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Politics News: PM मोदी ने निकाला ‘ट्रंप कार्ड’ का तोड़, अमेरिका के माफ करेंगे दो लाख करोड़!

Politics News: भारत सरकार को समझ आ गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के देशों को जिस टैरिफ चक्रव्यूह में फंसाना चाहते हैं, उससे बाहर निकलना जरूरी है।
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Politics News: भारत सरकार को समझ आ गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के देशों को जिस टैरिफ चक्रव्यूह में फंसाना चाहते हैं, उससे बाहर निकलना जरूरी है। फिर इसके लिए कीमत ही क्यों ना चुकानी पड़े। इसकी वजह भी है। अगर भारत और अन्य राष्ट्र थोड़ी बहुत कीमत नहीं चुकाते तो ट्रंप के टैरिफ का जोखिल उठाना किसी देश के बस की बात नहीं है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार भी ये बात पूरी तरह से समझ गई है। शायद इसलिए ही सरकार अमेरिकी सामानों के टैरिफ को माफ करने में जुट गई है।

23 बिलियन डॉलर का टैरिफ हटाने का प्लान

भारत दोनों देशों के बीच चल रही ट्रेड डील के पहले फेज में 23 बिलियन डॉलर के आधे से अधिक अमेरिकी इंपोर्ट पर टैरिफ में कटौती करने के लिए तैयार है। दो सरकारी सूत्रों ने कहा, यह बीते कई सालों में देखे जाने वाली सबसे बड़ी कटौती है। इसका उद्देश्य पारस्परिक टैरिफ से बचना है। दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पारस्परिक टैरिफ के प्रभाव को कम करना चाहता है। यह 2 अप्रैल से प्रभावी होने वाले हैं। यह एक ऐसा बड़ा खतरा जिसने बाजारों को बाधित किया है और पॉलिसी मेकर्स को परेशान किया।

रॉयटर्स के हवाले से दो सरकारी सूत्रों ने जानकारी देते कहा कि एक इंटरनल ऐनालिसिस में नई दिल्ली ने अनुमान लगाया कि इस तरह के पारस्परिक टैरिफ संयुक्त राज्य अमेरिका को 66 बिलियन डॉलर के उसके कुल निर्यात का 87 फीसदी प्रभावित करेंगे। दोनों सूत्रों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि समझौते के तहत भारत अपने द्वारा इंपोर्ट किए गए 55 फीसदी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कम करने के लिए तैयार है। बता दें कि जिन पर अभी 5 से 30 फीसदी तक टैरिफ लगता है।

भारत का टैरिफ 6 गुना ज्यादा

एक सूत्र ने बताया कि इस कैटेगिरी के सामानों में भारत, अमेरिका से आयातित 23 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के सामानों पर टैरिफ को “काफी हद तक” कम करने या कुछ को पूरी तरह से खत्म करने के लिए तैयार हैं। अभी तक संबंधित मंत्रालय, पीएमओ और संबंधित डिपार्टमेंट की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया। विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल मिलाकर अमेरिका का औसत टैरिफ लगभग 2.2 फीसदी रहा है।

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जबकि, भारत का 12 फीसदी रहा है। भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 45.6 बिलियन डॉलर का है। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एक प्रारंभिक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने और टैरिफ पर अपने गतिरोध को हल करने की दिशा में बातचीत शुरू करने पर सहमति व्यक्त की।

टैरिफ पहले समझौता चाहता है भारत

भारत पारस्परिक टैरिफ की घोषणा से पहले एक समझौता करना चाहता है और दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच मंगलवार से व्यापार वार्ता के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। भारत सरकार के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अमेरिका के आधे से अधिक आयातों पर शुल्क में कटौती पारस्परिक कर से राहत प्राप्त करने पर निर्भर करती है।

अधिकारियों में से एक ने कहा कि शुल्क में कटौती का फैसला आखिरी नहीं था। टैरिफ में व्यापक कटौती के बजाय सेक्टोरल एडजस्टमेंट और उत्पाद-दर-उत्पाद वार्ता जैसे अन्य विकल्पों पर चर्चा की जा रही थी। अधिकारियों में से एक ने कहा ने कि भारत समान रूप से बाधाओं को कम करने के लिए व्यापक टैरिफ सुधार पर भी विचार कर रहा है। लेकिन, ऐसी चर्चाएं शुरुआती फेज में हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत में तुरंत शामिल नहीं हो सकती।

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टैरिफ पर अड़े ट्रंप

भले ही मोदी नवंबर में ट्रंप को उनकी चुनावी जीत पर बधाई देने वाले पहले नेताओं में से थे। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को “टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला” और “टैरिफ किंग” कहना जारी रखा हुआ है। किसी भी देश को टैरिफ से नहीं बख्शने की कसम खाई है। दोनों सोर्सेस ने कहा कि नई दिल्ली ने पारस्परिक कर के कारण मोती, खनिज ईंधन, मशीनरी, बॉयलर और बिजली के उपकरणों जैसी वस्तुओं पर टैरिफ में 6 फीसदी से 10 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को उसके निर्यात का आधा हिस्सा बनाते हैं।

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