बुलडोजर चले, उखड़े टेंट और खुली सड़कें...शंभू-खनौरी बॉर्डर पर क्यों अड़े किसान? जानिए किसान आंदोलन की पूरी कहानी!
Kisan Andolan News: पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर (Shambhu Border) पर पिछले 13 महीनों से चल रहा किसान आंदोलन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। बता दें कि 13 फरवरी 2024 से शुरू हुआ यह प्रदर्शन, जिसमें किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने की कोशिश में थे, हाल ही में पंजाब पुलिस के कड़े ऐक्शन के बाद खत्म होता दिख रहा है। पुलिस ने बुलडोजर से टेंट और बैरिकेड्स हटा दिए हैं, कुछ किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया है और सड़कों को खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आइए, अब तक क्या-क्या हुआ, इसे विस्तार से समझते हैं।
कैसे हुई प्रदर्शन की शुरुआत?
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने 13 फरवरी 2024 को 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू किया था। उनकी मुख्य मांग फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी थी। इसके अलावा, वे कर्जमाफी, सस्ती बिजली, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय, किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी और पेंशन की मांग कर रहे थे। हरियाणा पुलिस ने उन्हें शंभू और खनौरी बॉर्डर पर रोक दिया, जिसके बाद वे वहीं डट गए।
पुलिस का ऐक्शन: खाली कराया शंभू बॉर्डर
19 मार्च 2025 को पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की। हजारों पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ, बुलडोजर और अन्य उपकरणों से किसानों के टेंट, ट्रॉलियां, गाड़ियां और अस्थायी निर्माण हटा दिए गए। शंभू बॉर्डर पर 300 से ज्यादा किसान डटे थे, जबकि खनौरी में करीब 700 को हिरासत में लिया गया। पटियाला के SSP नानक सिंह ने कहा, "लंबे समय से किसान यहां प्रदर्शन कर रहे थे। ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में चेतावनी के बाद क्षेत्र को खाली कराया गया।" इसके बाद हरियाणा पुलिस ने भी शंभू बॉर्डर पर लगे सीमेंटेड बैरिकेड्स हटाने शुरू कर दिए।
किसान नेताओं पर हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो खनौरी में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे, और सरवन सिंह पंधेर को मोहाली में हिरासत में लिया गया। ये नेता केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद शंभू जा रहे थे। गुरमनीत सिंह मंगत ने बताया कि करीब 200 अन्य किसानों को भी हिरासत में लिया गया। इस कार्रवाई के बाद किसानों ने अमृतसर-दिल्ली हाइवे के टोल प्लाजा पर जमा होकर विरोध जताया।
सरकार का क्या है मानना ?
पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने इस ऐक्शन का बचाव करते हुए कहा कि सड़कें बंद होने से उद्योग और व्यापार को नुकसान हो रहा था। "पंजाब की AAP सरकार किसानों के साथ खड़ी रही, लेकिन उनकी मांगें केंद्र से हैं। सड़कें खोलना जरूरी था ताकि रोजगार के अवसर बढ़ें और युवा ड्रग्स से दूर रहें। वहीं केंद्र सरकार के मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने AAP सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह कार्रवाई केंद्र-किसान बातचीत को बाधित करने की कोशिश है। उन्होंने इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाया कदम करार दिया।
किसान आंदोलन: अब तक का पूरा घटनाक्रम क्या है?
फरवरी 2024: किसानों का दिल्ली मार्च शुरू, शंभू-खनौरी पर रोका गया। हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस और बैरिकेड्स का इस्तेमाल किया। 21 फरवरी को खनौरी में शुभकरण सिंह की मौत हुई।
दिसंबर 2024: 101 किसानों का 'दिल्ली चलो' जत्था फिर रोका गया। डल्लेवाल ने खनौरी में अनशन शुरू किया।
19 मार्च 2025: पंजाब पुलिस ने प्रदर्शन स्थल खाली कराए। इंटरनेट सेवाएं संगरूर, पटियाला और खनौरी के कुछ हिस्सों में रोकी गईं।
सड़कें खुलीं, लेकिन विवाद अभी भी बरकरार
एक साल से बंद शंभू और खनौरी की सड़कों को अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है। हालांकि, किसानों का कहना है कि उनकी मांगें अभी पूरी नहीं हुईं। दूसरी ओर, सरकार इसे आर्थिक जरूरत बता रही है। इस बीच, विपक्षी दलों ने पंजाब सरकार के इस कदम की आलोचना की है। यह आंदोलन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन MSP और अन्य मांगों पर बहस जारी रहने की संभावना है।
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