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पंजाब में बड़ा प्रशासनिक घोटाला! 20 महीने तक मंत्री थे, लेकिन विभाग था ही नहीं

पंजाब में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पिछले 20 महीनों से एक मंत्री जिस विभाग का कामकाज संभाल रहे थे वह विभाग तो कभी था ही नहीं।
12:56 PM Feb 23, 2025 IST | Vyom Tiwari

पंजाब में एक हैरान करने वाला घोटाला सामने आया है। सरकार ने अपने ही एक मंत्री को ऐसे विभाग का जिम्मा दे दिया, जो असल में था ही नहीं! ये सुनने में अजीब लगता है, लेकिन यही सच है। विपक्षी दल अब इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर हमले कर रहे हैं।

दरअसल, पंजाब सरकार ने 20 महीने पहले कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को "प्रशासनिक सुधार विभाग" का मंत्री बना दिया था। इस विभाग का काम था सरकार के प्रशासनिक ढांचे में सुधार करना। लेकिन असली दिक्कत ये थी कि ऐसा कोई विभाग कभी अस्तित्व में था ही नहीं!

ना ऑफिस, ना कर्मचारी, सिर्फ मंत्री!

ना कोई विभाग था, ना कोई कर्मचारी। दफ्तर का नामोनिशान नहीं था, ना ही कभी कोई बैठक हुई। बस एक मंत्री थे, जो पद पर विराजमान थे, मगर उनके अलावा कुछ भी नहीं था – न कोई योजना, न कोई काम, और न ही कोई व्यवस्था।

अब 20 महीने बाद सरकार की नींद खुली और एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया गया कि प्रशासनिक सुधार विभाग नाम का कोई विभाग कभी था ही नहीं। विपक्ष अब सवाल उठा रहा है कि जब विभाग था ही नहीं, तो मंत्री किस चीज के थे?

कुलदीप धालीवाल 20 महीनों तक एक 'गायब' विभाग के मंत्री रहे!

जून 2023 में कुलदीप धालीवाल को प्रशासनिक सुधार और NRI मामलों का मंत्री बनाया गया था। लेकिन अब चौंकाने वाली बात सामने आई है—जिस प्रशासनिक सुधार विभाग की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी, वो असल में था ही नहीं!

धालीवाल करीब 20 महीनों तक इस विभाग के मंत्री बने रहे, लेकिन उन्हें कभी इसका पता ही नहीं चला। या फिर हो सकता है कि उन्होंने पता करने की कोशिश ही नहीं की हो। इस पूरे समय उन्होंने न तो कोई बैठक की और न ही किसी काम की समीक्षा की, क्योंकि ना इस विभाग का कोई ऑफिस था, ना कोई कर्मचारी। फिर भी, वो मंत्री पद संभालते रहे।

अब जाकर सरकार को इस गलती का अहसास हुआ और एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि प्रशासनिक सुधार नाम का कोई विभाग ही नहीं है। इसके बाद धालीवाल से यह जिम्मेदारी हटा दी गई और अब वह सिर्फ NRI मामलों के मंत्री रह गए हैं।

पंजाब में बढ़ी सियासी गर्मी 

पंजाब में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिससे साफ हो गया है कि राज्य को प्रशासनिक सुधार की सख्त जरूरत है। इस मामले ने सियासत भी गरमा दी है। विपक्षी दलों को भगवंत मान सरकार पर हमला करने का एक और मौका मिल गया।

कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल—तीनों ने सरकार को घेरा। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि राज्य की सरकार भगवान भरोसे चल रही है। वहीं, अकाली दल की हरसिमरत कौर ने इसे रिमोट कंट्रोल से चलने वाली सरकार बताया। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सीएम भगवंत मान पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सिर्फ तमाशा देख रहे हैं और उनके फैसलों से सरकार की बदनामी हो रही है।

सफाई में क्या बोले सीएम और मंत्री 

पंजाब में इस मुद्दे पर विवाद के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान और मंत्री कुलदीप धालीवाल ने अपनी सफाई दी है। सीएम मान ने कहा कि पहले यह विभाग "प्रशासनिक सुधार" के नाम से था, जिसे अब नया नाम दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार कुछ विभागों को मिलाकर प्रशासन का खर्च कम करने की कोशिश कर रही है। वहीं, मंत्री कुलदीप धालीवाल ने कहा कि असली मुद्दा पंजाब की सेवा है, न कि किसी विभाग का होना या ना होना।

 

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