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वक्फ पर छिड़ी जंग: संघ और मोदी सरकार की मुस्लिम समाज तक पहुँचने की बड़ी रणनीति

8 अप्रैल को वक्फ कानून लागू होने के बाद बीजेपी और RSS ने मुस्लिम समाज से जुड़ने के लिए बुकलेट, संवाद और कार्यशालाओं की नई रणनीति बनाई।
05:42 PM Apr 11, 2025 IST | Rohit Agrawal

8 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) कानून लागू होते ही देश में सियासी तूफान मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इसे ठुकरा दिया, तो राहुल गांधी ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और दंगे जैसे हालात बन गए। इस बीच, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इसे मुस्लिम समाज के लिए "हितकारी" बताते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। पार्टी अब घर-घर जाकर इस बिल की सच्चाई बताने को तैयार है। बीजेपी मुख्यालय में हुई हाई-लेवल बैठक से लेकर जमीनी स्तर तक संवाद की रणनीति बन चुकी है। संघ ने इसके फायदे गिनाने वाली बुकलेट भी तैयार कर ली है। क्या है यह पूरा प्लान, और यह कितना कारगर होगा? चलिए, इस कहानी को सरल अंदाज में खोलते हैं।

वक्फ बिल पर हंगामे के बीच BJP ने ठानी मुहिम

वक्फ कानून लागू होते ही देश दो खेमों में बँट गया। पश्चिम बंगाल में धरने और प्रदर्शन ने दंगे की शक्ल ले ली, तो ममता बनर्जी ने इसे लागू करने से साफ इनकार कर दिया। विपक्ष इसे अल्पसंख्यक विरोधी बता रहा है, लेकिन बीजेपी इसे मुस्लिम समाज के लिए "गेम-चेंजर" मान रही है। पार्टी का कहना है कि यह कानून वक्फ बोर्ड के भ्रष्टाचार को खत्म करेगा और गरीब मुस्लिमों, महिलाओं व बच्चों को फायदा पहुँचाएगा।

इस भ्रांति को दूर करने के लिए बीजेपी ने फैसला किया कि वह सीधे जनता के बीच जाएगी। इसके लिए दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें जेपी नड्डा, किरेन रिजिजू और बीएल संतोष जैसे दिग्गजों ने शिरकत की। यहाँ से एक व्यापक आउटरीच प्रोग्राम का खाका तैयार हुआ।

मुस्लिम समाज तक पहुँचने का मास्टरप्लान

BJP ने इस कानून को लेकर फैली गलतफहमियों को दूर करने के लिए तीन स्तर की रणनीति बनाई। सबसे पहले राज्य स्तर पर मुस्लिम धार्मिक नेताओं, वकीलों, शिक्षकों, डॉक्टरों, कलाकारों और महिला कार्यकर्ताओं के साथ टाउन हॉल मीटिंग्स होंगी। ईसाई समुदाय से भी संवाद सभाएँ की जाएँगी। महिला नेताओं के लिए खास कार्यक्रम होंगे। सांसद और विधायक अपने इलाकों में सभाएँ करेंगे। फिर जिला स्तर पर मुस्लिम समुदाय के प्रभावशाली लोगों से बातचीत होगी, प्रेस कॉन्फ्रेंस और प्रेजेंटेशन के जरिए बिल की खूबियाँ बताई जाएँगी। मंडल स्तर पर युवा मोर्चा विधानसभा क्षेत्रों में संवाद करेगा, तो कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार करेंगे। खास तौर पर मुस्लिम महिलाओं से संपर्क पर जोर होगा। 15-17 अप्रैल को प्रदेश कार्यशालाएँ और 18-19 अप्रैल को जिला कार्यशालाएँ तय की गई हैं।

अभियान में RSS और VHP का मिलेगा साथ

बता दें कि इस पूरे अभियान को कामयाब बनाने के लिए BJP अकेले नहीं उतरेगी। RSS और विश्व हिंदू परिषद (VHP) भी इसमें कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। राष्ट्रीय महासचिव राधा मोहन दास अग्रवाल की अगुआई में एक निगरानी टीम बनाई गई है, जो हर कदम पर नजर रखेगी। VHP ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल की हिंसा पर चिंता जताई और कहा, "विपक्ष मुसलमानों को भड़का रहा है। हम इस बिल के फायदे समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।" यह गठजोड़ बीजेपी की रणनीति को और मजबूत करने वाला है।

बुकलेट से बिल की सच्चाई कुरेदेगा संघ

RSS और BJP ने इस कानून को आसान भाषा में समझाने के लिए एक खास बुकलेट तैयार की है। जिसका नाम रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम– एक नई पहल है। हिंदी में 128 पेज और अंग्रेजी में 116 पेज की यह बुकलेट वक्फ संपत्तियों की निगरानी, पारदर्शिता और समुदाय के विकास की बात करती है। इसमें महात्मा गांधी, सरदार पटेल और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को जोड़ा गया है, ताकि इसे ऐतिहासिक सुधारों से जोड़ा जा सके। संघ का मानना है कि यह बिल गरीब मुस्लिमों की संपत्ति को सुरक्षित करेगा और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगा। यह बुकलेट हर संवाद सभा में बाँटी जाएगी।

क्या कामयाब होगा यह प्लान?

विपक्ष का दावा है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आजादी छीन रहा है। ममता बनर्जी इसे "संघीय ढाँचे पर हमला" बता रही हैं, तो राहुल गांधी इसे "संविधान के खिलाफ" कह रहे हैं। दूसरी ओर, बीजेपी और संघ इसे मुस्लिम समाज के लिए "वरदान" बता रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यह जनजागरण अभियान मुस्लिम समुदाय का भरोसा जीत पाएगा? अगर यह प्लान फेल हुआ, तो BJP के लिए सियासी नुकसान तय है। लेकिन अगर कामयाब रहा, तो यह 2024 के बाद अल्पसंख्यक वोटों तक पहुँचने की उसकी राह आसान कर सकता है। यह जंग अब संसद से निकलकर गली-मोहल्लों तक पहुँच गई है। इसका नतीजा आने वाले दिनों में साफ होगा।

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