‘जुगनू की कुछ औलादों ने...’, राणा सांगा विवाद पर कुमार विश्वास के शाब्दिक बाणों ने मचाया तहलका
Rana Sanga Kumar Vishwas Controversy: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने हाल ही में संसद में राणा सांगा को "गद्दार" कहकर एक नया सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। उनके बयान ने न सिर्फ बीजेपी और हिंदू संगठनों को भड़काने का काम किया, बल्कि सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक हंगामा मचा दिया है। इस बीच, मशहूर कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविता "महाराणा सांगा" के ज़रिए शब्दों के तीखे बाण चलाए, जो अब वायरल हो रहे हैं। तो आइए, देखते हैं कि इस सियासी ड्रामे में क्या हुआ और कुमार विश्वास ने क्या कहा।
रामजी लाल सुमन का बयान: आग में घी
21 मार्च 2025 को राज्यसभा में गृह मंत्रालय की चर्चा के दौरान रामजी लाल सुमन ने कहा, "BJP का तकियाकलाम है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। लेकिन बाबर को लाया कौन? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को बुलाया। मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो। बाबर की आलोचना होती है, तो राणा सांगा की क्यों नहीं?" इस बयान ने तुरंत विवाद की आग भड़का दी। बीजेपी ने इसे "हिंदू समाज का अपमान" करार दिया, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने माफी मांगी, और करणी सेना ने तो सुमन के खिलाफ 5 लाख का इनाम तक रख दिया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बचाव में कहा, "BJP इतिहास पलट रही है, तो हम भी पलटेंगे।"
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कुमार विश्वाश ने कविता रूपी हथियार से किया पलटवार
इस बवाल के बीच कुमार विश्वास ने 24 मार्च 2025 को अपनी कविता "महाराणा सांगा" से सियासी और भावनात्मक हमला बोला। उनकी कविता न सिर्फ राणा सांगा की वीरता का बखान करती है, बल्कि सुमन जैसे नेताओं पर करारा प्रहार भी है। यहाँ कविता के मुख्य अंशों का रोचक अंदाज़ में विश्लेषण समझते हैं:
"जुगनू की कुछ औलादों ने सूरज पर प्रश्न उठाए हैं"
कुमार विश्वास ने सुमन जैसे लोगों को "जुगनू" और राणा सांगा को "सूरज" बताकर तंज कसा। मतलब साफ है—छोटी सोच वाले लोग महान योद्धा की शान को कैसे चुनौती दे सकते हैं?
"मेवाड़-वंश कुल-कीर्तिकोष जिनके होने से दीपित है, उन राणा सांगा के घावों पर कुछ भुनगे मंडराए हैं। बता दें कि यहाँ राणा सांगा के 80 घावों का ज़िक्र है, जो खानवा (1527) में बाबर से लड़ते हुए उन्हें मिले। "भुनगे" कहकर सुमन पर निशाना साधा गया कि वे उनकी शहादत का मज़ाक उड़ा रहे हैं।
"उनसे कह दो अब देश शौर्य की मुठ्ठी खूब तानता है"
यह पंक्ति देशभक्ति का जज़्बा जगाती है। विश्वास कहते हैं कि अब देश ऐसे अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा।
"इतिहास तुम्हारी सरकारों का बंधक नहीं रहेगा अब"
यहाँ सियासत पर सीधी चोट की है, इतिहास को तोड़-मरोड़कर वोट की रोटियाँ सेंकने वालों को चेतावनी दी है।
"यह देश ऋणी है महाराणा सांगा के अस्सी घावों का"
अंत में राणा सांगा की कुर्बानी को सलाम, जो अपने एक हाथ, एक पैर और एक आँख गँवाकर भी बाबर से लड़े।
राणा सांगा: गद्दार या वीर?
रामजी लाल सुमन का दावा था कि "राणा सांगा ने बाबर को बुलाया" इतिहास में विवादास्पद है। कुछ इतिहासकारों (जैसे जीएन शर्मा) का मानना है कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ बाबर से संपर्क किया था, लेकिन पानीपत (1526) के बाद वे बाबर के खिलाफ हो गए। खानवा की लड़ाई में उन्होंने बाबर से जमकर मुकाबला किया, हालाँकि हार गए। बाबर की आत्मकथा "बाबरनामा" में भी सांगा को "शक्तिशाली योद्धा" कहा गया है। सुमन का "गद्दार" तंज इस वीरता को नज़रअंदाज़ करता है, जिसे विश्वास ने अपनी कविता में बखूबी उभारा।
सियासत का रंग: तुष्टिकरण या जवाबी हमला?
सुमन का बयान BJP के "मुगल विरोधी" नैरेटिव का जवाब था, लेकिन "गद्दार" कहकर वे उल्टे फंस गए। BJP ने इसे "तुष्टिकरण" करार दिया, तो सपा ने "इतिहास की सच्चाई" का हवाला दिया। कुमार विश्वास की कविता ने इस बहस को भावनात्मक ऊँचाई दी, जो अब सोशल मीडिया पर "राणा सांगा ट्रेंड" बन गई है।
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