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Bihar Chunav 2025: अब नहीं चलेगा 'सुपर 30' का जादू, कांग्रेस मांगेगी जीत की गारंटी वाली सीटें

कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि पिछली बार राजद ने उन्हें ऐसी 30 सीटें थमा दी थीं, जहां से कांग्रेस की जीत की संभावना बेहद कम थी। ये सीटें पारंपरिक रूप से NDA के प्रभाव क्षेत्र में आती थीं।
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Bihar Chunav 2025: बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है, और इस बार कांग्रेस अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेकर मैदान में उतरने की तैयारी में है। पिछली बार जिस तरह से लालू यादव के 'सुपर 30' प्लान में कांग्रेस फंस गई थी, अब वो वैसी गलती दोहराने के मूड में बिल्कुल नहीं है। कांग्रेस अब हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है और इस बार चुनावी बिसात पर सिर्फ उन्हीं सीटों की मांग करेगी, जहां जीत की संभावनाएं ज्यादा हों।

दिल्ली में बैठा सियासी दरबार, तेजस्वी और राहुल आमने-सामने

दिल्ली में हाल ही में एक अहम बैठक हुई जिसमें राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। बैठक का मुख्य एजेंडा था—महागठबंधन में सीटों का बंटवारा। इस बार समीकरण पहले से कहीं ज्यादा उलझे हुए हैं क्योंकि गठबंधन में अब मुकेश सहनी और पशुपति पारस जैसे नए चेहरे भी शामिल हो सकते हैं।

क्या था लालू यादव का 'सुपर 30' गेम?

कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि पिछली बार राजद ने उन्हें ऐसी 30 सीटें थमा दी थीं, जहां से कांग्रेस की जीत की संभावना बेहद कम थी। ये सीटें पारंपरिक रूप से NDA के प्रभाव क्षेत्र में आती थीं। नतीजा ये रहा कि कांग्रेस को न तो राजद का कोई सपोर्ट मिला और न ही सीटों पर कुछ खास कर पाई। अब पार्टी साफ तौर पर कह रही है—सीटें वही चाहिए जहां हम जीत सकें, वरना गठबंधन (Bihar Chunav 2025) का मतलब ही नहीं।

Lalu Yadav Tejasvi Yadav Tejpratap Yadav

तेजस्वी की अग्निपरीक्षा: अब बिना लालू करेंगे डील

पहली बार ऐसा हो रहा है जब तेजस्वी यादव बिना लालू प्रसाद यादव के सीधे कांग्रेस के बड़े नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। ये उनके लिए भी एक बड़ी राजनीतिक परीक्षा है। क्या वो अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे या फिर कांग्रेस के नए तेवरों के सामने झुकना पड़ेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।

कांग्रेस का पिछला प्रदर्शन: संख्या ज्यादा, नतीजा कम

2015 में कांग्रेस को 41 सीटें मिली थीं और उसने 27 पर जीत हासिल की थी। लेकिन 2020 में सीटें बढ़कर 70 हो गईं, पर जीत सिर्फ 19 पर ही हो पाई। इसकी बड़ी वजह वही 'सुपर 30' रही—ऐसी सीटें जहां कांग्रेस की जमीन पहले से कमजोर थी। इस बार कांग्रेस चाहती है कि उसे ऐसी सीटें दी जाएं जहां उसकी पकड़ मजबूत हो, और जीत की संभावना भी।

तीन दशकों पुराना रिश्ता, लेकिन अब समीकरण बदल रहे हैं

राजद और कांग्रेस का चुनावी (Bihar Chunav 2025) गठबंधन कोई नया नहीं है, ये रिश्ता करीब 30 साल पुराना है। राबड़ी देवी की सरकार से लेकर संसद तक, कांग्रेस ने राजद का साथ दिया। लेकिन हर चुनाव में ये साथ एकसमान नहीं रहा। कभी साथ लड़े, कभी अलग-अलग। इस बार भी कांग्रेस पूरी तरह स्पष्ट है—सिर्फ साथ रहने से काम नहीं चलेगा, अगर सीटें जीतने लायक नहीं हुईं तो गठबंधन का फायदा NDA को मिल जाएगा।

Rahul Gandhi Priyanka Gandhi

नया दौर, नई सोच: कांग्रेस अब नहीं बनेगी 'बैकबेंचर'

कांग्रेस अब बिहार चुनाव (Bihar Chunav 2025) में सिर्फ नाम के लिए नहीं बल्कि दमदारी से मैदान में उतरना चाहती है। पार्टी को पता है कि अगर इस बार फिर से गलत सीटें मिलीं, तो न केवल हार का सामना करना पड़ेगा बल्कि पार्टी का प्रदेश में अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा। इसलिए अब रणनीति बिल्कुल साफ है—सही सीट, सही कैंडिडेट और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ना।

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