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नेपाल की बारिश से बिहार में 'त्राहिमाम', 56 साल बाद दिखा ऐसा खतरनाक रूप

नेपाल में हो रही भारी बारिश के कारण बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ ने भयंकर स्थिति पैदा कर दी है। नेपाल से निकलने वाली नदियाँ, विशेष रूप से गंडक और कोसी, ने बिहार के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई है।
12:54 PM Sep 29, 2024 IST | Vibhav Shukla
बिहार में बाढ़ से त्राहिमाम

नेपाल में हो रही भारी बारिश के कारण बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ ने भयंकर स्थिति पैदा कर दी है। नेपाल से निकलने वाली नदियाँ, विशेष रूप से गंडक और कोसी, ने बिहार के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई है। इन नदियों ने 50 से अधिक स्थानों पर बाढ़ का प्रकोप बढ़ा दिया है, जिससे तटबंधों के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे हालात और भी गंभीर हो रहे हैं।

क्यों आया बिहार में बाढ़?

बाढ़ की यह स्थिति मुख्यतः वाल्मीकि नगर और बीरपुर बैराज के गेट खोलने के कारण उत्पन्न हुई है। जब इन बैराजों से पानी छोड़ा गया, तो इसके परिणामस्वरूप बिहार के आधे हिस्से में बाढ़ का खतरा बढ़ गया। गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और अन्य नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। बिहार के 13 जिलों में 1.41 लाख आबादी पलायन करने के लिए मजबूर हो गई है, जिससे एक बड़ी मानव संकट का सामना करना पड़ रहा है।

56 साल बाद दिखा ऐसा खतरनाक रूप

राज्य जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल के अनुसार, शनिवार को कोसी नदी पर बने बीरपुर बैराज से 5.31 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। यह बीते 56 वर्षों में सबसे अधिक मात्रा है। इससे पहले 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसी प्रकार, गंडक नदी पर बने वाल्मीकि नगर बैराज से भी 4.49 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, कोसी नदी में 50 साल बाद इतनी मात्रा में पानी देखा जा रहा है कि यह उत्तर बिहार के कई जिलों को डुबो सकता है। इससे लोगों में हाहाकार मच गया है। ग्राउंड जीरो पर मौजूद स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले 55 वर्षों में उन्होंने कोसी नदी में इतनी पानी की मात्रा नहीं देखी। उनके चेहरे पर चिंता और डर साफ नजर आ रहा है, क्योंकि बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोग अब सुरक्षा के लिए जगह-जगह पलायन करने के बारे में सोच रहे हैं।

लगातार बारिश से हाल बदहाल

बिहार और नेपाल में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिससे जलस्तर में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है। गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण कई क्षेत्रों में जल भराव हो गया है। विशेषकर पश्चिमी चंपारण के जोगापट्टी, नौतन, गौनाहा, बगहा-1, बगहा-2, रामनगर, मझौलिया और नरकटियागंज जैसे इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। यहाँ के निवासी अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं।

कोसी नदी में बाढ़ का संकट: स्थिति गंभीर

2008 में जब कुशहा बांध टूटा था, तब लगभग दो-तीन लाख क्यूसेक पानी की वजह से यह हादसा हुआ था। अब इस बार नेपाल में लगातार बारिश के बाद कोसी बराज से 5.5 लाख क्यूसेक से भी ज्यादा पानी छोड़ा गया है, जिससे हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। इस संदर्भ में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिहार सरकार ने शनिवार को वाल्मीकि नगर और बीरपुर बैराज से पानी छोड़ने के बाद राज्य के उत्तरी और मध्य हिस्सों में उफनती कोसी, गंडक और गंगा नदियों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है।

वहीं, नेपाल में भी हालात खराब हैं। लगातार बारिश की वजह से वहां कम से कम 99 लोगों की जान चली गई है और कई लोग लापता हैं। नेपाल के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं, जिसके चलते आपदा प्रबंधन अधिकारियों को तुरंत बाढ़ की चेतावनी जारी करनी पड़ी। नेपाल में आई इस तबाही का असर अब बिहार में भी महसूस किया जा रहा है।

बाढ़ प्रभावित जिलों की सूची

इस समय बिहार के 13 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। इन जिलों में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और मधुबनी शामिल हैं। इन जिलों के 20 प्रखंडों में 140 पंचायतों के लोग बाढ़ की चपेट में हैं। इस स्थिति ने 1.41 लाख लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है।

गंगा तटवर्ती क्षेत्रों की स्थिति

इसके अलावा, बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर जैसे गंगा तटवर्ती इलाके पहले से ही बाढ़ के संकट में थे। लगातार बारिश और नदियों के जल स्तर में वृद्धि ने इन क्षेत्रों की स्थिति को और गंभीर बना दिया है। बाढ़ की इस परिस्थिति ने सरकार और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।

राहत कार्य में जुटी सरकार

सरकार ने बाढ़ की इस स्थिति से निपटने के लिए राहत कार्यों की शुरुआत की है। प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं पहुँचाने के लिए विशेष दल भेजे जा रहे हैं। प्रशासन ने बाढ़ के पानी से प्रभावित लोगों के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरणगृह स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सहायता पहुँचाएँ।

बिहार में बाढ़ के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी सक्रिय हो गई है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय आज एनडीआरएफ के साथ एक समीक्षा बैठक करेंगे। बाढ़ की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए एनडीआरएफ को अलर्ट पर रखा गया है। वहीं, राज्य सरकार ने भी सभी अधिकारियों को सतर्क रहने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इससे साफ है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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