औरंगजेब से लेकर बाबर और राणा सांगा तक, सपा और BJP-RSS में क्यों ठन गई?
Aurangzeb Controversy: देश की सियासत में एक बार फिर मुगल बादशाहों का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। "छावा" फिल्म की रिलीज के बाद औरंगजेब पर शुरू हुई बहस अब बाबर और राणा सांगा तक आ पहुंची है। समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच पहले से ही जुबानी जंग छिड़ी है, जिसमें अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी कूद पड़ा है। दअरसल अब यह सिर्फ इतिहास की बहस नहीं, बल्कि वोटों की सियासत और संस्कृति की लड़ाई का मैदान बन गया है। आइए, इस सियासी तूफान के पीछे की कहानी को रोचक अंदाज में समझने का प्रयास करते हैं।
"छावा" के रिलीज़ होने के बाद से छिड़ी औरंग पर बहस
14 फरवरी 2025 को विक्की कौशल की फिल्म "छावा" रिलीज हुई, जो छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता की गाथा दिखाती है। फिल्म में औरंगजेब को खलनायक के तौर पर पेश किया गया और बस यहीं से सियासी आग भड़क उठी। सपा के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब का बचाव करते हुए कहा, "वह क्रूर शासक नहीं था, उसने मंदिर भी बनवाए।" यह बयान BJP के लिए लाल रंग का कपड़ा साबित हुआ। BJP नेताओं ने आजमी की जमकर खिंचाई की, और महाराष्ट्र विधानसभा ने उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी भी औरंगजेब की तारीफ में कूदे, जिससे मामला और गरमा गया।
औरंगजेब से लेकर बात पहुंची राणा सांगा तक
बता दें कि औरंग पर छिड़ा विवाद यहीं नहीं रुका। दरअसल सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में BJP पर हमला बोलते हुए कहा कि"आप मुसलमानों को बाबर की औलाद कहते हो, तो बाबर को लाया कौन? राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को बुलाया था। अगर मुसलमान बाबर के वंशज हैं, तो आप गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।
यह बयान BJP और RSS के लिए बम की तरह फटा। बता दें कि इतिहास में राणा सांगा को वीर योद्धा माना जाता है, जिन्होंने बाबर से खानवा की लड़ाई (1527) लड़ी थी। सुमन का यह तंज BJP को नागवार गुजरा। जिसपर राजस्थान की डिप्टी CM दिया कुमारी ने कहा कि "इन्हें इतिहास की समझ नहीं। राणा सांगा ने मेवाड़ के लिए वह सब कुछ किया है जो उन्हें करना चाहिए था।
सपा का बचाव, BJP पर किया पलटवार
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने सांसद का बचाव करते हुए कह दिया कि "BJP औरंगजेब पर बहस शुरू करती है, तो हम भी इतिहास के पन्ने पलटेंगे। छत्रपति शिवाजी का तिलक पैर के अंगूठे से हुआ था—क्या BJP इसके लिए माफी मांगेगी?" अखिलेश का इशारा उन पुरानी कथाओं की ओर था, जो विवादास्पद हैं और जिनका इतिहासकारों में भी एकमत नहीं। उनका कहना था कि BJP इतिहास को कुरेद रही है, तो उसे हर सच का सामना करना होगा।
#WATCH | Lucknow, UP: On Samajwadi Party MP Ramji Lal Suman's statement, SP Chief Akhilesh Yadav says, "Ramji Lal Suman said what he said because everyone is turning the pages of history... The leaders of BJP want to debate about Aurangzeb. So, Ramji Lal Suman also turned a page… pic.twitter.com/rY9i3SQkGB
— ANI (@ANI) March 23, 2025
RSS ने खेला दारा शिकोह कार्ड
RSS के महासचिव दत्तात्रेय हसबोले ने इस बहस में नया मोड़ लाते हुए कहा, "औरंगजेब को हीरो क्यों बनाएं? उसके भाई दारा शिकोह भारतीय परंपराओं के साथ थे। गंगा-जमुनी तहजीब की बात करने वाले दारा को क्यों भूल गए?" हसबोले ने औरंगजेब को संस्कृति के खिलाफ बताते हुए महाराणा प्रताप की लड़ाई को आजादी का संघर्ष करार दिया। उनका तर्क था कि देश को उन नायकों की जरूरत है, जो इसकी जमीन और परंपराओं से जुड़े हों, न कि आक्रमणकारी मानसिकता वालों की।
#WATCH | Bengaluru, Karnata | General Secretary of RSS, Dattatreya Hosabale, says, "... There have been a lot of incidents in the past. There was an 'Aurangzeb Road' in Delhi, which was renamed Abdul Kalam Road. There was some reason behind it. Aurangzeb's brother, Dara Shikoh,… pic.twitter.com/hHAXzyCZGS
— ANI (@ANI) March 23, 2025
क्यों ठन रही है यह जंग?
यह बहस सिर्फ औरंगजेब, बाबर या राणा सांगा तक सीमित नहीं। इसके पीछे सियासी मकसद और वोटों का खेल है। BJP और RSS हिंदुत्व की विचारधारा के तहत मुगलों को आक्रमणकारी बताकर अपनी राष्ट्रवादी छवि मजबूत करना चाहते हैं। वहीं, सपा मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए औरंगजेब जैसे शासकों के "सकारात्मक पहलुओं" को उभार रही है। राणा सांगा को "गद्दार" कहना BJP के राजपूत समर्थकों को भड़काने की रणनीति भी हो सकती है। दूसरी ओर, BJP इतिहास को अपने नजरिए से पेश कर विपक्ष को कठघरे में खड़ा करना चाहती है।
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