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वक्फ बिल पर तत्काल सुनवाई करने से SC का इंकार, अब तक कुल 11 याचिकाएं दायर

संसद में पास होने के पास से अब तक वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली कुल 11 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।
04:43 PM Apr 07, 2025 IST | Sunil Sharma

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। यह याचिका सोमवार को दायर की गई थी, जिसे लेकर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि, जब ईमेल के माध्यम से मामलों को शीघ्र सूचीबद्ध करने की व्यवस्था पहले से है, तो फिर इस मामले को मौलिक रूप से उल्लेखित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उचित समय पर याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

अर्जेंट सुनवाई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल को कह दी यह बात

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और ए.एम. सिंघवी ने पीठ से इस मामले की तुरंत सुनवाई की अपील की थी। पीठ ने यह बताते हुए कि जब ईमेल के जरिए मामलों को सूचीबद्ध किया जा सकता है, तत्काल सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है, अपने निर्णय पर कायम रही। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि प्रत्येक दिन अदालत में मामलों को दोपहर में पेश किया जाता है, और उसके बाद यह निर्णय लिया जाता है कि उन्हें कब सूचीबद्ध किया जाएगा। यह स्थिति उस समय सामने आई, जब कई महत्वपूर्ण नेता इस मामले में शामिल हुए थे।

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ अब तक दायर हुई 11 याचिकाएं

संसद में पास होने के पास से अब तक वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली कुल 11 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में प्रमुख हस्तियों में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, हैदराबाद से सांसद और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्ला खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, केरल की सुन्नी विद्वानों की संस्था 'केरल जमीयतुल उलेमा' और 'सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया' के प्रतिनिधि शामिल हैं। ये नेता वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर अपनी आपत्तियां जता रहे हैं।

लोकसभा में 12 घंटे और राज्यसभा में 14 घंटे की सुनवाई के बार पारित हुआ था बिल

पार्लियामेंट के दोनों सदनों में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर लंबी बहस के बाद इसे पास किया गया था। लोकसभा में 2 अप्रैल को 12 घंटे की चर्चा हुई, जिसके बाद वोटिंग में 288 वोट पक्ष में और 232 वोट विपक्ष में पड़े। इसके बाद, 3 अप्रैल को राज्यसभा में भी 14 घंटे की लंबी बहस हुई और रात 3 बजे वोटिंग हुई, जिसमें पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 95 वोट थे। इसके बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अधिनियम को अपनी मंजूरी दी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी हुआ था वक्फ बिल पर हंगामा

संसद में वक्फ संशोधन अधिनियम की मंजूरी के बाद, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी इस कानून को लेकर भारी हंगामा हुआ था। नेशनल कांफ्रेंस (NC) के विधायकों ने वेल में आकर इसका विरोध किया था, और इस पर नारेबाजी की थी। इस मुद्दे ने संसद से लेकर राज्य विधानसभाओं तक व्यापक चर्चा और विरोध का कारण बना है।

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