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क्या है वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024? इसे लाने की सरकार की क्या है मंशा? समझते है इसको 8 पॉइंट्स में

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर विवाद जारी है। सरकार पारदर्शिता की बात कर रही है, जबकि मुस्लिम संगठन इसे वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण का प्रयास बता रहे हैं।
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Waqf Bill 2024: देश में वक़्फ़ बिल को लेकर घमासान मचा हुआ है कई मुस्लिम संगठन इसका कड़ा विरोध कर रहे है तो कई इसके पक्ष में भी है, सरकार का आरोप है की कई लोग इस बिल को लेकर  मुसलमानो को गुमराह करने का प्रयास कर है और इस बिल पर कई तरह का झूठ परोस कर मुस्लिम लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के  प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक का उद्देश्य देश में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना है। साथ ही पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना है।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह बिल वक्फ के कानून में सुधार के लिए लाया गया है या इसके पीछे सरकार की कोई और मंशा है।

आइये इसे जानते है बिल की 8 बड़ी बातों से

1. तो सबसे पहले देश भर के मुसलमानों को आज यह समझना होगा कि यह बिल वक्फ की संपत्तियों को लेकर आया है और इसका मुसलमानों की निजी संपत्तियों से कोई लेना देना नहीं है अगर कोई आपसे यह कहता है कि इस नए कानून की मदद से सरकार आपकी अपनी निजी जमीन को छीनना चाहती है तो इसका मतलब है की आपको गुमराह किया जा रहा है

2. दूसरा यह बिल वक्फ से उसकी संपत्तियों को छीनने के लिए नहीं लाया गया है इसमें साफ-साफ लिखा है कि वक्फ की प्रॉपर्टी हमेशा की तरह वक्फ बोर्ड के पास ही रहेंगी और इसमें सरकार का कभी कोई दखल नहीं होगा

3. तीसरा यह बिल वक्फ बोर्ड को खत्म करने के लिए नहीं लाया गया है बल्कि इसे समावेशी बनाने के लिए लाया गया है इंक्लूसिव बनाने के लिए लाया गया है सरकार यह चाहती है कि अब वक्फ बोर्ड का ढांचा ऐसा बने जिसमें गरीब और पिछड़ी जाति के मुसलमानों को भी इस बोर्ड में जगह मिले जबकि मौजूदा कानून में पिछड़ी जाति के पसमंदा मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में बहुत ही कम जगह मिलती है और मौजूदा वक्फ बोर्ड जो है यह समावेशी बोर्ड नहीं है इसमें सबका समावेश होना चाहिए

4. चौथी बात यह दावा भी गलत है कि वक्फ बोर्ड में सुधार के लिए कानून बनाकर सरकार इस्लाम धर्म में कोई दखल दे रही है देश को यह बात पता होनी चाहिए कि वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था नहीं है बल्कि यह एक प्रशासनिक निकाय है और हमारा संविधान सरकार को यह पूरा अधिकार देता है कि वह एक प्रशासनिक निकाय में सुधार के लिए पुराने कानूनों में बदलाव कर सके बदलाव करने का मतलब यह नहीं है कि धर्म में बदलाव किया जा रहा है या इसका कोई धर्म से लेना देना है।

5. पांचवी बात इस्लाम धर्म में यह कहीं नहीं लिखा कि महिलाएं वक्फ बोर्ड का हिस्सा नहीं बन सकती सरकार कम से कम दो महिलाओं को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाना चाहती है और इस प्रावधान से महिलाओं को कई फायदे होंगे पहला इससे वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं की आवाज पहुंचेगी और दूसरा ऐसी व्यवस्थाएं समाप्त हो जाएंगी जिनसे महिलाओं के साथ नाइंसाफी होती आ रही है उदाहरण के लिए इस वक्त जो जमीन किसी मुस्लिम परिवार द्वारा वक्फ अल औलाद के लिए दान में दी जाती है उससे मिलने वाला पैसा उस परिवार की महिलाओं को नहीं मिलता लेकिनअब इस नए बदलाव से नए बिल से महिलाओं को भी यह पैसा मिल पाएगा उनका हक उनको मिल पाएगा।

6. छठवीं बात यह है कि यह बिल कहता है कि सरकार वक्फ की संपत्तियों को अवैध कब्जे से मुक्त कराएगी ना कि उन पर अवैध कब्जा करेगी जैसे हैदराबाद में वक्फ की 75% और मुंबई में 60% संपत्तियों पर आज भी अवैध कब्जा है और वक्फ बोर्ड इन अवैध कब्जों को हटाने में नाकाम रहा है लेकिन अब सरकार इनकी मदद करेगी

7. सातवीं बात इस बिल से वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार रुकेगा और वक्फ बोर्ड की आमदनी पहले से ज्यादा होगी अब एक खास बात देखिए मार्च 2019 में वक्फ को अपनी 8 लाख 72,000 संपत्तियों से सालाना 151 करोड़ की आमदनी होती थी जो 5 साल के बाद वर्ष 2024 में सिर्फ ₹1 करोड़ 30 लाख रह गई जरा सोचिए 5 साल पहले उन्हीं संपत्तियों से 150 करोड़ की आमदनी हो रही है और 5 साल के बाद यह आमदनी सिर्फ सवा करोड़ की रह गई 150 करोड़ सवा करोड़ में तब्दील हो गए और जैसे-जैसे समय बढ़ता है आमदनी तो बढ़नी चाहिए थी लेकिन यह 150 करोड़ सवा करोड़ में बदल गए इसका मतलब यह हुआ कि 5 साल पहले वक्फ बोर्ड को अपनी एक संपत्ति से ₹144 की मासिक आमदनी हुआ करती थी औसतन एक संपत्ति से ₹144 लेकिन अब उसी एक संपत्ति से हर महीने उसे सिर्फ ₹1 की आमदनी हो रही है ₹144 से घटकर ₹1 अब सोचिए अगर वक्फ को उसकी संपत्ति से ₹1 ही मिल रहे हैं  यानी बीच में कही न कहीं गड़बड़ हो रही है।

8. अब बात करते है की देश के मुसलमान विरोध किस बात का कर रहे हैं तो विरोध का प्रमुख कारण है सर्वे का प्रावधान यह बिल कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन पर अपना दावा करता है तो विवाद होने की स्थिति में वक्फ की संपत्तियों का सर्वे जिले के कलेक्टर द्वारा किया जाएगा और अगर सर्वे रिपोर्ट में यह पाया जाता है कि जिस जमीन पर वक्फ ने अपना दावा किया है वो असल में उसकी नहीं है तो वह जमीन वक्फ की नहीं मानी जाएगी।

इस सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

सुधार कीआवश्यकता इसलिए है क्योंकि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर आज भी पारदर्शिता नहीं है किसी को पता ही नहीं है कि वक्फ बोर्ड के अंदर चल क्या रहा है वर्ष 2006 की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ बोर्ड को जिन संपत्तियों से हर साल 12,000 करोड़ कमाने चाहिए थे उन संपत्तियों से उसे सिर्फ 163 करोड़ ही मिल रहे हैं तो सोचिए संपत्ति आपके पास इतनी है जिससे आपकी आमदनी होनी चाहिए 12 करोड़ लेकिन आपकी आमदनी कितनी हो रही है सिर्फ 163 करोड़ इसका मतलब कहीं कुछ घोटाला है इसके अलावा इस समय वक्फ की संपत्तियों को लेकर ना तो कोई स्पष्ट रिकॉर्ड है और ना ही इससे होने वाली आमदनी के बारे में देश के आम मुसलमानों को कुछ भी पता है वक्फ बोर्ड में हो क्या रहा है कितने पैसे आ रहे हैं कितने जा रहे हैं किस संपत्ति से कितना पैसा आता है किसी को कुछ नहीं पता और व बोर्ड उसके बारे में सही-सही जानकारी देता भी है या नहीं यह भी किसी को नहीं पता सरकार इस अव्यवस्था को दूर करने के लिए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का एक सेंट्रलाइज्ड पोर्टल बनाना चाहती है और लैंड रेवेन्यू रिकॉर्ड्स में इन संपत्तियों की जिओ टैगिंग करना चाहती है जिससे कोई भी घोटाला ना हो सके सब कुछ साफ-साफ होगा और देश का कोई भी मुसलमान ऑनलाइन बैठकर देख सकता है कि व बोर्ड की किस संपत्ति में क्या हो रहा है वो संपत्ति कहां पर है उसकी असल में कीमत कितनी है और उससे कितनी आमदनी होती है

सरकार इसे जल्द ही संसद में पेश कर सकती इस नए वक्फ बिल को राजनाथ सिंह और किरण रिजेजू इन दोनों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि यह देश के जो बड़े-बड़े दल और छोटे दल हैं उनसे बात करें और इस पर एक आम सहमति बनाएं और मोदी सरकार के जो दूसरे मंत्री हैं वह भी अभी इस काम में लगे हुए हैं कि वक्फ बिल को लेकर एक आम सहमति बनाने की कोशिश की जाए।

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