पाकिस्तान को सबक सिखाने को तैयार था भारत, भीख मांगकर रुका युद्ध! सीजफायर की इनसाइड स्टोरी
Operation Sindoor: भारत द्वारा हाल ही में किया गया “ऑपरेशन सिंदूर” दक्षिण एशिया के सुरक्षा संतुलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस ऑपरेशन को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में अंजाम दिया गया, जिसमें भारत ने सीमापार स्थित आतंकी ठिकानों को लक्ष्य बनाते हुए सटीक सैन्य कार्रवाई की। भारत के इस ऑपरेशन का उद्देश्य आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा संदेश देना और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए त्वरित एवं निर्णायक कदम उठाना था।
सैन्य सूत्रों के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से संबद्ध 9 आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया. हमले की प्रकृति उच्च सटीकता वाली थी, जिसमें नागरिक बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंचाए बिना केवल (Operation Sindoor) आतंकी ठिकानों को निष्क्रिय किया गया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई संभावित जवाबी कार्रवाई का पूर्वानुमान लेते हुए, भारत ने 11 रणनीतिक सैन्य ठिकानों पर सशस्त्र जवाबी प्रहार किया, जिनमें नूर खान एयरबेस जैसे उच्च महत्व के कमांड केंद्र भी शामिल थे।
पाक ने मांगी युद्धविराम की भीख
अमेरिकी सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने अमेरिका को बताया कि वह तत्काल युद्धविराम चाहता है, हालांकि भारत की ओर से साफ कर दिया गया कि किसी भी सैन्य कार्रवाई का निर्णय डीजीएमओ चैनल से ही होगा क्योंकि इस समय सेना ही पूरे अभियान का नेतृत्व कर रही है।
पाकिस्तान के महानिदेशक सैन्य संचालन (DGMO) काशिफ अब्दुल्ला ने सुबह 10:38 बजे भारत के डीजीएमओ को फोन कर कराची पोर्ट पर संभावित ब्रह्मोस मिसाइल हमले की बात कही और प्रतिघात की धमकी दी।
हालांकि, भारतीय पक्ष पूरी तरह तैयार था और किसी प्रकार के दबाव में नहीं आया। भारत की ओर से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया में संयम और आत्मविश्वास दोनों स्पष्ट नजर आए। पाकिस्तान के विदेश मंत्री और पारंपरिक सहयोगियों द्वारा बार-बार किए गए फोन कॉल्स को भारत ने अनदेखा कर दिया। भारत का साफ मानना था कि अब कोई भी रणनीतिक बातचीत सिर्फ सैन्य माध्यमों से ही होगी।
जानिए भारत ने क्यों स्वीकारा संघर्षविराम?
भारतीय रणनीतिकारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत ने संघर्षविराम को इसलिए स्वीकार किया क्योंकि मिशन के लक्ष्य पूर्ण रूप से प्राप्त हो चुके थे। पाकिस्तान की ओर से कोई और प्रभावी सैन्य प्रतिक्रिया अब संभव नहीं थी। इसके अलावा, भारत नहीं चाहता था कि पाकिस्तान पश्चिमी देशों के समक्ष पीड़ित देश के रूप में प्रस्तुत हो।
भारत का रुख रहा स्पष्ट
भारतीय पक्ष ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई सैन्य चैनलों के माध्यम से संचालित की जा रही है और कोई भी युद्धविराम पहल उसी माध्यम से स्वीकार्य होगी। इस दौरान भारत ने किसी भी बाहरी दबाव के संकेतों को नजरअंदाज करते हुए ऑपरेशन के मूल उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित रखा। भारत ने स्पष्ट किया कि उसके सैन्य अभियान का उद्देश्य पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना था, न कि पाकिस्तान की संप्रभुता को चुनौती देना या असैनिक आबादी पर प्रभाव डालना।
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