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Rajasthan News: हर जिले में कलर कोडेड मौसम अलर्ट, जानें क्या है वजह और रंगों का मतलब?

राजस्थान ने रिकॉर्ड गर्मी में पहली बार कलर कोडेड अलर्ट सिस्टम शुरू किया। लाल, नारंगी, पीला और हरा अलर्ट हीटवेव से बचाव में मदद करेगा।
12:50 PM Apr 16, 2025 IST | Rohit Agrawal

राजस्थान में अप्रैल 2025 की चिलचिलाती गर्मी ने जनजीवन को झुलसाना शुरू कर दिया है। तापमान 45 डिग्री तक पहुँचने और हीटवेव का खतरा बढ़ने के बीच स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार हर जिले में कलर कोडेड मौसम अलर्ट भेजने की अनोखी पहल शुरू की है। मौसम विभाग की चेतावनियों को लाल, नारंगी, पीला और हरा रंग देकर अधिकारियों और अस्पतालों को सतर्क किया जा रहा है। इसका मकसद है गर्मी से होने वाली बीमारियों को रोकना और तुरंत इलाज सुनिश्चित करना। लेकिन इन रंगों का मतलब क्या है, और यह सिस्टम क्यों शुरू किया गया? आइए, इसकी पूरी कहानी को समझते हैं।

क्यों शुरू हुआ कलर कोडेड अलर्ट सिस्टम?

राजस्थान समेत उत्तर भारत में गर्मी इस बार रिकॉर्ड तोड़ पड़ रही है। बाड़मेर में तापमान 45.6 डिग्री तक पहुँच चुका है, और मौसम विभाग ने कई जिलों में हीटवेव की चेतावनी दी है। ऐसी स्थिति में लू (हीटस्ट्रोक), डिहाइड्रेशन और अन्य गर्मी से जुड़ी बीमारियाँ जानलेवा हो सकती हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मौसम विभाग के साथ मिलकर एक नया कदम उठाया है।

डॉ. नरोत्तम शर्मा, जो इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी हैं, बताते हैं, "हम पहली बार कलर कोडेड अलर्ट भेज रहे हैं। यह सिस्टम जिला अधिकारियों को पहले से तैयार होने में मदद करेगा।" इस पहल का मकसद है कि हर जिले में अस्पताल, दवाएँ, कूलर, पानी और एम्बुलेंस जैसी सुविधाएँ तैयार रहें, ताकि कोई आपात स्थिति न आए।

जानिए क्या है रंगों का मतलब?

मौसम विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने चार रंगों—लाल, नारंगी, पीला और हरा—के जरिए मौसम की गंभीरता को समझाने का सिस्टम बनाया है। इनका मतलब इस तरह है:

लाल अलर्ट (Red Alert): सबसे गंभीर स्थिति। यह तब जारी होता है, जब अत्यधिक गर्मी और लू का खतरा जानलेवा हो। तापमान 45 डिग्री से ऊपर जा सकता है, और लू से मौत का जोखिम बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, बाड़मेर और जैसलमेर में हाल ही में लाल अलर्ट देखा गया। अस्पतालों को आपातकालीन मोड में रहने और मरीजों को तुरंत भर्ती करने का निर्देश होता है।

नारंगी अलर्ट (Orange Alert): गंभीर हीटवेव की स्थिति। यह तब होता है, जब तापमान 43-45 डिग्री के बीच हो और लू का खतरा ज्यादा हो। यह अलर्ट स्कूलों को बंद करने, मजदूरों को दोपहर में काम न करने की सलाह देने और अस्पतालों में अतिरिक्त बेड तैयार करने का संकेत देता है। जैसे, 16 अप्रैल को श्रीगंगानगर, बाड़मेर और बीकानेर में नारंगी अलर्ट था।

 

 

पीला अलर्ट (Yellow Alert): हल्की से मध्यम हीटवेव। यह तब जारी होता है, जब दो दिन तक गर्मी और लू की स्थिति बनी रहे। तापमान 40-43 डिग्री के आसपास रहता है। यह अलर्ट लोगों को सावधानी बरतने—जैसे ज्यादा पानी पीने, धूप से बचने—की सलाह देता है। जयपुर, अलवर और झुंझुनू जैसे जिलों में पीला अलर्ट आम है।

हरा अलर्ट (Green Alert): कोई खतरा नहीं। मौसम सामान्य है, और कोई खास सावधानी की जरूरत नहीं। यह अलर्ट तब जारी होता है, जब तापमान सामान्य सीमा में हो।

स्वास्थ्य विभाग का हीट मैनेजमेंट प्लान

वहीं स्वास्थ्य विभाग इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता। गर्मी से निपटने के लिए हर जिले में पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। सभी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि उनके पास काम करने वाले एयर कंडीशनर, कूलर और साफ पीने का पानी हर वक्त उपलब्ध रहे। डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बताया कि विभाग ने हर अस्पताल से खराब और काम करने वाले एसी-कूलरों की पूरी जानकारी माँगी है। इसके अलावा, एम्बुलेंस को लाइफ-सेविंग उपकरणों के साथ तैयार रखा जा रहा है, ताकि हीटस्ट्रोक या डिहाइड्रेशन के मरीजों को तुरंत मदद मिले। हीटस्ट्रोक की दवाएँ और डायग्नोस्टिक सुविधाएँ हर अस्पताल में स्टॉक में हैं। जिला अधिकारी हर दिन इन सुविधाओं का अपडेट भेज रहे हैं, ताकि कोई कमी न रहे। साथ ही, लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें धूप में कम निकलने, हल्के कपड़े पहनने और ORS का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है।और लू का कोई जोखिम न हो।

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