RSS: 'काशी- मथुरा विवाद में शामिल होंगे स्वयंसेवक...! क्या बोले RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ?
RSS on Mathura- Kashi dispute: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ में ज्ञानपावी विवाद को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का बड़ा बयान आया है। (RSS on Mathura- Kashi dispute) RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का कहना है कि अगर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म भूमि और काशी विश्वनाथ में ज्ञानवापी से जुड़े विवाद के समाधान के लिए काम करना चाहते हैं, तो संगठन को कोई परेशानी नहीं होगी। मगर इसके साथ ही उन्होंने एक चेतावनी भी दी।
मथुरा-काशी विवाद पर क्या बोले होसबोले ?
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ में ज्ञानवापी विवाद चर्चा में है। (RSS on Mathura - Kashi dispute) इस बीच इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का बड़ा बयान आया है। RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अगर RSS के स्वयंसेवक मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद से जुड़े कामों में हिस्सा लेना चाहते हैं, तो इसमें संगठन को कोई परेशानी नहीं हैं।
'1984 में तीन मंदिरों की बात की थी...'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का कहना है कि 1984 में विश्व हिंदू परिषद और साधु-संतों ने अयोध्या के राम मंदिर, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म भूमि और काशी में विश्वनाथ मंदिर को लेकर बात की थी। अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इन तीन मंदिरों के मामले में एकजुट होना चाहते हैं, तो हम उन्हें नहीं रोकेंगे। संघ को इससे कोई परेशानी नहीं है। RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कन्नड में प्रकाशित मुखपत्र में यह बात कही।
RSS महासचिव ने दी क्या चेतावनी?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ में ज्ञानवापी विवाद के समाधान में स्वयं सेवकों के शामिल होने पर आपत्ति नहीं होने की बात कही। मगर इसके साथ ही उन्होंने एक चेतावनी भी दी। RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि सभी मस्जिदों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर किए जाने वाले प्रयास गलत हैं। उन्होंने इससे संभावित सामाजिक कलह से बचने की जरुरत जताई। होसबोले ने कहा कि मौजूदा दर में गौहत्या, लव जिहाद और धर्मांतरण बड़ी चिंताएं हैं। मगर हमें इनके अलावा संस्कृति को बचाने और भाषा को सुरक्षित रखने के प्रयास भी करने होंगे।
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