सपा सांसद रामजीलाल फिर हुए लाल: बोले-"हर मंदिर के नीचे है बौद्ध मठ", क्या फिर भड़केगी सियासी आग?
Ramjilal Suman controversy: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। पहले राणा सांगा को "गद्दार" कहकर करणी सेना और राजपूत समाज को नाराज़ किया। अब मंदिरों के विषय में कह दिया है कि "हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ है। इसको लेकर नया सियासी तूफान खड़ा होने के पूरे आसार हैं। वहीं आगरा में 19 अप्रैल को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दौरे से पहले सुमन ने करणी सेना को खुली चुनौती दी है, "मैदान तैयार है, दो-दो हाथ होंगे!" उनके घर पर पहले हमला हो चुका है, और अब उन्होंने हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग की है। आखिर सुमन बार-बार इतने तीखे बयान क्यों दे रहे हैं? क्या यह सियासी रणनीति है, या अनजाने में शुरू हुआ बवाल? चलिए, इस कहानी को सरल अंदाज़ में समझते हैं।
क्या है पूरा मामला? राणा सांगा से लेकर बौद्ध मठ तक
यह विवाद शुरू हुआ 21 मार्च 2025 को, जब रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में एक भाषण दिया। उन्होंने बीजेपी के उस दावे का जवाब दिया, जिसमें कहा जाता है कि "मुसलमानों में बाबर का डीएनए है।" सुमन ने पलटवार करते हुए कहा, "बाबर को भारत में राणा सांगा लाए थे, ताकि वह इब्राहिम लोदी को हरा सके। अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो आप (हिंदू) राणा सांगा की औलाद हैं, जो गद्दार था।" यह बयान राजपूत समाज के लिए आग की तरह फैला। करणी सेना ने इसे अपमान माना और सुमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
बता दें कि 26 मार्च को आगरा में सुमन के घर पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया था। जिसमें गाड़ियाँ तोड़ी गईं, पथराव हुआ, और 14 पुलिसकर्मी घायल हो गए। सुमन उस वक्त दिल्ली में थे, लेकिन इस घटना ने यूपी की सियासत को हिलाकर रख दिया। सुमन ने माफी माँगने से इनकार कर दिया और अब अपने ताज़ा बयान में और आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने आगरा में कहा, "तुम कहते हो हर मस्जिद के नीचे मंदिर है, तो हम कहेंगे हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ है। गड़े मुर्दे मत उखाड़ो!" यह बयान न सिर्फ करणी सेना, बल्कि हिंदू संगठनों को भी भड़का सकता है।
आगरा में करणी सेना को ललकारते हुए क्या बोल गए सुमन?
सुमन ने करणी सेना को सीधे ललकारा है। उन्होंने कहा कि 19 अप्रैल को अखिलेश यादव आगरा आ रहे हैं, और "वहाँ दो-दो हाथ होंगे।" सपा कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश में सुमन ने यह भी कहा कि मैं डरने वाला नहीं हूँ।" अखिलेश यादव ने भी सुमन का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि "रामजीलाल सुमन दलित हैं, उनके साथ हुआ व्यवहार निंदनीय है। जो भी उनके सम्मान को ठेस पहुँचाएगा, सपा उसका जवाब देगी।
लेकिन मामले को लेकर करणी सेना भी पीछे हटने को तैयार नहीं। उनके नेता ओकेंद्र राणा ने कहा कि सुमन ने हमारे गौरव राणा सांगा का अपमान किया। अब बौद्ध मठ वाला बयान और भड़काने वाला है। हम 19 अप्रैल को आगरा में जवाब देंगे।" आगरा में पहले ही भारी पुलिस बल तैनात है, और प्रशासन किसी भी बवाल से बचने की कोशिश में जुटा है।
इस बीच HC से सुमन ने मांगी सिक्योरिटी
26 मार्च के हमले के बाद सुमन और उनके बेटे, पूर्व विधायक रणधीर सुमन, ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने अपने और परिवार की जान को खतरा बताते हुए केंद्रीय सुरक्षा की माँग की है। याचिका में कहा गया है कि करणी सेना और अन्य संगठन उन्हें लगातार धमकी दे रहे हैं। सुमन ने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी माँग की है। कोर्ट ने अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं की, लेकिन यह मामला सियासी और सामाजिक तनाव को और बढ़ा सकता है।
क्यों आ रहे सुमन के ऐसे बयान?
रामजीलाल सुमन के बयानों के पीछे कई थ्योरीज़ हैं:
1. सियासी रणनीति: सपा 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी में है। सुमन का बयान दलित और मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की कोशिश हो सकता है।
2.करणी सेना को जवाब: सुमन शायद करणी सेना के दबाव को कम करने के लिए आक्रामक रुख अपना रहे हैं।
3. इतिहास का हवाला: सुमन ने राणा सांगा और बौद्ध मठ की बात को इतिहास से जोड़ा, लेकिन उनकी टोन को अपमानजनक माना गया।
बता दें कि उनके इस बयान को लेकर X पर लोग बँटे हुए हैं। कुछ का कहना है कि सुमन जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़का रहे हैं, जबकि सपा समर्थक इसे "दलित गौरव" की लड़ाई बता रहे हैं।
क्या रुकने का नाम लेगा यह विवाद?
बता दें कि 19 अप्रैल को अखिलेश के आगरा दौरे से पहले माहौल गरम है। करणी सेना और सपा कार्यकर्ताओं के बीच टकराव की आशंका से पुलिस अलर्ट पर है। सुमन का "बौद्ध मठ" वाला बयान नया विवाद खड़ा कर सकता है, क्योंकि यह हिंदू भावनाओं को आहत करने वाला माना जा रहा है। अगर सुमन अपने बयानों को और तीखा करते गए, तो यह मामला यूपी की सियासत में बड़ा रंग ले सकता है। क्या यह सपा की रणनीति का हिस्सा है, या सुमन का निजी गुस्सा? जवाब शायद आने वाले दिनों में मिले, लेकिन फिलहाल आगरा की सड़कों पर तनाव का बादल मंडरा रहा है।
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