होटल नहीं, अब कार में भी रोमांस! बेंगलुरु में कपल्स के लिए लांच हुई स्पेशल 'स्मूच कैब्स' सर्विस
Smooch cabs: बेंगलुरु के भीषण ट्रैफिक जाम में अब एक मीठी राहत मिलने वाली है। एक नए स्टार्टअप ने कपल्स के लिए 'स्मूच कैब्स' नाम की अनोखी सर्विस लॉन्च की है, जहां जोड़े बिना किसी डिस्टर्बेंस के अपना 'क्वालिटी टाइम' बिता सकते हैं। ये कैब्स होटल रूम्स की जरूरत को कम करने वाली साबित हो सकती हैं, लेकिन इसके साथ ही विवादों का साया भी इस पर मंडरा रहा है।
क्या है स्मूच कैब्स का कॉन्सेप्ट?
इस नई सर्विस का सिंपल सा आइडिया है कि कपल्स को एक सुरक्षित और प्राइवेट स्पेस देना जहां वे आराम से क्वालिटी टाइम बिता सकें। ओला-उबर से अलग, इन कैब्स में गंतव्य तक पहुंचना मुख्य मकसद नहीं है। बल्कि, ड्राइवर शहर के चक्कर लगाता रहता है, जबकि यात्री पीछे बैठकर अपना वक्त एन्जॉय करते हैं। कंपनी का दावा है कि यह सेवा उन युवा जोड़ों के लिए वरदान है जिनके पास प्राइवेट वाहन नहीं है। साथ ही जिनके पास समय की कमी होती है उनके लिए भी यह न्यू कार सर्विस इंट्रेस्टिंग साबित हो सकती है।
कंपनी प्राइवेसी का रखेगी पूरा ख्याल
Smooch cabs को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। कारों में एक्स्ट्रा डार्क टिंटेड विंडोज लगी हैं जो बाहर से अंदर का नजारा नहीं देखने देतीं। ड्राइवर्स को सख्त हिदायत है कि वे यात्रियों को परेशान न करें। कुछ चालक तो नॉइज कैंसलिंग हेडफोन्स पहनकर चलते हैं ताकि पीछे की सीट पर चल रही किसी भी एक्टिविटी से अनजान रहें। एक ग्राहक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "जब आप बेंगलुरु जैसे शहर में रहते हैं जहां प्राइवेसी मिलनी मुश्किल है, तो ऐसी सर्विस वरदान से कम नहीं।"
ट्रैफिक पुलिस की बढ़ती चिंताएं
लेकिन यह नवाचार ट्रैफिक अधिकारियों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। शहर की पहले से ही खराब यातायात स्थिति पर ये कैब्स नई मुसीबत लेकर आई हैं। कई बार ये वाहन पीक आवर्स में भी सड़क किनारे खड़े मिलते हैं। एक ट्रैफिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारे लिए यह नई चुनौती है। कई बार जब हम वाहन रोकते हैं तो ड्राइवर बताते हैं कि यात्री सो रहे हैं।"
इस नए ट्रेंड के साथ गहराता सांस्कृतिक विवाद
इस सेवा ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। जहां युवा वर्ग इसे आधुनिक जरूरत बता रहा है, वहीं रूढ़िवादी समूहों ने इसे भारतीय संस्कृति के विरुद्ध बताया है। कुछ राजनीतिक दलों ने तो इसे बैन करने की मांग तक शुरू कर दी है। समाजशास्त्री डॉ. मीनाक्षी शर्मा का कहना है कि यह सेवा समाज में बदलती मानसिकता को दर्शाती है और इसे शहरी जीवन की नई चुनौती के रूप में देखना चाहिए।
क्या दिल्ली-मुंबई में भी आएगी यह सर्विस?
विवादों के बावजूद, स्मूच कैब्स की डिमांड काफ़ी बढ़ रही है। कंपनी के सूत्रों के अनुसार वे जल्द ही दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में भी यह सर्विस लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही उनकी योजना महिला ड्राइवर्स को नियुक्त करने और सुरक्षा मानकों को और मजबूत करने की भी है। जैसे-जैसे यह चर्चा बढ़ रही है, उतना ही स्पष्ट होता जा रहा है कि भारतीय शहरों में सार्वजनिक स्पेस और निजता की अवधारणाएं तेजी से बदल रही हैं।
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