संभल की दीवारों पर लगे फिलिस्तीन के पोस्टर्स, इजराइली प्रोडक्ट्स के बायकॉट की अपील—क्या सांप्रदायिक तनाव भड़काने की चल रही साजिश?
Sambhal Palestine poster controversy: उत्तर प्रदेश के संभल में फिलिस्तीन और गाजा के समर्थन में पोस्टर लगे हुए दिखाई दिए हैं, जिनमें इजराइली प्रोडक्ट्स के बायकॉट की भी अपील की गई है। ये पोस्टर मदरसों, दुकानों, पुलिस चौकियों और बिजली के खंभों पर नजर आए। बता दें कि इजराइल-हमास युद्ध में 50,000 फिलिस्तीनियों की मौत के बाद ये पोस्टर “फ्री गाजा, फ्री फिलिस्तीन” का नारा बुलंद कर रहे हैं। लेकिन X पर कुछ यूजर्स इसे भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश बता रहे हैं।आइए, मामले को विस्तार से जानते हैं...
संभल पोस्टर विवाद: क्या है पूरा मामला?
दरअसल संभल के नरौली इलाके में दुकानों, मदरसों, पुलिस चौकियों और बिजली के खंभों पर “फ्री गाजा, फ्री फिलिस्तीन” के पोस्टर लगे दिखे हैं। इनमें मुस्लिमों से इजराइली प्रोडक्ट्स और उनसे जुड़े सामान का बायकॉट करने की अपील की गई। पोस्टरों में इजराइली सामान को “सुअर के गोश्त” और “शराब” की तरह “हराम” बताया गया, साथ ही बायकॉट करने योग्य प्रोडक्ट्स की सूची दी गई। यह कदम 7 अक्टूबर 2023 से चल रहे इजराइल-हमास युद्ध के संदर्भ में है, जिसमें 50,000 फिलिस्तीनी मारे गए।
क्या है पोस्टर का संदेश?
पोस्टरों में लिखा है कि “तमाम मुसलमानों पर इजराइली सामान और इससे जुड़े हर प्रोडक्ट का बायकॉट फर्ज है। इजराइली सामान खरीदना सूअर का गोश्त खाने या शराब पीने जितना हराम है।” ये पोस्टर संभल में माहौल गरमाने का कारण बने। X पर कुछ यूजर्स ने इसे फिलिस्तीन की मदद का तरीका बताया, जबकि कुछ ने सवाल उठाया कि मुस्लिम समुदाय को “पाकिस्तान या कश्मीर में हिंदुओं पर हमलों” की चिंता क्यों नहीं।
संभल में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा?
इससे पहले नवंबर 2024 में संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई। योगी सरकार ने 100 उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक किए। इसने संभल को संवेदनशील बना दिया। अब फिलिस्तीन समर्थन पोस्टरों ने नया विवाद खड़ा किया।कुछ यूजर्स इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश मान रहे हैं। पुलिस ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया।
इजराइल-हमास युद्ध का वैश्विक संदर्भ
7 अक्टूबर 2023 से इजराइल-हमास युद्ध में गाजा में भारी तबाही हुई। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 50,000 लोग मारे गए, जिनमें बच्चे और महिलाएँ भी शामिल हैं। वैश्विक BDS (बायकॉट, डिवेस्टमेंट, सैंक्शन्स) आंदोलन ने इजराइली प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की माँग को बढ़ाया। संभल के पोस्टर इस आंदोलन का हिस्सा लगते हैं, लेकिन स्थानीय संवेदनशीलता ने इसे विवादास्पद बना दिया।
मामले के क्या हो सकते हैं मायने?
संभल के पोस्टर वैश्विक फिलिस्तीन समर्थन का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन स्थानीय संदर्भ में यह तनाव बढ़ा रहे हैं। पुलिस की चुप्पी और X पर चल रही बहस इसे सांप्रदायिक रंग दे रही है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट को ऐसी घटनाओं पर नजर रखनी होगी, जैसा कि निशिकांत दुबे के बयान में देखा गया। क्या यह सिर्फ फिलिस्तीन के लिए समर्थन है, या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश? यह सवाल बहस का केंद्र बना हुआ।
यह भी पढ़ें: