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सज्जाद गुल ने रची थी पहलगाम हमले की साजिश, हाफिज सईद का है दायां हाथ

जम्मू-कश्मीर की वादियों में बसे पहलगाम की खूबसूरत घाटी इस बार 26 मासूम लोगों की चीखों से गूंज उठी। निर्दोष नागरिकों पर हुए एक बर्बर आतंकी हमले की जिम्मेदारी TRF यानी The Resistance Front ने ली है। यह आतंकी संगठन...
02:57 PM Apr 23, 2025 IST | Sunil Sharma

जम्मू-कश्मीर की वादियों में बसे पहलगाम की खूबसूरत घाटी इस बार 26 मासूम लोगों की चीखों से गूंज उठी। निर्दोष नागरिकों पर हुए एक बर्बर आतंकी हमले की जिम्मेदारी TRF यानी The Resistance Front ने ली है। यह आतंकी संगठन नाम से भले ही कोई "विदेशी संगठन" लगे, लेकिन इसके तार सीधे पाकिस्तान की सरज़मीं से जुड़े हैं। और इस पूरे खूनी खेल का सूत्रधार है — सज्जाद गुल। लश्कर-ए-तैयबा के मुख्य कर्ता-धर्ताओं में एक यही आदमी TRF की कमान संभाल रहा है और भारत के खिलाफ साजिशों की स्क्रिप्ट लिख रहा है।

कौन है सज्जाद गुल?

सज्जाद गुल को हाफिज सईद का दायां हाथ कहा जाता है। भारत की खुफिया एजेंसियां इसे सालों से ढूंढ रही हैं और इसके सिर पर भारी भरकम इनाम भी घोषित किया गया है। TRF के ज़रिए सज्जाद गुल आतंक को नया चेहरा दे रहा है — ऐसा चेहरा जो देखने में "लोकल" लगे लेकिन पीछे बैठा पाकिस्तान खुलकर खेल खेल रहा हो।

TRF: लश्कर का नया नाम, पाकिस्तान की नई चाल

TRF को पाकिस्तान ने 2019 में तब तैयार किया जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। इसके बाद ISI और पाक सेना ने मिलकर एक ऐसा संगठन बनाया जिसे स्थानीय कश्मीरी संगठन की तरह पेश किया जा सके। ताकि दुनिया की नजरों में पाकिस्तान को सीधे न घसीटा जाए। पहले TRF सिर्फ लश्कर के हमलों को 'कवर' करने का काम करता था, लेकिन जल्द ही ये खुद ही सक्रिय हो गया — और अब ये सबसे खतरनाक प्रॉक्सी आतंकी संगठन बन चुका है।

टारगेट किलिंग का एक्सपर्ट है TRF

TRF का काम सिर्फ धमाका करना नहीं, बल्कि सोची-समझी हत्याएं करना है। यह संगठन गैर-कश्मीरियों, अल्पसंख्यकों और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाता है। इसका मकसद है डर और भ्रम का ऐसा माहौल बनाना कि कश्मीर फिर 90 के दशक की आग में झुलस जाए। इस बार भी पहलगाम में धर्म पूछकर लोगों को गोली मारी गई। 2022 की सरकारी रिपोर्ट भी TRF की बढ़ती ताकत की पुष्टि करती है। उस साल कश्मीर में हुए कुल आतंकी ऑपरेशनों में TRF के 108 आतंकी मारे गए, और 100 से अधिक नए लड़कों की भर्ती भी इसी संगठन ने की थी।

पहला हमला, पहली सनक

TRF का नाम पहली बार 2020 में कुलगाम आतंकी हमले के साथ सामने आया, जहां बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारा गया था। तब से लेकर अब तक ये संगठन हर उस शख्स को टारगेट कर रहा है जो घाटी में शांति की बात करता है। सज्जाद गुल और उसका TRF सिर्फ आतंक नहीं फैला रहे, ये दुनिया को भ्रमित करने की एक बड़ी चाल है। ये आतंकी संगठन उस विचारधारा का नया मुखौटा है जिसे पाकिस्तान ने सालों से पाला-पोसा है।

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