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वक्फ़ बिल के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे मुसलमान, CAA-NRC जैसे आंदोलन की बन रही भूमिका?

संसद के बजट सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक पेश होने की संभावना है। मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं और 13 मार्च को प्रदर्शन करेंगे।
05:41 PM Mar 10, 2025 IST | Rohit Agrawal

वक्फ संशोधन विधेयक 2024: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार को शुरू हो गया है जोकि 4 अप्रैल तक चलेगा। बता दें कि इस बार मोदी सरकार द्वारा संसद में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) के पेश किए जाने के पूरे आसार हैं। जिसका मुस्लिम संगठन पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और जमियत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठन 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इस बीच बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह विरोध प्रदर्शन CAA-NRC जैसे बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है?

वक्फ बिल क्या है?

वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण को मजबूत करना है। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग होगा और उन्हें अवैध कब्जे से बचाया जा सकेगा। हालांकि, मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह विधेयक मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति अधिकारों पर हमला है।

वक्फ़ बिल को लेकर मुस्लिम संगठनों का विरोध

मुस्लिम संगठनों ने वक्फ बिल को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ बताया है। AIMPLB के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुस्लिमों से अपील की है कि वे 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर इकट्ठा हों और सरकार को अपनी ताकत दिखाएं। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल पास हो गया, तो मुस्लिमों की संपत्तियों पर सरकार का कब्जा हो जाएगा।

 

जमियत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमानों को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह बिल शरीयत के खिलाफ है और मुस्लिम समुदाय इसे (Waqf Amendment Bill) किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा।

क्या एक बार फ़िर से CAA-NRC जैसा आंदोलन खड़ा होगा?

CAA-NRC के खिलाफ हुए आंदोलन की तरह वक्फ बिल के खिलाफ भी बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ बिल का मुद्दा CAA-NRC की तरह व्यापक नहीं है। CAA-NRC का मुद्दा सभी मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों से जुड़ा था, जबकि वक्फ बिल का असर मुख्य रूप से वक्फ संपत्तियों और मुस्लिम संगठनों पर पड़ेगा।

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ अंसारी का कहना है कि वक्फ बिल के खिलाफ आंदोलन का असर सीमित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर आम मुसलमानों को जोड़ना मुश्किल होगा, क्योंकि यह सीधे तौर पर उनके जीवन को प्रभावित नहीं करता।

सरकार का क्या है कहना?

दरअसल मोदी सरकार ने वक्फ बिल को हर हाल में पास कराने का फैसला कर लिया है। वहीं NDA के सहयोगी JDU और TDP भी इस बिल का समर्थन कर रहे हैं। इस बिल के पक्ष में सरकार दलील दे रही है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उन्हें अवैध कब्जे से बचाने के लिए है।

मार्च के चौथे हफ्ते में पेश हो सकता है वक्फ़ बिल

सरकार संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने से पहले बजट सत्र के जरूरी कामकाज निपटाना चाहती है, ताकि संभावित हंगामे से बचा जा सके। बता दें कि 10 मार्च से मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा होगी और 20-21 मार्च को गिलोटीन प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके बाद सरकार 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करेगी। होली की छुट्टियों के कारण 13-14 मार्च को संसद का सत्र नहीं होगा।

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