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सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा, 'मस्जिद में जय श्रीराम का नारा लगाना अपराध कैसे?', जानिए क्या है मामला

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले की एक मस्जिद में कुछ लोगों ने 'जय श्रीराम' का नारा लगाया था। अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है, जहां कोर्ट ने पूछा ये अपराध कैसे है।
02:58 PM Dec 16, 2024 IST | Girijansh Gopalan
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान वकील से पूछा कि जय श्री राम का नारा लगाना अपराध कैसे है।

मस्जिद में 'जय श्री राम' के नारे लगाने को लेकर दर्ज केस रद्द करने वाले मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा है कि वह याचिका की कॉपी कर्नाटक सरकार को सौंपे। वहीं राज्य सरकार से जानकारी लेने के बाद कोर्ट जनवरी में इस मामले पर सुनवाई करेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते ही पहले ये पूछा कि जय श्री राम नारा लगाना अपराध कैसे है?

क्या है मामला

दरअसल दक्षिण कन्नड़ जिले में 2 लोगों ने मस्जिद में घुसकर जय श्री राम का नारा लगाया था। जिसके बाद ये मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान इसे रद्द कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। वहीं हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कनार्टक सरकार को इस केस में नोटिस जारी करने से मना कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा ये कैसे अपराध

वहीं मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शुरू में पूछा- 'यह अपराध कैसे है?' इस पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अगर एक समुदाय के धार्मिक स्थल पर, दूसरे समुदाय के नारे लगाने की अनुमति दी जाती है, तो इससे सांप्रदायिक विवाद पैदा होगा। बता दें कि इस मामले को लेकर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले के कडाबा तालुका के रहने वाले याचिकाकर्ता हैदर अली के लिए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत पेश हुए थे। वहीं जस्टिस पंकज मिथल और संदीप मेहता की बेंच ने उनसे मामला समझने की कोशिश करते हुए पूछा कि धार्मिक मामला लगाना अपराध कैसे कहा जा सकता है? इस पर कामत ने कहा कि यह दूसरे मजहब के धर्मस्थल में ज़बरन घुसने और धमकाने का भी मामला है। वहां पर अपने धर्म का नारा लगाकर आरोपियों ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है।

सीआरपीसी की धारा 482 का गलत इस्तेमाल

वकील कामत ने आगे कहा कि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 482 का गलत इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच पूरी होने से पहले ही हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी है। इस पर सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि उन्हें देखना होगा कि आरोपियों के खिलाफ क्या सबूत हैं और उनकी रिमांड मांगते समय पुलिस ने निचली अदालत से क्या कहा था?

इनके खिलाफ दर्ज हुआ था केस

बता दें कि बीते 13 सितंबर को हाई कोर्ट ने मस्ज़िद में 'जय श्रीराम' का नारा लगाने वाले 2 लोगों कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द कर दी थी। वहीं इन दोनों के खिलाफ आईपीसी की 447, 295 A और 506 जैसी धाराओं के तहत अवैध प्रवेश, धर्मस्थल पर भड़काऊ हरकत करने और धमकी देने का केस दर्ज हुआ था। लेकिन हाई कोर्ट के जस्टिस नागप्रसन्ना की बेंच ने कहा था कि इलाके में लोग सांप्रदायिक सौहार्द के साथ रह रहे हैं। वहीं 2 लोगों के कुछ नारा लगा देने को दूसरे धर्म का अपमान नहीं कहा जा सकता है, इस आधार पर हाई कोर्ट ने एफआईआर निरस्त कर दी थी।

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