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भारत के बढ़ते राजनीतिक वजूद के चलते हुआ तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण

अमेरिका जैसे ताकतवर देश से किसी आतंकवादी का प्रत्यर्पण कराना आसान नहीं होता, लेकिन भारत ने अपने मजबूत संबंधों और प्रभाव का इस्तेमाल कर यह असंभव सा दिखने वाला काम कर दिखाया।
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अमेरिका द्वारा तहव्वुर राणा का भारत को प्रत्यर्पण किया जाना न केवल भारत की एक जबरदस्त जीत है वरन भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख और प्रभाव का शानदार उदाहरण भी है। इस केस को अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं था, लेकिन दो मुख्य वजहों ने इस मुश्किल रास्ते को आसान बना दिया। आइए जानते हैं क्या हैं वो दो बड़े कारण जिनकी वजह से तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण मुमकिन हो पाया।

1. हर कानूनी पेंच को चतुराई से सुलझाया

तहव्वुर राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए "Double Jeopardy" यानी "दोहरे खतरे के सिद्धांत" का सहारा लिया था। इस कानून के तहत एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती। राणा ने दलील दी कि वह अमेरिका में पहले ही मुंबई हमले के मामले में सजा काट चुका है, इसलिए उसे भारत भेजना इस कानून का उल्लंघन होगा। लेकिन भारत की कानूनी टीम ने इस तर्क को कोर्ट में न केवल चुनौती दी, बल्कि तथ्यों और मजबूत कानूनी दलीलों के जरिए इसे खारिज भी करवा दिया। अमेरिका की अदालतें भारतीय पक्ष के मजबूत स्टैंड से सहमत हुईं और आखिरकार राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हुआ।

Tahawwur Rana Extradition

2. भारत की कूटनीतिक ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन

इस पूरे मामले में भारत की विदेश नीति और वैश्विक रिश्तों ने अहम भूमिका निभाई। अमेरिका जैसे ताकतवर देश से किसी आतंकवादी का प्रत्यर्पण कराना आसान नहीं होता, लेकिन भारत ने अपने मजबूत संबंधों और प्रभाव का इस्तेमाल कर यह असंभव सा दिखने वाला काम कर दिखाया। चाहे वो ओबामा प्रशासन हो, ट्रंप सरकार या बाइडन का कार्यकाल – हर सरकार ने भारत के आग्रह को गंभीरता से लिया। ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया था कि तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा। यह साफ इशारा है कि भारत अब वैश्विक मंच पर केवल सुनने वाला नहीं, बल्कि निर्णयों को प्रभावित करने वाला देश बन चुका है।

27/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है तहव्वुर राणा, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है

तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो कभी पाकिस्तानी सेना में भी कार्यरत था। उसे अमेरिका की अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन से जुड़े होने और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का दोषी पाया। वह साल 2009 से अमेरिकी जेल में बंद था। अब उसे भारत लाकर 2008 के *मुंबई हमलों* के सिलसिले में न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। इस केस की सुनवाई में सरकार ने वरिष्ठ वकील नरेंद्र मान को विशेष लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्त किया है, जो NIA की ओर से केस को लीड करेंगे।

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