जंग के मैदान में कौन होगा भारत के साथ, कौन पाकिस्तान के? ये रिपोर्ट हिला देगी आपको!
Pahalgam attack: पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तान सकते में है। वहां सरकार से लेकर सेना तक सब इस बात को लेकर टेंशन में हैं कि अब भारत क्या कदम उठाएगा। वहीं, ऐसे में एक सवाल जन्म लेता है कि अगर भारत पाक पर कोई कार्रवाई करता है तो कौन-कौन से देश भारत का साथ देंगे? और क्यों देंगे? भारत अपने इंटरनेशनल रिलेशंस को लेकर आश्वस्त है, उसको पता है कि इस समय बड़े से बड़े देशों से लेकर छोटे से छोटे देश भी उसी के साथ खड़े होंगे। इसके कई फैक्टर भी हैं।
पहले जान लेते हैं कि पाकिस्तान पर कार्रवाई करने की नौबत क्यों आ रही है? दरअसल मंगलवार को TRF के आतंकियों ने कश्मीर के पहलगाम में कायराना हमला किया।।(Pahalgam attack) इस दौरान इन आतंकियों ने टार्गेट किलिंग की। यानी पहले पहचान पूछी कि हिंदू हो या मुसलमान, उसके बाद बेरहमी से लोगों को मार डाला। हमले में कुल 27 लोगों को मारा दिया गया। इस घटना के समय पीएम मोदी सऊदी अरब में थे। वहीं, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर थे।
कौन-कौन से देश भारत के साथ?
इस घटना के बाद गृहमंत्री अमित शाह तुरंत कश्मीर रवाना हुए। वहां उन्होंने मौजूदा हालात को समझा। कुछ देर बाद ही पीएम मोदी भी सऊदी से डिनर छोड़कर ही रवाना हो गए। रात भर माहौल बना रहा... मानो लग रहा था कभी भी कुछ भी हो सकता है। इस दौरान कई देशों के राष्ट्राध्याक्षों ने भी एक्स पर पोस्ट कर भारत इस हमले पर दुख जताया।
इसके बाद से ही ये सवाल भी पनपने लगा कि अगर भारत पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई करता है, तो कौन-कौन से देश उसके साथ खड़े रहेंगे। वहीं इन दिनों भारत के इंटरनेशनल रिलेशंस सभी देशों से मजबूत हैं। अगर साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध को देखें तो इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कौन से देश हमारे साथ तब खड़े थे और अब और कौन-कौन से देश भारत के साथ आएंगे। े
अमेरिका
कारगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान पर सीधा दबाव डाला था कि वह LOC का उल्लंघन बंद करे और घुसपैठियों को वापस बुलाए। 4 जुलाई 1999 को वॉशिंगटन में नवाज शरीफ के साथ बैठक में अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन किया था। वर्तमान में भारत और अमेरिका के रिश्ते और भी गहरे हैं। इसलिए अगर भारत कोई सख्त कदम उठाता है, तो अमेरिका का राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन तय माना जा सकता है।
रूस
रूस ने कारगिल युद्ध के दौरान भारत की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया था। रूस और भारत का रक्षा क्षेत्र में दशकों पुराना सहयोग है। ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर एस-400 डिफेंस सिस्टम तक, भारत को कई सामरिक तकनीकें रूस से मिली हैं। मौजूदा यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत-रूस संबंध मजबूत हैं। ऐसे में अगर भारत पाकिस्तान पर कोई सैन्य या कूटनीतिक कार्रवाई करता है, तो रूस से सीधा समर्थन मिल सकता है।
फ्रांस
फ्रांस ने भी 1999 में भारत का समर्थन किया था और LOC उल्लंघन के खिलाफ बयान जारी किया था। वर्तमान में फ्रांस भारत को राफेल लड़ाकू विमान, स्कॉर्पीन सबमरीन और न्यूक्लियर एनर्जी तकनीक उपलब्ध करा रहा है। भारत-फ्रांस के बीच रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में गहरा तालमेल है। ऐसे में फ्रांस भारत के किसी भी निर्णय में कूटनीतिक समर्थन देने वाला देश होगा।
इजराइल
कारगिल युद्ध के दौरान इजराइल ने भारत को लेजर गाइडेड मिसाइल, ड्रोन्स और निगरानी उपकरण गुप्त रूप से मुहैया कराए थे। वर्तमान में भारत और इजराइल के बीच साइबर सुरक्षा, डिफेंस इनोवेशन और एंटी-टेरर ऑपरेशन्स में सहयोग चरम पर है। इजराइल न सिर्फ भारत का समर्थन करेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर तकनीकी मदद भी प्रदान कर सकता है।
ब्रिटेन
साल 1999 में ब्रिटेन ने शुरुआत में तटस्थ रुख अपनाया था लेकिन बाद में भारत का समर्थन किया। वर्तमान में भारत-ब्रिटेन संबंध व्यापार और रक्षा दोनों स्तरों पर मजबूत हैं। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की बातचीत चल रही है, ब्रिटिश सांसदों का बड़ा वर्ग भारत के पक्ष में खड़ा नजर आता है।
चीन
कारगिल युद्ध के दौरान चीन ने न्यूट्रल रुख अपनाया था। लेकिन मौजूदा दौर में भारत-चीन संबंधों में अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति की बड़ी भूमिका है। हाल ही में चीन ने राष्ट्रपति को पत्र में लिखा कि हाथी और ड्रैगन एक साथ चलेंगे तो सबसे शक्तिशाली होंगे। साथ ही, भारत के विशाल बाजार को ध्यान में रखते हुए चीन भारत के खिलाफ खुलकर खड़ा नहीं होगा। भारत का समर्थन करना चीन को आर्थिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय समर्थन दोनों दिला सकता है।
भारत अकेला नहीं
वर्तमान में भारत पाकिस्तान पर कोई ठोस सैन्य या कूटनीतिक कार्रवाई करता है, तो 1999 की तुलना में भारत का वैश्विक समर्थन कहीं ज्यादा व्यापक और मजबूत होगा। अमेरिका, फ्रांस, इजराइल और रूस जैसे देश खुलकर समर्थन देंगे, जबकि ब्रिटेन और यहां तक कि चीन भी भारत के खिलाफ नहीं जाएंगे।
अकेला पड़ सकता है पाक
कुल मिलाकर ऐसे हालात में चीन के अलावा भारत के सामने कोई भी बड़ा देश खतरा बनकर नहीं उभरता दिख रहा है। भारत के साथ पंगा लेने पर पाकिस्तान को सिर्फ चीन का ही सहारा होगा, उधर मुस्लिम देशों से भी पाकिस्तान मदद मांग सकता है, लेकिन इसके आसार काफी कम हैं कि भारत के खिलाफ कोई भी इस्लामिक देश युद्ध जैसी स्थिति पैदा करेगा। वहीं अगर चीन का साथ भी नहीं मिला तो जंग में पाकिस्तान के बलूचिस्तान से लेकर पीओके तक भारत के हिस्से में आ सकता है।
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