रतन टाटा की वसीयत: दान में गया बड़ा हिस्सा, जानिए परिवार और करीबियों में कैसे बंटी संपत्ति?
भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का अक्टूबर 2024 में 86 साल की उम्र में निधन हो गया, लेकिन उनकी वसीयत अब चर्चा में है। करोड़ों की संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान में देने वाले रतन टाटा ने अपने परोपकारी मूल्यों को आखिरी वक्त तक जिंदा रखा। उनकी 3,800 करोड़ की संपत्ति में से ज्यादातर हिस्सा उनकी बनाई संस्थाओं को मिला, जबकि बाकी परिवार और करीबियों में बंटा। खास बात ये कि वसीयत में "नो-कंटेस्ट क्लॉज" जोड़ा गया, जिसने सबको चौंका दिया। आइए, इसे आसान और रोचक अंदाज में समझते हैं।
दान में गया संपत्ति का बड़ा हिस्सा
रतन टाटा की कुल संपत्ति करीब 3,800 करोड़ रुपये की थी, जिसमें टाटा संस के शेयर मुख्य हैं। इस संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा उनके द्वारा शुरू की गई दो संस्थाओं - रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट (RTET) को दान कर दिया गया। ये संस्थाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के लिए काम करती हैं, जो रतन टाटा के जीवन का मिशन रहा। उनकी ये सोच दिखाती है कि वो अपनी संपत्ति से समाज को बेहतर बनाना चाहते थे, न कि सिर्फ अपने लिए रखना।
"नो-कंटेस्ट क्लॉज" रहा बड़ा ट्विस्ट
वसीयत में एक खास शर्त ने सबका ध्यान खींचा - "नो-कंटेस्ट क्लॉज"। इसका मतलब है कि अगर कोई लाभार्थी वसीयत को कोर्ट में चुनौती देगा, तो उसे उसका सारा हिस्सा गंवाना पड़ेगा। ये शर्त इसलिए रखी गई, ताकि टाटा संस के शेयर बिक न सकें और संपत्ति उनके तय उद्देश्य के लिए ही इस्तेमाल हो। ये एक सख्त कदम है, जो रतन टाटा की दूरदर्शिता और अपने फैसले पर अटल रहने की सोच को दिखाता है।
परिवार को क्या मिला?
रतन टाटा ने अपनी निजी संपत्ति का भी बंटवारा किया, जिसका मूल्य करीब 800 करोड़ रुपये है। इसमें बैंक डिपॉजिट (385 करोड़), 11 लग्जरी कारें, 65 महंगी घड़ियां (चोपार्ड, पाटेक फिलिप), 52 ब्रांडेड पेन (कार्टियर, मॉन्ट ब्लांक), पेंटिंग्स और आभूषण शामिल हैं। इस संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा उनकी सौतेली बहनों शिरीन जेजेभोय और डीना जेजेभोय को मिला। उनके भाई जिमी टाटा को मुंबई के जुहू में पारिवारिक संपत्ति का हिस्सा और कुछ आभूषण दिए गए। परिवार को सम्मान मिला, पर दान को प्राथमिकता रही।
करीबियों का भी रखा ख्याल
रतन टाटा ने अपने करीबियों को भी नहीं भूला। उनके लंबे समय के सहयोगी मोहिनी एम दत्ता को निजी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा दिया गया। मोहिनी टाटा ग्रुप में उनकी भरोसेमंद साथी रहे। इसके अलावा, उनके दोस्त मेहली मिस्त्री को अलीबाग की संपत्ति (6.16 करोड़ रुपये) मिली। ये दिखाता है कि रतन टाटा ने उन लोगों को भी याद रखा, जो उनके जीवन में अहम रहे, लेकिन उनकी मुख्य मंशा समाज सेवा ही रही।
वसीयत से क्या संदेश?
रतन टाटा की वसीयत उनके जीवन मूल्यों का आईना है। संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान में देना, "नो-कंटेस्ट क्लॉज" से अपने फैसले को अटल रखना और परिवार-करीबियों को सीमित लेकिन सम्मानजनक हिस्सा देना - ये सब उनकी सादगी और परोपकार की सोच को दिखाता है। टाटा संस के शेयरों को दान में देकर उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनका बिजनेस सामाजिक भलाई के लिए काम करता रहे। ये वसीयत सिर्फ संपत्ति का बंटवारा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है।
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