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वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक में हंगामा, 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड, बुलाने पड़े मार्शल

वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक में हंगामा, 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड। असदुद्दीन ओवैसी, कल्याण बनर्जी समेत कई नेताओं का आरोप, समय नहीं दिया गया।
06:28 PM Jan 24, 2025 IST | Girijansh Gopalan
वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक में हंगामा।

वक्फ संशोधन बिल पर बनी जॉइंट पार्लियामेंटरी कमेटी (जेपीसी) की बैठक में जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने बैठक में अपना विरोध जताया, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इस हंगामे के चलते जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को शांति बनाए रखने के लिए मार्शल बुलाने पड़े। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सस्पेंशन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे चेयरमैन ने स्वीकार कर लिया। बैठक में असदुद्दीन ओवैसी, इमरान मसूद, कल्याण बनर्जी समेत कुल 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया। इन सांसदों का आरोप था कि उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है और उन्हें उचित समय नहीं दिया जा रहा है। यह हंगामा उस समय हुआ जब कमेटी की बैठक में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा हो रही थी।

हंगामे की वजह क्या थी?

जेपीसी की बैठक में विपक्षी दलों का आरोप था कि वक्फ संशोधन बिल पर होने वाली चर्चा के लिए निर्धारित समय बहुत कम दिया गया था। पहले 24 और 25 जनवरी को बैठक की तारीख तय की गई थी, लेकिन अचानक 27 जनवरी कर दी गई। विपक्षी सांसदों ने मांग की थी कि क्लॉज बाय क्लॉज संशोधन पर चर्चा के लिए 31 जनवरी तक समय दिया जाए, ताकि पूरे बिल पर गहराई से विचार किया जा सके। लेकिन कमेटी के अध्यक्ष इस बात के लिए तैयार नहीं थे। अरविंद सावंत (शिवसेना) ने कहा कि हम चाहते थे कि 31 जनवरी को क्लॉज बाय क्लॉज चर्चा हो, लेकिन सरकार ने 27 जनवरी की तारीख तय कर दी। इस पर विपक्षी सांसदों ने विरोध किया और हंगामा शुरू कर दिया।

क्या है वक्फ संशोधन बिल?

वक्फ बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुधारना है। यह बिल वक्फ बोर्ड के कामकाज को ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि इस बिल के माध्यम से कुछ खास समुदायों के हितों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। इसलिए, उन्हें इस पर और अधिक चर्चा करने का समय चाहिए था।

कौन-कौन से सांसद सस्पेंड हुए?

जेपीसी की बैठक में असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), इमरान मसूद (कांग्रेस), कल्याण बनर्जी (टीएमसी), अरविंद सावंत (शिवसेना), नासिर हुसैन (कांग्रेस), ए राजा (डीएमके), मोहिबुल्लाह नदवी (एआईएमआईएम), एमएम अब्दुल्ला (एनसी), नदीमुल हक (सीपीआई), और मोहम्मद जावेद (सीपीएम) को सस्पेंड किया गया। इन सांसदों का कहना था कि सरकार जानबूझकर उनके सवालों का जवाब नहीं दे रही है और उनकी बातों को अनदेखा किया जा रहा है।

क्या बोले सस्पेंड हुए सांसद?

सस्पेंड होने के बाद इन सांसदों ने कहा कि सरकार विपक्ष की बातों को सुनने को तैयार नहीं है और उसे केवल अपने फैसले ही लागू करने हैं। अरविंद सावंत ने कहा, "हमें समय नहीं दिया जा रहा है, और 27 जनवरी की तारीख के लिए हम तैयार नहीं थे। हम चाहते थे कि इस पर और गहराई से चर्चा हो।"

क्या है जेपीसी और इसके कामकाज की अहमियत?

जेपीसी यानी जॉइंट पार्लियामेंटरी कमेटी, संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। यह कमेटी किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर विस्तृत जांच करती है और अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। इस कमेटी की बैठक में सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका मिलता है, लेकिन अगर सदस्यों में मतभेद होते हैं, तो इससे हंगामा हो सकता है, जैसा कि आज हुआ। वक्फ बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट 500 पन्नों की हो सकती है, जो आगे बजट सत्र में संसद में पेश की जाएगी। इस रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों से जुड़े सभी विवादों और सुधारों पर चर्चा होगी। इस रिपोर्ट के बाद वक्फ बिल संसद में पेश किया जाएगा और उस पर वोटिंग होगी।

 क्या होगा आगे?

अभी तक की स्थिति से लगता है कि विपक्षी दल इस बिल के विरोध में एकजुट हो सकते हैं। यह विवाद संसद में भी जारी रह सकता है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि इस बिल पर और विस्तार से चर्चा होनी चाहिए, ताकि किसी भी पक्ष का नुकसान न हो। वहीं, सरकार का कहना है कि यह बिल देशहित में है और इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।

क्या सुलझेगा यह विवाद?

अब सवाल यह है कि इस विवाद का समाधान कब निकलेगा। क्या सरकार विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस बिल पर और चर्चा के लिए समय देगी? या फिर यह विवाद इसी तरह बढ़ता जाएगा? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिल सकता है, लेकिन फिलहाल यह मामला गर्मा गया है और आगे और राजनीतिक हलचल हो सकती है।

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