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जेल में रहकर कैसे ‘ज्ञानी’ बन रहे हैं कैदी? आंकड़ों की मदद से जानिए बदलते तिहाड़ की नई इबारत

तिहाड़ जेल में शिक्षा के प्रति बढ़ती रुचि दिखी है, जहां कैदी अब मैट्रिक, ग्रेजुएशन और विभिन्न सर्टिफिकेट कोर्सेज में दाखिला ले रहे हैं।
02:27 PM Apr 01, 2025 IST | Rohit Agrawal

तिहाड़ जेल, जिसे देश की सबसे बड़ी और सबसे सख्त जेलों में गिना जाता है, अब शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम कर रहा है। पिछले एक साल में यहां के कैदियों ने पढ़ाई-लिखाई में अभूतपूर्व रुचि दिखाई है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि मैट्रिक, ग्रेजुएशन और विभिन्न सर्टिफिकेट कोर्सेज में दाखिला लेने वाले कैदियों की संख्या में 50% से लेकर 100% तक का उछाल आया है। यह बदलाव न सिर्फ कैदियों के जीवन को नई दिशा दे रहा है, बल्कि समाज के प्रति उनके नजरिए को भी बदल रहा है।

जेल में कैसे ज्ञानी बन रहे कैदी?

तिहाड़ जेल के ताजा आंकड़े बताते हैं कि यहां पढ़ाई का चलन तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में जहां 373 कैदियों ने मैट्रिक (दसवीं) की पढ़ाई शुरू की थी, वहीं 2024 में यह संख्या दोगुनी होकर 747 पहुंच गई। बारहवीं कक्षा में पढ़ने वालों की संख्या भी 41 से बढ़कर 47 हो गई। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि कैदी अब सिर्फ स्कूली शिक्षा तक ही सीमित नहीं हैं। उन्होंने फूड एंड न्यूट्रिशन, ह्यूमन राइट्स, साइबर लॉ और इंटरनेशनल बिजनेस जैसे कोर्सेज में भी दाखिला लिया है।

कोर्स2023 में नामांकन2024 में नामांकनपरिवर्तन (%)
मैट्रिक (10वीं)373747100%
बारहवीं (12वीं)414714.63%
फूड और न्यूट्रिशन सर्टिफिकेट28042150%
ह्यूमन राइट्स सर्टिफिकेट1537146.67%
पीजी डिप्लोमा (इंटरनेशनल बिजनेस)213550%
ग्रैजुएशन6622-66.67%

 

बता दें कि फूड एंड न्यूट्रिशन कोर्स करने वालों की संख्या 280 से बढ़कर 421 हो गई है। ह्यूमन राइट्स कोर्स में दाखिला लेने वाले कैदियों की संख्या 15 से बढ़कर 37 हो गई। साइबर लॉ में पीजी डिप्लोमा करने वाले कैदियों की संख्या पिछले साल शून्य थी, लेकिन इस साल 8 कैदियों ने इस कोर्स को चुना। इंटरनेशनल बिजनेस ऑर्गनाइजेशन में पीजी डिप्लोमा करने वालों की संख्या भी 2 से बढ़कर 13 हो गई है।

ग्रेजुएट से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट हैं कैदी

तिहाड़ जेल में बंद कैदियों की शैक्षिक स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां अनपढ़ कैदियों से ज्यादा पढ़े-लिखे कैदी हैं। जेल में 5,312 कैदी अनपढ़ हैं, जबकि 7,872 कैदी दसवीं पास हैं। 4,271 कैदी दसवीं से ग्रेजुएशन तक पढ़े हुए हैं और 1,642 कैदी ग्रेजुएशन पास हैं। 284 कैदी पोस्ट ग्रेजुएट हैं और 155 कैदी टेक्निकल डिग्री या डिप्लोमा धारक हैं।

शैक्षिक स्तरसंख्या
अनपढ़5,312
दसवीं पास7,872
दसवीं से ग्रैजुएशन तक4,271
ग्रैजुएट1,642
पोस्टग्रैजुएट284
तकनीकी डिग्री/डिप्लोमा155

 

पढ़ाई ने कैसे बदल दी कैदियों की जिंदगियां?

तिहाड़ जेल में शिक्षा का यह सिलसिला सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इसने कैदियों की जिंदगी को बदलना शुरू कर दिया है। कई कैदियों ने जेल में रहते हुए पढ़ाई पूरी की और रिहा होने के बाद नई जिंदगी शुरू की। कुछ ने छोटे व्यवसाय शुरू किए, तो कुछ ने सामाजिक संगठनों से जुड़कर अपनी जिंदगी को नई दिशा दी।

वहीं जेल प्रशासन ने भी कैदियों की पढ़ाई के लिए कई सुविधाएं मुहैया कराई हैं। ओपन स्कूलिंग, डिस्टेंस लर्निंग और विभिन्न सर्टिफिकेट कोर्सेज की व्यवस्था की गई है। कैदियों को पढ़ाई के लिए किताबें, नोट्स और अन्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है।

अनपढ़ कैदियों की बड़ी संख्या अभी भी चुनौती

हालांकि तिहाड़ जेल में शिक्षा का स्तर सुधर रहा है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं। 5,000 से अधिक कैदी अभी भी अनपढ़ हैं, जिन्हें बुनियादी शिक्षा देने की जरूरत है। कई कैदी उच्च शिक्षा और टेक्निकल कोर्सेज की मांग कर रहे हैं, जिन्हें और बढ़ावा दिया जा सकता है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैदियों को रिहा होने के बाद रोजगार मिल सके। इसके लिए सरकार और एनजीओ को मिलकर काम करना होगा।

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