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सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए इतने लोगों की हुई मौत, आंकड़ा सुनकर चौंक जाएंगे आप

देश में हर साल सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए सैंकड़ों कर्मचारियों की मौत हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीवर में कौन सा गैस बनता है, जो खतरनाक होता है।
11:42 PM Dec 18, 2024 IST | Girijansh Gopalan
सीवर टैंक में सफाई करते हुए हर साल सैंकड़ों कर्मचारियों की मौत होती है।

देश में हर साल सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए कर्मचारियों की मौत की खबर आप सुनते होंगे। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि बीते कुछ सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए कितने लोगों की मौत हुई है। केंद्र सरकार ने बताया है कि पिछले 5 बरस में सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए कितने कर्मचारियों की मौत हुई है।

जहरीली गैस के कारण जाती है जान

भारत में सीवर सफाई करना कई लोगों के जान का सौंदा हो जाता है। हर साल हमारे देश में सैकड़ों लोग सीवर सफाई जैसा काम करने में अपनी जान गंवा देते हैं। कई बार सीवर टैंक में उतरते ही जहरीली गैस से लोगों की जान चली जाती है। अधिकांश जगहों पर सीवर टैंक में जान जाने के पीछे की वजह जहरीली गैस होती है, जिसकी चपेट में आने से कर्मचारियों की जान चली जाती है।

5 सालों में गई इतने कर्मचारियों की जान

बता दं कि केंद्र सरकार ने बताया है कि कि पिछले पांच सालों में हाथ से मैनुअल स्कैवेंजिंग से किसी कामगार की मौत नहीं हुई है। हालांकि सरकार ने एक आंकड़े के जरिए ये जरूर बताया है कि पिछले 5 बरस में सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए 419 लोगों की मौत हो चुकी है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए 419 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने यह जानकारी लिखित रूप में दी है।

इस राज्य में गई इतने लोगों की जान

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करते हुए तमिलनाडु से 67, महाराष्ट्र से 63, उत्तर प्रदेश से 49, गुजरात से 49 और दिल्ली से 34 मौते हुई हैं। इन राज्यों में सीवर और सेप्टिक टैंक मौतों की संख्या सबसे अधिक है।

ये होती हैं खतरनाक गैस

विशेषज्ञों के मुताबिक सेप्टिक टैंक हमेशा बंद रहता है, ऐसे में सीवेज और गंदे पानी की वजह से टैंक में मीथेन गैस की अधिकता हो जाती है। जब कभी सफाईकर्मी सेप्टिक टैंक में उतरता है, तो मीथेन गैस की गंध की तीव्रता सांस लेते ही सीधे दिमाग तक अटैक करती है। इसके असर से व्यक्ति बेहोश हो जाता है। वहीं सेफ्टी टैंक के अंदर बेहोश होने पर इंसान की मौत हो जाती है।

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