"लातों के भूत बातों से नहीं मानते, डंडा चलाओ" – बंगाल हिंसा पर बोले CM योगी, दीदी रह गईं सन्न
Yogi statement on bengal violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ भड़की हिंसा ने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है। तीन मौतें, जलते वाहन, और सड़कों पर बवाल—इस सबके बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा बयान दिया, जिसने सियासी तापमान और चढ़ा दिया। 15 अप्रैल 2025 को हरदोई की एक सभा में योगी गरजे, "लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे!" उन्होंने ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोला और कहा कि बंगाल जल रहा है, लेकिन वहाँ की मुख्यमंत्री खामोश हैं। क्या है ये पूरा मामला? और क्यों योगी का ये बयान इतना सुर्खियों में है? आइए, इस कहानी को रोचक और सरल अंदाज़ में समझते हैं।
मुर्शिदाबाद में बवाल: आखिर हुआ क्या?
दरअसल 11 अप्रैल को मुर्शिदाबाद के धुलियान, सूती, और जंगीपुर जैसे इलाकों में वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए। ये प्रदर्शन जल्दी ही हिंसक हो गए। भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, गाड़ियाँ जलाईं, और दुकानों में तोड़फोड़ मचाई। इस बवाल में तीन लोग मारे गए, जिनमें एक पिता-पुत्र और एक नाबालिग शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए, और कई पुलिसकर्मी भी घायल हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हालात काबू करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। लेकिन इस हिंसा ने सियासी जंग को और भड़का दिया। BJP का आरोप है कि टीएमसी ने लोगों को उकसाया, जबकि ममता इसे केंद्र का "सियासी खेल" बता रही हैं।
योगी का तड़कता बयान: दंगाई डंडे की भाषा समझेंगे!
हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए योगी ने ममता बनर्जी को सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद एक हफ्ते से जल रहा है, लेकिन ममता बनर्जी चुप हैं। कांग्रेस चुप, सपा चुप, टीएमसी चुप, जहां तक कि सारा विपक्ष चुप। ये लोग बांग्लादेश में हुई हिंसा का समर्थन कर रहे हैं। अगर इतना ही प्यार है बांग्लादेश से, तो वहाँ चले जाओ, भारत पर बोझ क्यों बन रहे हो?" योगी यहीं नहीं रुके। उन्होंने ममता पर तंज कसते हुए कहा कि सेक्युलरिज़म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी। लेकिन लातों के भूत बातों से नहीं मानते, डंडे से ही सुधरेंगे!"
योगी का ये बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैला। X पर कुछ यूजर्स ने इसे "दंगाइयों के लिए सख्त चेतावनी" बताया, तो कुछ ने इसे "सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाला" करार दिया। लेकिन योगी के बेबाक और बुलंद अंदाज़ ने वाकई टीएमसी समेत विपक्ष के सियासी गलियारे में हड़कंप मचा दिया।
शांति की अपील कर क्या बोलीं दीदी?
बता दें कि हिंसा को लेकर ममता बनर्जी ने चुप्पी तो तोड़ दी थी, लेकिन उनके बयान में नरमी साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा कि सबको शांतिपूर्ण प्रदर्शन का हक है, लेकिन कानून हाथ में लेना गलत है। धर्म के नाम पर गैर-धार्मिक हरकतें न करें।" ममता ने लोगों से "उकसावे में न आने" की अपील करते हुए कहा कि कुछ लोग उनके धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने पर उनकी आलोचना करते हैं। लेकिन बीजेपी का कहना है कि ममता का ये बयान सिर्फ़ दिखावा है। वहीं योगी ने तो सीधे कह दिया कि "दंगाइयों को ममता शांतिदूत कहती हैं!"
पुलिस का दावा कि हालात काबू में, लेकिन...
मुर्शिदाबाद पुलिस का कहना है कि अब स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है। लेकिन जली हुई गाड़ियाँ, टूटी दुकानें, और घायल लोग जैसे हिंसा के निशान अभी भी बाकी हैं। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुँचाया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने सख्ती से कार्रवाई की। केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद माहौल शांत हो रहा है।" फिर भी, सवाल ये है कि क्या ये शांति टिकेगी, या ये बस तूफान से पहले की खामोशी है?
क्यों गरमाई सियासत?
बता दें कि ये हिंसा सिर्फ़ वक्फ कानून तक सीमित नहीं। इसके पीछे 2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव की ज़मीन तैयार हो रही है। बीजेपी इसे टीएमसी की "तुष्टिकरण नीति" का सबूत बता रही है, जबकि ममता इसे बीजेपी का "ध्रुवीकरण का हथकंडा" कह रही हैं। योगी का बयान इस जंग में नया तड़का है। उनके "डंडे से सुधार" वाले तेवर ने सपा और कांग्रेस को भी निशाने पर लिया, जिन्हें उन्होंने "चुप्पी का दोस्त" करार दिया।
यह भी पढ़ें:
Bengal violence: वक्फ कानून पर यूपी–बिहार का मुसलमान बेफिक्र तो बंगाल को कौन सुलगा रहा?