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पहलगाम हमले के बाद बीजेपी में सियासी भूचाल, नए अध्यक्ष का ऐलान हुआ, सबको हैरान कर दिया!

बीजेपी में पहलगाम आतंकी हमले के बाद बदलाव की लहर, नए अध्यक्ष के नाम ने सभी को चौंका दिया
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Pahalgam Terror Attack: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक बार फिर टाल दिया गया है। पार्टी की शीर्ष इकाई ने हाल ही में इस पर बड़ा फैसला लिया है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा अब कुछ समय के लिए और इस जिम्मेदारी को संभालते रहेंगे। आइए जानते हैं क्यों टला चुनाव और आगे क्या हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बीजेपी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को फिलहाल टालने का निर्णय लिया है। (Pahalgam Terror Attack)देश की सुरक्षा को देखते हुए पार्टी फिलहाल इस मुद्दे को सुलझाने में पूरा ध्यान लगाना चाहती है। केंद्र में एनडीए सरकार की अगुवाई कर रही बीजेपी इस समय आतंकवाद से निपटने के लिए गंभीरता से काम कर रही है। ऐसे में संगठनात्मक बदलाव को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है।

पहलगाम आतंकी हमला मुद्दा को सुलझाने में जुटी BJP

हालांकि पहले खबर सामने आई थी कि पार्टी को मई महीने में नया अध्यक्ष मिल सकता है, लेकिन अब इसे टाल दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पैदा हुई तनाव की परिस्थितियों में बीजेपी ने चुनाव को टालने का फैसला लिया है, क्योंकि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सरकार है और पार्टी इस मुद्दे को अच्छे से सुलझाने की कोशिश कर रही है।

नड्डा का कार्यकाल पहले भी बढ़ चुका है..

जेपी नड्डा जनवरी 2020 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। 2019 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। उनका कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त होना था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इसे बढ़ाकर जून 2024 तक कर दिया गया था। अब एक बार फिर हालात को देखते हुए उनका कार्यकाल अनिश्चितकाल तक बढ़ा दिया गया है, जब तक नया अध्यक्ष नहीं चुना जाता।

चर्चाओं में नए नाम, लेकिन फैसला बाकी

पिछले कुछ महीनों से पार्टी गलियारों में नए अध्यक्ष के नामों को लेकर खूब चर्चाएं थीं। कई दिग्गजों के नाम सामने आए लेकिन अब जब चुनाव टाल दिया गया है, तो अगले अध्यक्ष के नाम पर मुहर कब लगेगी, इस पर सस्पेंस बना रहेगा। वैसे बीजेपी के इतिहास को देखें तो अब तक सभी अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए हैं। यानी पार्टी के अंदर आम सहमति से ही नेतृत्व बदलता है - और इसमें आरएसएस की सलाह भी अहम मानी जाती है, भले ही आधिकारिक तौर पर इसका ज़िक्र न होता हो। संक्षेप में कहें तो, बीजेपी ने संकट के समय संगठन में स्थिरता को प्राथमिकता दी है। और जेपी नड्डा, जिन्होंने पिछले चार साल में कई बड़े चुनावों और मुद्दों को संभाला है, पार्टी को एक बार फिर मुश्किल दौर से निकालने के लिए तैयार हैं।

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