होटल-रेस्टोरेंट की मनमानी खत्म! सर्विस चार्ज पर हाईकोर्ट की सख्त रोक
High court's decision on service charge: अगर आप कभी होटल या रेस्टोरेंट गए होंगे, तो आपने बिल में एक अतिरिक्त चार्ज देखा होगा जिसे "सर्विस चार्ज" कहा जाता है। यह चार्ज 5% से 10% तक हो सकता है, यानी अगर आपका कुल बिल 1000 रुपये हुआ, तो आपको 50 से 100 रुपये ज्यादा चुकाने पड़ते थे। यह चार्ज अनिवार्य रूप से जोड़ा जाता था, चाहे ग्राहक सेवा से संतुष्ट हो या न हो। लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी है। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के 2022 में जारी दिशा-निर्देशों को सही ठहराते हुए कहा कि होटल और रेस्टोरेंट बिल में स्वचालित रूप से सर्विस चार्ज नहीं जोड़ सकते। हाईकोर्ट ने इस फैसले के साथ ही रेस्तरां संघ पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
सर्विस चार्ज पर विवाद क्यों उठा?
सर्विस चार्ज का विरोध उपभोक्ता संगठनों ने लंबे समय से किया था। उनका कहना था कि यह ग्राहक की इच्छा के बिना जोड़ा जाता है, जो कि अनुचित व्यापार प्रथा है। दूसरी ओर, नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) ने इसे जायज ठहराया और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। उनका तर्क था कि कोई कानून रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज लगाने से नहीं रोकता और इसे प्रतिबंधित करना उनके अधिकारों का हनन होगा।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि कोई भी होटल या रेस्टोरेंट ग्राहक को सर्विस चार्ज देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। यह पूरी तरह से ग्राहक की मर्जी पर निर्भर करेगा कि वह सेवा से खुश होकर अतिरिक्त भुगतान करना चाहता है या नहीं।
क्या होगा इस फैसले का असर?
अब रेस्टोरेंट बिल में पहले से सर्विस चार्ज जोड़ नहीं सकेंगे। ग्राहक को यह तय करने का अधिकार होगा कि वह सेवा के बदले कोई अतिरिक्त रकम देना चाहता है या नहीं। अगर कोई होटल या रेस्टोरेंट फिर भी बिल में सर्विस चार्ज जोड़ता है और ग्राहक से इसे जबरदस्ती वसूलने की कोशिश करता है, तो ग्राहक इसकी शिकायत कर सकता है।
सर्विस चार्ज और टिप में क्या फर्क है?
बहुत से लोग सर्विस चार्ज और टिप को एक ही मानते हैं, लेकिन दोनों में बड़ा फर्क है। टिप पूरी तरह से ग्राहक की मर्जी पर निर्भर करती है। अगर कोई ग्राहक किसी वेटर की सेवा से खुश होता है, तो वह अपनी इच्छा से कुछ पैसे दे सकता है। लेकिन सर्विस चार्ज एक अनिवार्य शुल्क था, जो बिना पूछे ही बिल में जोड़ दिया जाता था।
फैसले के बाद से क्या होगा बदलाव?
अब इस फैसले के बाद ग्राहक के पास यह अधिकार होगा कि वह बिना किसी दबाव के तय कर सके कि उसे अतिरिक्त भुगतान करना है या नहीं। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो बिना मर्जी के यह शुल्क देने को मजबूर होते थे। वहीं, रेस्टोरेंट को भी अब स्पष्ट करना होगा कि उनके बिल में कोई अनावश्यक शुल्क नहीं जोड़ा गया है। वही अगर आप अगली बार किसी होटल या रेस्टोरेंट में जाएं और बिल में सर्विस चार्ज जोड़ा गया हो, तो अब आप इसे हटाने के लिए कह सकते हैं। यह पूरी तरह से आपकी मर्जी पर निर्भर करेगा, न कि रेस्टोरेंट की शर्तों पर।
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