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पीएम नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ में डुबकी लगाई, राहुल गांधी का बिहार दौरा... जानिए क्या है ये सियासी रणनीति?

दिल्ली और मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की सियासी रणनीतियों पर एक नज़र। पीएम मोदी के महाकुंभ स्नान और राहुल गांधी के बिहार दौरे के असर को समझिए।
04:12 PM Feb 05, 2025 IST | Girijansh Gopalan
पीएम मोदी पहुंचे महाकुंभ और राहुल गांधी का बिहार दौरा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर उपचुनाव के बीच राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। बीजेपी दिल्ली की सत्ता में 27 साल से चले आ रहे वनवास को खत्म करने की कोशिश में है, वहीं उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर में भी पार्टी की नज़र जीत पर है। इस बीच, पीएम मोदी और राहुल गांधी ने सियासी खेल में अपनी-अपनी चालें चली हैं। जहां पीएम मोदी महाकुंभ में डुबकी लगाकर हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने में जुटे हैं, वहीं राहुल गांधी बिहार में दलितों, ओबीसी और पिछड़े वर्ग के बीच सामाजिक न्याय का संदेश देने के लिए सक्रिय हैं। आइए जानते हैं दोनों नेताओं की सियासी रणनीति के बारे में और कैसे यह चुनावी मुकाबला आगे बढ़ेगा।

महाकुंभ में पीएम मोदी का डुबकी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाकुंभ में संगम स्नान को लेकर सियासी हलकों में काफी चर्चा हो रही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके दोनों डिप्टी सीएम भी पीएम मोदी के साथ संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। यह स्नान न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सियासी नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम मोदी का यह कदम इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान के बीच आया है, जो यह संकेत देता है कि वह हिंदुत्व को फिर से अपने एजेंडे का अहम हिस्सा बनाएंगे। 2014 के बाद से देखा गया है कि चुनाव के दौरान पीएम मोदी धार्मिक स्थलों का दौरा करने से नहीं चूकते।

बता दें कि पिछले कुछ सालों में हर बार जब चुनाव आए हैं, पीएम मोदी ने किसी न किसी धार्मिक स्थल का दौरा किया है, और उसका सियासी असर भी दिखा है। खास बात यह है कि पीएम मोदी ने संगम स्नान के दौरान गंगा माता की पूजा-अर्चना भी की, जिससे यह साबित होता है कि वे अपने समर्थकों को धार्मिक भावना के जरिए जोड़ने में जुटे हैं।विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम मोदी का यह कदम दिल्ली के फ्लोटिंग वोटर्स (जो किसी एक पार्टी के प्रति पूरी तरह से समर्पित नहीं होते) को प्रभावित कर सकता है। दिल्ली चुनाव में ये वोटर्स निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। बीजेपी की रणनीति भी इसी बात पर टिकी हुई है कि वह हिंदुत्व के मुद्दे को एकजुट कर वोटों को अपनी तरफ खींचे।

राहुल गांधी का बिहार दौरा

वहीं दूसरी ओर, राहुल गांधी बिहार में दलित नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती पर शिरकत करने पहुंचे हैं। यह दौरा सियासी तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस दलितों, ओबीसी और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। जगलाल चौधरी बिहार के पासी समाज से ताल्लुक रखते थे, जो राज्य में एक अहम वोट बैंक माने जाते हैं। राहुल गांधी ने इस मौके पर सामाजिक न्याय के मुद्दे को और जोर शोर से उठाने की योजना बनाई है।

राहुल गांधी का बिहार दौरा महज एक सांस्कृतिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले भी लोकसभा में जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे को जोर शोर से उठाया था। अब उनका यह दौरा इस बात का संकेत है कि वे दलित और पिछड़े वर्ग के मुद्दों पर अपनी पार्टी का सियासी आधार फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी और कांग्रेस के सियासी दांव

बीजेपी और कांग्रेस के बीच यह सियासी संघर्ष एक शह-मात के खेल जैसा बन गया है। बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है, जबकि कांग्रेस सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है। बीजेपी का मानना है कि हिंदुत्व की राजनीति के जरिए वह अपने कोर वोटरों को एकजुट कर सकती है, वहीं कांग्रेस की रणनीति दलित और ओबीसी वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की है। दिल्ली चुनाव के संदर्भ में, बीजेपी की पूरी कोशिश यही है कि वह हिंदुत्व के एजेंडे को और मजबूत करे, ताकि पार्टी के पारंपरिक समर्थकों को जोड़कर अधिक से अधिक वोट हासिल किए जा सकें। वहीं राहुल गांधी ने दलितों और पिछड़े वर्ग के बीच अपनी सियासी जमीन को फिर से मजबूत करने के लिए कई बार आरक्षण के 50 फीसदी बैरियर को तोड़ने का वादा किया है। उनका यह बयान यह साबित करता है कि वे सोशल जस्टिस के मुद्दे को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हैं।

दिल्ली और मिल्कीपुर चुनावों के परिणाम पर क्या होगा असर?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम पर महाकुंभ में पीएम मोदी का डुबकी लगाना और बिहार में राहुल गांधी का दौरा दोनों का असर पड़ेगा। बीजेपी का पूरा ध्यान फ्लोटिंग वोटर्स को अपनी तरफ आकर्षित करने पर है। इसके लिए पीएम मोदी का हिंदुत्व का संदेश भी अहम हो सकता है। वहीं राहुल गांधी का सामाजिक न्याय के मुद्दे पर जोर इस बात को दर्शाता है कि वे कांग्रेस को दलित और पिछड़े वर्ग में फिर से मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। दिल्ली के चुनावी माहौल में ये दोनों घटनाएं अपने-अपने तरीके से असर डाल सकती हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति के तहत सियासी गेम खेल रहे हैं, जो भविष्य में चुनाव परिणामों पर बड़ा प्रभाव डालने वाला है।

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