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वक्फ संसोधन विधेयक को लेकर सरकार की क्या है प्लानिंग? संसद में कब होगा पेश?

सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत में वक्फ संशोधन विधेयक पेश नहीं करेगी। वह पहले जरूरी कामकाज निपटाना चाहती है ताकि संसद में होने वाले हंगामे से बचा जा सके।
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सरकार संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने से पहले जरूरी काम निपटाना चाहती है। उसे अंदाजा है कि इस विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा में जोरदार बहस और हंगामा हो सकता है। इसलिए, सरकार पहले बजट और अन्य अहम संसदीय काम पूरे कर लेना चाहती है।

मार्च के चौथे हफ्ते में सरकार वक्फ संशोधन विधेयक लाने की योजना बना रही है। 10 मार्च से लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू होगी। इसके बाद उन्हें पास किया जाएगा। राज्यसभा में गृह मंत्रालय, शिक्षा, स्वास्थ्य और रेलवे मंत्रालय से जुड़े बजट पर चर्चा होगी। 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में सरकार वक्फ विधेयक पेश करेगी।

वक्फ संसोधन विधेयक कब होगा पेश?

लोकसभा में आज कृषि मंत्रालय, रेलवे, जलशक्ति मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय की अनुदान माँगों पर चर्चा होगी। इसके बाद सरकार गिलोटीन प्रक्रिया अपनाएगी, जिससे बिना चर्चा के बाकी बचे मंत्रालयों की अनुदान माँगों को मंजूरी मिल जाएगी। यह प्रक्रिया 20 या 21 मार्च को होने की संभावना है।

इसके अलावा, सरकार जल्द ही वक्फ संशोधन विधेयक भी पेश करेगी। यह विधेयक 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में संसद में लाया जाएगा।

होली के त्योहार के कारण 13 और 14 मार्च (गुरुवार और शुक्रवार) को संसद की कार्यवाही नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट में जाने पर मिलेगा न्याय: अरशद मदनी 

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 12 फरवरी 2025 को संगठन की कार्यसमिति की बैठक में यह फैसला हुआ था कि अगर नया कानून पास होता है, तो जमीयत की सभी राज्य इकाइयां अपने-अपने राज्यों में इसे अदालत में चुनौती देंगी। उन्हें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट में जाने पर न्याय मिलेगा, क्योंकि अदालतें ही उनका आखिरी सहारा हैं।

उन्होंने बताया कि 13 मार्च को जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और दूसरे राष्ट्रीय संगठनों द्वारा किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन का जमीयत समर्थन करेगी। मदनी ने कहा कि मुसलमानों को मजबूरी में सड़कों पर उतरकर अपने हक के लिए आवाज उठानी पड़ रही है।

उन्होंने साफ कहा कि मुसलमान शरीयत से कोई समझौता नहीं कर सकते, क्योंकि यह सिर्फ उनके अस्तित्व का नहीं, बल्कि उनके अधिकारों का भी मामला है। मौजूदा सरकार वक्फ कानून में बदलाव कर मुसलमानों के उन संवैधानिक अधिकारों को छीनना चाहती है, जो देश के कानून ने उन्हें दिए हैं।

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