स्टालिन को चुनौती देते हुए बोले अन्नामलाई, “यूपी जाग गया तो दक्षिण की छुट्टी तय!”
देश की राजनीति में एक बार फिर उत्तर बनाम दक्षिण की बहस तेज हो गई है। इस बार मोर्चे पर हैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और बीजेपी के नेता के. अन्नामलाई। मामला है भाषा नीति, जनसंख्या आधारित परिसीमन और यूपी पर तंज कसने का। लेकिन अन्नामलाई ने स्टालिन को करारा जवाब देकर पूरे मुद्दे की दिशा ही बदल दी।
उत्तर बनाम दक्षिण की जंग को बढ़ा रहे हैं स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन इन दिनों खासे मुखर हैं। उनका कहना है कि अगर लोकसभा की सीटों का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर हुआ तो दक्षिण के राज्यों का संसद में वर्चस्व घटेगा। इसके पीछे उनका डर है कि उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश, ज्यादा सीटें ले जाएगा और दक्षिण की राजनीतिक पकड़ कमजोर हो जाएगी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि दक्षिण को “दंडित” किया जा रहा है क्योंकि उसने जनसंख्या नियंत्रण किया।
अन्नामलाई का तीखा पलटवार – "यूपी जाग गया तो दक्षिण की नींद उड़ जाएगी!"
बीजेपी नेता के. अन्नामलाई ने स्टालिन के इस तर्क पर जोरदार प्रहार किया। उन्होंने बताया कि यूपी और हिंदी भाषी राज्यों को लेकर तमिलनाडु में एक ‘दिमागी दुराग्रह’ है। अन्नामलाई बोले, “सच्चाई ये है कि जब से केंद्र में बीजेपी सरकार आई है, दक्षिण को मिलने वाला आर्थिक सहयोग और फंड पहले से ज्यादा बढ़ा है। अब तो तमिलनाडु को चाहिए कि वो यूपी से सीख ले।”
तमिलनाडु की इंडस्ट्री यूपी के मजदूरों से चल रही है
अन्नामलाई ने साफ कहा कि तमिलनाडु की फैक्ट्रियां यूपी और बिहार के मजदूरों के भरोसे हैं। “25 लाख से ज्यादा यूपी के रजिस्टर्ड मजदूर तमिलनाडु में काम कर रहे हैं, और अनऑफिशियल आंकड़ा 40 लाख तक पहुंचता है। सोचिए, अगर योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार कह दें कि अपने मजदूरों को वापस बुला लेंगे, तो तमिलनाडु क्या कर पाएगा?”
निवेश में सबसे आगे है उत्तर प्रदेश
अन्नामलाई ने यूपी की तरक्की के आंकड़े भी सामने रखे। उन्होंने कहा, “2022 और 2023 में भारत में सबसे ज्यादा निवेश उत्तर प्रदेश में आया है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड जैसे पिछड़े कहे जाने वाले इलाकों में 9 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ। अब तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य यूपी से पीछे हैं।” उत्तर प्रदेश अब देश की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्द ही दूसरे स्थान पर पहुंचने की ओर है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भी यूपी ने लंबी छलांग लगाई है – 14वें स्थान से सीधे दूसरे स्थान पर।
केंद्र के फॉर्मूले का बताया सही विश्लेषण
अन्नामलाई ने कहा कि पहले राज्यों को मिलने वाले केंद्र सरकार के फंड में 60% वेटेज जनसंख्या का होता था, लेकिन आज वो घटकर सिर्फ 15% रह गया है। यानी अब दक्षिण को जनसंख्या की वजह से नुकसान नहीं हो रहा बल्कि आर्थिक प्रदर्शन, पर्यावरण, निवेश और शासन की गुणवत्ता जैसे पैमानों पर फंड मिलता है। और इनमें कई मामलों में उत्तर भारत, खासकर यूपी, अब आगे है।
हिंदी विरोध या हकीकत से भागना?
स्टालिन के उस बयान पर भी सवाल उठते हैं जिसमें उन्होंने हिंदी को "गरीबों की भाषा" बताया। अन्नामलाई ने पलटकर पूछा – “अगर हिंदी पिछड़ों की भाषा है, तो अंग्रेज़ी को इतना सम्मान क्यों मिलता, जब वो भी विदेशी भाषा है?” तमिलनाडु का यह भाषाई अहंकार अब खुद उसे ही पीछे खींच रहा है। इस पूरे मामले पर अन्नामलाई का संदेश साफ है – आज यूपी आगे बढ़ रहा है, निवेश ला रहा है, रोजगार पैदा कर रहा है। अगर दक्षिण भारत को अपनी जगह बचाए रखनी है, तो उसे क्षेत्रीय अहम से ऊपर उठकर भारत को एक इकाई की तरह देखना होगा।
यह भी पढ़ें:
परिसीमन पर दक्षिणी राज्यों का मंथन: जानें चेन्नई में क्या हुआ, किसने क्या कहा?
PM Modi In Tamilnadu: कम से कम साइन तो तमिल में करो, पीएम मोदी ने किस पर कसा तंज?
पीएम मोदी ने बाबा साहेब को किया नमन, बोले- उनके आदर्शों पर चलकर बनाएंगे विकसित भारत