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'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ पर सुप्रीम कोर्ट ने रोकी सुनवाई, शीर्ष अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने आज 'Places of Worship Act 1991' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार से जवाब आने तक सुनवाई को टालने का आदेश दिया है।
05:57 PM Dec 12, 2024 IST | Vyom Tiwari
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991' (Places of Worship Act 1991) को लेकर चल रही जनहित याचिकाओं पर सुनवाई से जुड़ी एक अहम खबर आई है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने साफ किया है कि जब तक केंद्र सरकार की ओर से जवाब नहीं आता, तब तक इस मामले में आगे सुनवाई नहीं होगी जस्टिस खन्ना ने कहा अब तक केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि जवाब जल्द दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगली सुनवाई तक नई याचिका दायर की जा सकती है लेकिन उन्हें रजिस्टर नहीं किया जाएगा। साथ ही  सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें अलग-अलग अदालतों में चल रहे इसी मुद्दे से जुड़े मामलों की सुनवाई पर रोक लगाने की बात कही गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब 

CJI संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि केंद्र के जवाब के बाद, अन्य पक्ष भी 4 हफ्ते के अंदर अपने जवाब दाखिल कर सकते हैं। उनका कहना है कि केंद्र का जवाब जरूरी है, क्योंकि बिना जवाब सुने सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला नहीं ले पाएगा। कोर्ट ने यह साफ किया कि वह केंद्र का रुख समझना चाहता है। यह मामला वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और संभल की शाही जामा मस्जिद से जुड़े कई मुकदमों पर आधारित है। CJI ने यह भी निर्देश दिया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई नहीं होती, तब तक देश की अन्य अदालतें इन मामलों में कोई अंतिम फैसला या सर्वे से जुड़ा आदेश नहीं देंगी।

क्या कहता है 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट'

'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' (Places of Worship Act 1991) यह कहता है कि 15 अगस्त 1947 को जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था वह उसी रूप में रहेगा। इस कानून के तहत किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव करने या उस पर नए दावे के लिए अदालत में केस दर्ज करने पर रोक लगाई गई है। इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं। इनमें से एक याचिका वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। अश्विनी उपाध्याय ने 1991 के उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम की धाराओं 2, 3 और 4 को खत्म करने की मांग की है। उनकी दलील है कि यह कानून किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह को अपने पूजा स्थल पर दावा करने के कानूनी अधिकार से वंचित करता है।

 

 

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