कुंभ नगरी के लिए जमीन लेने की प्रक्रिया शुरू, धाराओं का प्रकाशन होने के बाद चलेगा दावे आपत्तियों का दौर
Ujjain News: उज्जैन। विकास प्राधिकरण द्वारा कुंभ नगरी बनाए जाने के लिए किसानों की जमीन लैंड पूलिंग योजना के तहत ली जा रही है, जिसमें 50% जमीन किसानों के पास रहेगी बाकी की जमीन पर विकास कार्य होंगे। उक्त योजना के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति भी कर दी गई। विकास प्राधिकरण के सीईओ संदीप सोनी ने बताया कि 23 हेक्टेयर जमीन किसानों से लैंड पुलिंग योजना के तहत ली जा रही है, जिसमें विभिन्न धाराओं का प्रकाशन अब किया जाने वाला है। इसके बाद किसानों के दावे आपत्तियों को सुना जाएगा। सिंहस्थ 2028 में फायदा सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर जो कुंभनगरी बनाई जा रही है, उसमें कई प्रकल्प स्थापित किए जाएंगे।
प्रयागराज महाकुंभ से सबक
यूडीए के सीईओ संदीप सोनी ने बताया प्रयागराज महाकुंभ में 20 कि करोड़ श्रद्धालुओं का अनुमान उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाया था। सरकार को उम्मीद थी कि 40 करोड़ श्रद्धालु भी आए तो हमारी व्यवस्था पूरी है। बावजूद इसके वहां 60 करोड़ श्रद्धालु पहुंच गए। यही वजह है कि प्रयागराज महाकुंभ में कुछ अप्रत्याशित घटनाएं भी हुईं, जिसमें कई श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई। वहां से सबक लेते हुए उज्जैन महाकुंभ के पहले इन सब तैयारी को मूर्त रूप दिया जा रहा है।
प्रदेश में सबसे बड़ी योजना
23 हेक्टेयर भूमि पर लैंड पुलिंग के तहत आकार लेने वाली यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी योजना बनाई जा रही है। योजना का राजपत्र प्रकाशन करने की तैयारी शुरू हो गई है। विभिन्न धाराओं में इसका प्रकाशन होगा। यदि किसानों को इससे सहमति नहीं हो, वह अपने दावे आपति दावे आपत्ति यूडीए में लगाएंगे जिनका निराकरण किया जाएगा।
आश्रम, अस्पताल स्कूल बनेंगे
25 प्रतिशत भूमि में रोड, सेंटर लाइटिंग, स्टॉर्म वाटर ड्रेन, सीवर और वाटर लाइन सहित अंडरग्राउंड विद्युत लाइन निर्माण होगा। 15 प्रतिशत भूमि पर पार्क बच्चों के लिए झूले और स्लाइड, आम पब्लिक के लिए योंकिग पाथवे, ओपन जिम विकसित किया जाएगा। यहीं पर धार्मिक संस्थाओं को जमीन दी जाएगी। आश्रम, अस्पताल, स्कूल भी बनाए जाएंगे। सिंहस्थ क्षेत्र में होने वाली लैंड पुलिंग योजना को लेकर किसान संघर्ष समिति का पक्ष सुना संतों ने कहा कि अन्याय नहीं होने देंगे।
मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे किसानों की बात
आज बड़ा उदासीन अखाड़ा में सिंहस्थ किसान संघर्ष समिति व स्थानीय अखाड़ा परिषद के साधु संतों की बैठक रखी गई। किसानों ने सिंहस्थ की भूमि लेंड पूलिंग योजना के नकारात्मक प्रभाव से साधू संतो को अवगत कराया। पूर्ण शांति साथ किसानों की बात सुनी गई। बड़ी संख्या में संघर्ष समिति के किसानों ने बैठक में भाग लिया। किसानों ने कहा हमें गोडाउन बनाने की अनुमति दी जाए जिससे हमारी फ़सल और अनाज सुरक्षित रख सकें। किसानों ने बोला कि अगर आधी जमीन अधिग्रहण हो जाती है तो फिर किसान की उपज घटकर मात्र 10 से 20 % ही रह जाएगी। यहां वैसे भी 5 - 10 बीघा वाले किसान हैं।
ऐसे में फसल की लागत बढ़ जाएगी। किसान कोई दूसरा व्यवसाय नहीं कर सकते हैं फिर उनके परिवार का पालन कैसे होगा। किसानों ने कहा भले उनकी जमीन का मूल्य कितना भी बढ़ जाय उनको तो खेती किसानी से मतलब है। कोई भी किसान किसी मूल्य पर अपनी ज़मीन बेचना नहीं चाहता। किसानों ने बड़े तथ्यात्मक और प्रभावी रूप से अपनी बात रखी जिससे साधू संत भी सहमत नज़र आए। अब देखना है कि ऊंट किस करवट बैठेगा ?
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