएं भी कम नहीं थीं। जब अशोक सिद्धार्थ का राज्यसभा कार्यकाल खत्म हुआ, तो मायावती ने उनकी जगह रामजी गौतम को भेजा। इसके बाद दोनों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया।

अशोक सिद्धार्थ ने आकाश आनंद के जरिए पार्टी में अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन मायावती को यह पसंद नहीं आया। अशोक सिद्धार्थ ने अपने बेटे की शादी में बसपा के कुछ नेताओं को बुलाया, जिसे मायावती ने शक्ति प्रदर्शन माना। इसके बाद मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

रामजी गौतम का उदय

रामजी गौतम ने इस पूरे मामले में अपनी सियासी चाल चली। उन्होंने अशोक सिद्धार्थ की कमियों को उजागर करके मायावती का भरोसा जीत लिया। मायावती ने रामजी गौतम को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया और उन्हें देशभर में पार्टी की प्रगति की रिपोर्ट लेने की जिम्मेदारी सौंपी। रामजी गौतम अब बसपा में नंबर दो की पोजिशन पर हैं। उन्हें मायावती का पूरा भरोसा हासिल है और वे पार्टी को मजबूत बनाने के लिए देशभर की यात्राएं करेंगे।

मायावती का एक्शन

मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पद से हटाने के पीछे कई कारण बताए हैं। उनका कहना है कि अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी को दो गुटों में बांट दिया था और आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को बर्बाद करने की कोशिश की। मायावती ने कहा कि कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए ही यह फैसला लिया गया है।
मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया है। आनंद कुमार दिल्ली में रहकर पार्टी के कागजी काम देखेंगे, जबकि रामजी गौतम देशभर में पार्टी की प्रगति की रिपोर्ट लेंगे।

क्या होगा आकाश आनंद का अगला कदम?

आकाश आनंद अब पार्टी के सभी पदों से हट चुके हैं। उनके सामने अब दो रास्ते हैं – या तो वे पार्टी में वापसी की कोशिश करें या फिर अलग रास्ता चुनें। आकाश आनंद ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि वे जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। बसपा में मायावती का यह फैसला पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े करता है। आकाश आनंद के हटने के बाद अब रामजी गौतम और आनंद कुमार पार्टी की कमान संभालेंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फैसला बसपा को मजबूत करेगा या फिर पार्टी को और कमजोर कर देगा?

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