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बिहार चुनाव में NDA के लिए आठवले का मास्टर प्लान! बोले...विपक्ष लाख कोशिश कर ले, खेल हमारा होगा!

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक दलों ने...
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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है और बैठकों का दौर जोरों पर है। ऐसे में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले के ताज़ा बयान ने चुनावी समीकरणों को और दिलचस्प बना दिया है।

शनिवार को आठवले ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को समर्थन देगी। (Bihar Assembly Elections 2025) इसके साथ ही उन्होंने वक्फ बिल और आरक्षण के मुद्दे पर भी अपनी राय रखते हुए स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इन विषयों पर एक ठोस और पारदर्शी नीति का समर्थन करती है। आठवले के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं।

‘RPI बिहार में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी’

रामदास आठवले ने कहा कि वह बिहार के चुनावी माहौल का जायजा लेने के लिए आए हैं। उनका कहना है कि उनकी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) बिहार में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी और पूरी तरह से एनडीए का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा..."मैं तीन दिन के दौरे पर बिहार आया हूं और चुनाव को लेकर अपने कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहा हूं। मैं उन्हें निर्देश दूंगा कि हमारी पार्टी यहां एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी और पूरी मजबूती से एनडीए के साथ रहेगी।"

नीतीश कुमार को दिया भरोसा...

आठवले ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भरोसा दिया है कि उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी और बिहार में एनडीए की सरकार बनने के लिए हरसंभव योगदान देगी। आठवले ने आगे कहा कि वह बिहार में एनडीए के लिए प्रचार करने भी आएंगे और उनके कार्यकर्ता चुनावी माहौल को एनडीए के पक्ष में बनाने का काम करेंगे।

"आज मैंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आश्वस्त किया है कि मेरी पार्टी एनडीए का हिस्सा रहेगी और बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी। मैं खुद एनडीए के पक्ष में चुनावी प्रचार करने बिहार आऊंगा।"

आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग

रामदास आठवले ने बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़े वर्गों के लिए 65% आरक्षण को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस पर फैसला लेने से पहले एक एक्सपर्ट कमेटी की राय लेगी।


"आरक्षण का मुद्दा मेरे मंत्रालय के अधीन आता है। एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डालने से पहले हमें विशेषज्ञों से राय लेनी होगी। लेकिन मैं यह आश्वासन देता हूं कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखती है और इस पर गंभीरता से विचार करेगी।"

 ‘यह आम मुसलमानों के खिलाफ नहीं है’

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर हो रही राजनीति पर प्रतिक्रिया देते हुए आठवले ने कहा कि इस विधेयक पर अनावश्यक राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने साफ किया कि यह विधेयक आम मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जो वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा किए बैठे हैं। "वक्फ संशोधन विधेयक आम मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। यह उन लोगों के खिलाफ है, जो वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इस विधेयक के पारित होने से वक्फ की संपत्तियों पर आम मुसलमानों का हक मजबूत होगा। मैं सभी मुसलमानों से अनुरोध करता हूं कि वे इस विधेयक का समर्थन करें।"

NDA के लिए दलित और पिछड़े वोटों की...

रामदास आठवले का बिहार में एनडीए को समर्थन देने का ऐलान भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है। बिहार में दलित और पिछड़े वर्गों का बड़ा वोट बैंक है और आठवले की पार्टी का प्रभाव खासतौर पर महार दलित समुदाय पर ज्यादा देखा जाता है। अगर RPI पूरी तरह से NDA के समर्थन में रहती है, तो भाजपा-जदयू गठबंधन को दलित वोटों की गोलबंदी में मदद मिल सकती है।

2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण को मजबूत करना बेहद जरूरी है। आठवले का समर्थन एनडीए के लिए दलित और बहुजन वोट बैंक को साधने में मदद कर सकता है।

बिहार में राजनीतिक समीकरण कैसे बदलेंगे?

रामदास आठवले के इस ऐलान के बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण और दिलचस्प हो गए हैं। एनडीए जहां अपने सहयोगियों को एकजुट करने में जुटा है, वहीं विपक्षी महागठबंधन भी दलित-पिछड़े वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में है।

बिहार में चुनावी माहौल गरमाने लगा है, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आठवले के इस ऐलान से एनडीए को कोई बड़ा फायदा मिलता है या नहीं।

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