UP Politics: सीएम योगी की राजनीतिक चक्रव्यूह को भेदने के लिए अखिलेश यादव ने चली यह चाल, समझें सियासी समीकरण!
UP Politics: यूपी में 2027 को लेकर अभी से सियासी एजेंडा सेट किए जाने लगा है। सूबे में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ अपने हिंदुत्व के एजेंडे पर एक बार फिर से एक्टिव हो गए हैं। वे 80-20 का नैरेटिव सेट करने में जुटे हैं। योगी की 80-20 की पॉलिटिक्स के सामने सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपना तुरुप का इक्का निकाल लिया है और वे 90-10 के नए फॉर्मूले पर जोर दे रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि 2027 की लड़ाई 80-20 की नहीं बल्कि 90-10 की होगी। ऐसे में देखना है कि इस शह-मात के खेल में किसका पलड़ा भारी रहता है?
सीएम योगी का 80-20 फॉर्मूला
सीएम योगी ने कहा था कि 80 में ऐसे लोग हैं, जो बीजेपी को पसंद करते हैं। जबकि, 20 फीसदी में स्वार्थ की राजनीति वाले को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने हाल ही में हुए उपचुनाव को लेकर भी यह 80-20 की लड़ाई बताई। योगी आदित्यनाथ के 80:20 के फॉर्मूले को सांप्रदायिक गणित से जोड़कर देखा जा रहा है। इसे हिंदू बनाम मुसलमान वोट बैंक से जोड़ा जा रहा है। यूपी में 80 फीसदी हिंदू और 20 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या है। ऐसे कयास हैं कि योगी की कोशिश जातियों में बिखरे हुए 80 फीसदी वोटों को एकजुट करने की है।
अखिलेश यादव का 90-10 का दांव
योगी आदित्यनाथ 80-20 का नैरेटिव सेट कर रहे हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 90-10 का दांव चला है। अखिलेश का फॉर्मूला जातीय गणित से जोड़कर देखा जा रहा है। एक तरफ बीजेपी के धार्मिक ध्रुवीकरण के सामने अखिलेश यादव ने जातिगत ध्रुवीकरण का पासा फेंका है। 90 फीसदी को पूरा करने के लिए अखिलेश यादव समाजवादियों के साथ अब अंबेडकारवादियों को साधने में लगे हैं। सपा की रणनीति में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के साथ सवर्ण वोटों में सेंधमारी का पासा फेंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2027 का चुनाव 90-10 के फार्मूले पर होगा।
विधानसभा चुनाव को लेकर स्ट्रेटजी?
जातिगत आबादी का ठोस आंकड़ा नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि प्रदेश में दलितों, पिछड़ों, मुस्लिमों और आदिवासियों की ये आबादी, यूपी की कुल आबादी के करीब 85 फीसदी ठहरती है। स्वामी प्रसाद मौर्या का दावा है कि यह 85 प्रतिशत जनसंख्या बीजेपी के विरोध में खड़ी है। राजनीतिक विश्लेषक भी यह मानते हैं कि यूपी में 2027 का चुनाव पूरी तरह से जातीय के बिसात पर होगा। जाति के इर्द-गिर्द ही सारे सियासी दांव-पेंच खेले जा रहे हैं।
यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 8 फीसदी, ठाकुरों की आबादी 4 फीसदी और वैश्यों की आबादी 2 से 3 फीसदी के करीब मानी जाती है। इस तरह इन तीनों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो संख्या लगभग 15 फीसदी के करीब ठहरती है। अखिलेश यादव इसी ओर इशारा कर रहे थे, जिसमें कुछ सवर्ण वोटों को अपने साथ मानकर चल रहे हैं। ऐसे में देखना है कि 2027 के चुनाव में किसका फॉर्मूला हिट रहता है?
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