अमित शाह क्यों कहे जाते हैं भाजपा के चुनावी चाणक्य? बिहार में 2 दिन रहकर कर डाला धमाका, जानिए इनसाइड स्टोरी
Amit Shah Bihar tour: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बिहार दौरा ऐसा रहा कि दो दिन में सबके होश उड़ गए है। BJP के इस 'चुनावी चाणक्य' ने पटना में आते ही सियासी हलचल मचा दी। RJD को डर था कि उनका साथी मुकेश सहनी कहीं NDA के पाले में न चला जाए, तो JDU नीतीश कुमार की कुर्सी को लेकर टेंशन में थी। शाह ने नीतीश को CM चेहरा बताकर सबको राहत दी, लेकिन उनकी चाल में कुछ छिपा भी है। आखिर क्यों कहलाते हैं वो चाणक्य और बिहार में क्या गुल खिलाने वाले हैं? चलिए, इसे आसान और मजेदार तरीके से समझते हैं।
शाह की चाणक्य वाली छवि का राज
अमित शाह को BJP का चाणक्य इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनकी रणनीति गजब की है। 2014 से उनकी मेहनत ने BJP को यूपी, नॉर्थ-ईस्ट और कई राज्यों में सत्ता दिलाई। 2015 में बिहार NDA से फिसल गया था, लेकिन शाह ने 2 साल बाद नीतीश को पटा लिया और महागठबंधन का खेल खत्म कर दिया।
गुजरात में अहमद पटेल को हराने से लेकर बंगाल में ममता को चुनौती देने तक, शाह की चालें ज्यादातर हिट रही हैं। उनकी खासियत है हर कदम की बारीक प्लानिंग और विरोधियों की कमजोरी ढूंढना। बिहार में भी वो कुछ ऐसा ही जादू दिखाने आए हैं।
बिहार में कैसे सियासी भौकाल मचा गए शाह?
शाह का हालिया बिहार दौरा 2025 के चुनाव की तैयारी का ट्रेलर था। पटना में उन्होंने BJP और NDA नेताओं से मीटिंग की और नीतीश कुमार को CM चेहरा बताकर JDU को खुश कर दिया। बापू सभागार में बोले, "मोदी और नीतीश के नेतृत्व में NDA की सरकार बनाइए।" साथ ही 243 में 225 सीटें जीतने का टारगेट भी दे डाला। लेकिन सवाल छोड़ गए कि जीत के बाद CM कौन? RJD को डर सताने लगा कि कहीं VIP चीफ मुकेश सहनी उनके हाथ से न निकल जाएं, जिन्हें हाल ही में Y सिक्योरिटी मिली थी। शाह का ये दौरा साफ बता रहा है कि वो बिहार को हल्के में नहीं ले रहे।
यूपी से बिहार तक शाह का करिश्मा
शाह की चाणक्यगिरी सबसे पहले यूपी में चमकी। 2014 में बतौर प्रभारी उन्होंने बूथ लेवल पर संगठन मजबूत किया और BJP को 80 में 71 सीटें दिलाईं। 2017 में योगी को CM बनवाया और 2022 में फिर यूपी फतह की। गुजरात में भी उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज अहमद पटेल को हराने के लिए बगावत करवाई, विधायकों को कर्नाटक भेजा और फिर केंद्रीय एजेंसियों की एंट्री करा दी। बिहार में भी वो ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं। नीतीश को आगे रखकर वोट जुटाना और बाद में अपनी शर्तें मनवाना, शाह का स्टाइल यही है।
RJD और JDU की बेचैनी
शाह के आने से महागठबंधन में खलबली मच गई। RJD को लग रहा है कि मुकेश सहनी NDA की तरफ खिसक सकते हैं, खासकर Y सिक्योरिटी मिलने के बाद। दूसरी तरफ, JDU को नीतीश की सेहत और कुर्सी की चिंता थी। शाह ने नीतीश को CM चेहरा बताकर तनाव कम किया, लेकिन पूरी तरह साफ नहीं किया कि जीत के बाद क्या होगा।
महाराष्ट्र की तरह, जहां एकनाथ शिंदे को पहले चेहरा बनाया और बाद में डिप्टी CM कर दिया गया, बिहार में भी ऐसा ट्विस्ट हो सकता है। शाह की चुप्पी ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
बिहार में डेरा डालने की तैयारी
शाह ने ऐलान किया है कि वो बिहार में डेरा डालेंगे। यानी चुनाव तक उनकी नजर बिहार पर टिकी रहेगी। उनकी प्लानिंग में तीन चीजें साफ हैं - विपक्ष में सेंधमारी, सहयोगियों को अपनी शर्तों पर राजी करना और जीत के बाद गेम बदलना। हाल की ED छापेमारी, जिसमें नीतीश के करीबियों के घर से करोड़ों मिले, को भी दबाव की रणनीति माना जा रहा है। शाह प्री-पोल और पोस्ट-पोल दोनों के मास्टर हैं। जम्मू-कश्मीर में PDP से गठजोड़ हो या महाराष्ट्र में शिंदे को मनाना, शाह हर बार बाजी मार ले जाते हैं। बंगाल में ममता से हार उनकी इक्का-दुक्का नाकामी है, लेकिन बिहार में वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
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