181 नंबर आने वाले फोन कॉल्स के रिकॉर्ड देख उड़ जाएंगे होश, दिल्ली में बंद दरवाजों के पीछे ये क्या हो रहा है?
181 Women Helpline: नई दिल्ली। दिल्ली में 181 महिला हेल्पलाइन पर मदद के लिए आने वाली कॉल्स में सबसे ज़्यादा घरेलू हिंसा की शिकायतों की होती हैं। शारीरिक और यौन हिंसा के मामले भी टॉप 3 में शामिल हैं। इससे यही पता चलता है कि घरेलू हिंसा आज भी एक बड़ी समस्या है। यह समस्या घरों के अंदर बंद दरवाज़ों के पीछे हो रही है।
बहुत सी महिलाएं चुपचाप सह रही हैं और मदद का इंतज़ार कर रही हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के हेल्पलाइन कंट्रोल रूम में लगातार फोन बजते रहते हैं। हर एक कॉल किसी ऐसी महिला की हो सकती है जो हिंसा से बचने के लिए मदद मांग रही है। यह हेल्पलाइन घरेलू हिंसा से लेकर लापता महिलाओं तक, संकट में फंसी महिलाओं और बच्चों के लिए एक जीवन रेखा की तरह है।
निर्भया गैंग रेप के बाद शुरू हुई थी 181 हेल्पलाइन
बात करें 181 हेल्पलाइन की तो यह साल 2012 में निर्भया गैंग रेप के बाद शुरू की गई थी। पहले यह दिल्ली महिला आयोग के अंतर्गत काम करती थी। 30 जून, 2024 तक यह आयोग के अधीन थी। जुलाई 2024 में, केंद्र सरकार के निर्देश के बाद इसे महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपने हाथ में ले लिया। यह हेल्पलाइन 24 घंटे और सातों दिन काम करती है। आने वाली कॉल्स को वेरिफाई किया जाता है। उनकी डिटेल्स दर्ज की जाती हैं और फिर कार्रवाई शुरू की जाती है। एक RTI याचिका के ज़रिए मिली जानकारी के अनुसार, सितंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच हेल्पलाइन पर 1,71,958 कॉल्स आईं। हालांकि, इनमें से सिर्फ वेरिफाई की गई कॉल्स को ही दर्ज किया गया। डेटा बताता है कि इस दौरान लगभग 8,594 मामले दर्ज किए गए।
56.4% से ज़्यादा शिकायतें घरेलू हिंसा की
रिपोर्ट के मुताबिक 56.4% से ज़्यादा शिकायतें घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं। दर्ज किए गए कुल मामलों में से 4,852 घरेलू हिंसा से संबंधित थे। इसके बाद 3,116 मामले अन्य प्रकार की हिंसा से जुड़े थे। इनमें शारीरिक हिंसा सबसे ऊपर थी, जिसके 1,180 मामले थे। यौन हिंसा/एब्यूज के 667 मामले, इमोशनल वॉयलेंस/दुर्व्यवहार के 550 मामले, सार्वजनिक/कार्यस्थल हिंसा के 421 मामले और ऑनलाइन/डिजिटल हिंसा के 298 मामले थे। 171 महिलाएं लापता थीं और 105 मामलों में महिलाएं कानूनी विवादों में फंसी हुई थीं। हालांकि, हर महीने आने वाले मामलों में गिरावट आई है।
सितंबर 2024 में 1,563 मामले आए थे, जबकि मार्च 2025 में यह संख्या घटकर 752 हो गई। यह कहना मुश्किल है कि क्या यह वास्तव में हिंसा की घटनाओं में कमी है या रिपोर्टिंग के तरीके में बदलाव आया है। उदाहरण के लिए, बहुत सी महिलाओं को इस हेल्पलाइन के बारे में पता ही नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बारे में ज़्यादा जागरूकता फैलाने की जरूरत है।
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