'लोगों को सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है': BJP नेता प्रहलाद पटेल, कांग्रेस ने किया पलटवार
मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता प्रहलाद पटेल का एक बयान सुर्खियों में है। राजगढ़ जिले के सुठालिया में वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लोगों को सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है। उनके इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
प्रहलाद पटेल ने क्या कहा?
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रहलाद पटेल ने कहा, "अब तो लोगों को सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है। नेता आते हैं, एक टोकरी में कागज मिलते हैं। मंच पर माला पहनाएंगे और एक पत्र पकड़ा देंगे। यह अच्छी आदत नहीं है। लेने की बजाय देने का मानस बनाएं। मैं दावे से कहता हूं, आप सुखी होंगे और एक संस्कारवान समाज को खड़ा करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "भिखारियों की फौज इकट्ठी करना, समाज को मजबूत करना नहीं है। समाज को कमजोर करना है। मुफ्त की चीजों के प्रति जितना आकर्षण रखते हैं, यह वीरांगनाओं का सम्मान नहीं है। किसी शहीद का सम्मान तब है, जब हम उसके चरित्र के साथ जीने की कोशिश करें।"
'जनता भिखारी नहीं' – विपक्ष का हमला
प्रहलाद पटेल के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा, "प्रदेशवासियों, भाजपा का अहंकार अब जनता को भिखारी भी कह रहा है! यह दुख में डूबे लोगों की उम्मीद और आंसुओं का भी अपमान है। ये चुनाव में झूठे वादे करते हैं और फिर मुकर जाते हैं। जनता जब इन्हें वादों की याद दिलाती है, तो उसे भिखारी कहने से भी नहीं चूकते। अच्छी तरह से याद रखना, भाजपा के ऐसे कई चेहरे कुछ समय बाद, फिर आपकी चौखट पर वोटों की भीख मांगने आएंगे।
वहीं विपक्ष के नेता जीतू पटवारी ने X पर पोस्ट कर लिखा है कि प्रदेशवासियों, BJP का अहंकार अब जनता को भिखारी भी कह रहा है! यह दुख में डूबे लोगों की उम्मीद और आंसुओं का भी अपमान है। ये चुनाव में झूठे वादे करते हैं और फिर मुकर जाते है। जनता जब इन्हें वादों की याद दिलाती है, तो उस भिखारी कहने से भी नहीं चूकते। अच्छी तरह से याद रखना, BJP के ऐसे कई चेहरे कुछ समय बाद, फिर आपकी चौखट पर वोटों की भीख मांगने आएंगे।
इस बयान के सामाजिक मायने
प्रहलाद पटेल का यह बयान समाज और राजनीति दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है। उनके इस बयान से यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी योजनाओं और मुफ्त सुविधाओं को लोगों की मांगों को भीख कहना उचित है? यह बयान गरीब और जरूरतमंद लोगों के प्रति सरकार के रवैये को लेकर भी सवाल खड़े करता है।
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