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कैसे भारत लाया गया तहव्वुर राणा? जानिए मामले से जुड़ी पिछले 24 घंटे की पूरी कहानी

26/11 हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया। NIA ने हिरासत में लेकर कोर्ट से 18 दिन की रिमांड ली।
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26 नवंबर 2008 की वो काली रात, जब मुंबई में आतंकियों ने खून की होली खेली थी, आज 16 साल बाद उस साजिश के एक बड़े किरदार तहव्वुर हुसैन राणा को भारत की धरती पर लाया गया है। अमेरिका से एक खास गल्फस्ट्रीम G550 विमान में सवार यह आतंकी गुरुवार शाम दिल्ली पहुँचा, जहाँ NIA ने उसे हिरासत में लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने 18 दिन की रिमांड मंजूर की, और अब शुरू होगी उससे पूछताछ की लंबी प्रक्रिया। यह कहानी सिर्फ एक प्रत्यर्पण की नहीं, बल्कि भारत की कूटनीतिक जीत और आतंक के खिलाफ जंग की है। आइए, पिछले इस मसले में हुई 24 घंटे की घटनाओं को खंगालते हैं।

मियामी से दिल्ली तक कैसे लाया गया तहव्वुर भारत?

बता दें कि तहव्वुर राणा का भारत तक का सफर किसी जासूसी फिल्म से कम नहीं था। बुधवार सुबह फ्लोरिडा के मियामी से एक गल्फस्ट्रीम G550 जेट ने उड़ान भरी। यह कोई आम विमान नहीं, बल्कि 12,500 किलोमीटर की रेंज वाला हाईटेक जेट था, जो अमेरिकी सेना भी इस्तेमाल करती है। जिसका बीच में रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में 11 घंटे का ठहराव हुआ। गुरुवार शाम 6 बजे यह जेट दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर उतरा। भारी सुरक्षा के बीच राणा को बाहर लाया गया और NIA ने उसे तुरंत हिरासत में ले लिया। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू मेट्रो स्टेशन का गेट तक बंद कर दिया था।

NIA को कोर्ट से मिले 18 दिन

दिल्ली पहुँचते ही राणा को रात 8 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। NIA ने 20 दिन की रिमांड माँगी, ताकि 26/11 की साजिश के हर कोने को खंगाला जा सके। राणा के वकील पीयूष सचदेव ने उसकी खराब सेहत पार्किंसन, हार्ट और किडनी की बीमारी का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया। घंटों चली बहस के बाद रात 2:10 बजे जज चंद्रजीत सिंह ने 18 दिन की रिमांड का फैसला सुनाया। इसके बाद राणा को NIA मुख्यालय ले जाया गया, जहाँ शुक्रवार से उसकी पूछताछ शुरू होगी। यहाँ से 17 साल पुराने सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।

अमेरिका से भारत तक 16 साल कानून की जंग

राणा का भारत आना आसान नहीं था। 2011 में NIA ने उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। 2019 में भारत ने अमेरिका से पहली बार प्रत्यर्पण माँगा। 2020 में उसे लॉस एंजिल्स में फिर से गिरफ्तार किया गया। 2023 में कैलिफोर्निया की कोर्ट ने प्रत्यर्पण का आदेश दिया, लेकिन राणा ने हार नहीं मानी।

उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक अपील की, मगर 13 नवंबर 2024 को उसकी आखिरी याचिका खारिज हो गई। जज एलेना कगन ने 6 मार्च को अंतिम फैसला सुनाया, और 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता साफ कर दिया। यह भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि की ताकत और मोदी सरकार की कूटनीति का नतीजा था।

राणा कौन है?

पाकिस्तान में जन्मा और कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा कोई आम शख्स नहीं। वह लश्कर-ए-तैयबा और ISI का सक्रिय सदस्य था। डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त राणा मुंबई हमलों की साजिश का अहम हिस्सा था। उसने हेडली को भारत का वीजा दिलवाया, मुंबई में ऑफिस खोला, और हमले की टोह लेने में मदद की। 2009 में FBI ने उसे शिकागो में पकड़ा था। 2011 में उसे 14 साल की सजा मिली, मगर कोविड के चलते 2020 में रिहा हो गया। अब भारत में उस पर आतंकवाद, हत्या और साजिश के गंभीर आरोप हैं।

क्या आतंक का काला सच सामने आएगा?

राणा अब NIA की हिरासत में है, और उससे पूछताछ में कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है। क्या ISI ने हमले की साजिश रची? लश्कर के बाकी आतंकी कहाँ छिपे हैं? क्या पाकिस्तान की सीधी भूमिका थी? ये सवाल 166 मृतकों और सैकड़ों घायलों के परिवारों के लिए आज भी जिंदा हैं। राणा को तिहाड़ जेल की हाई-सिक्योरिटी सेल में रखने की तैयारी है। यह प्रत्यर्पण भारत की आतंक के खिलाफ जीत है, और अब नजर इस बात पर है कि राणा की जुबान कितने राज खोलेगी। यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई—यह तो बस शुरुआत है!

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