Pigeon Disease: दिल्ली में कबूतरों से बढ़ रही सांस की बीमारियां, नगर निगम ने शुरू की सख्ती
Pigeon Disease: दिल्ली-एनसीआर में कबूतरों को दाना डालना आम बात है, लेकिन अब यही आदत लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कबूतरों की बीट और पंखों से फैलने वाली खतरनाक बैक्टीरियल बीमारी सिटाकोसिस (Psittacosis) तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। यह बीमारी लक्षणों में कोरोना वायरस संक्रमण जैसी ही नजर आती है और समय रहते इलाज न होने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है।
क्या है सिटाकोसिस?
जानकार बताते हैं कि सिटाकोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो क्लैमाइडिया सिटासी नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से कबूतरों की बीट, पंखों और उनके श्वसन स्राव में पाया जाता है। कबूतरों की सूखी बीट और पंखों के कण हवा में उड़ते हैं और सांस के जरिए सीधे मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। शुरुआत में सर्दी-जुकाम और बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह संक्रमण शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है और जानलेवा निमोनिया का रूप ले लेता है।
कोरोना जैसी मिलती-जुलती बीमारी
सिटाकोसिस के लक्षण कोरोना से काफी मिलते-जुलते हैं। मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द, सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान और निमोनिया जैसी समस्या हो सकती है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग, बुजुर्ग और बच्चे इस बीमारी के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। गंभीर मामलों में यह फेफड़ों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाकर एटिपिकल निमोनिया में बदल जाती है, जो जानलेवा हो सकता है।
कबूतरों से जुड़ी अन्य बीमारियां भी बढ़ रही हैं
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अश्विनी गोयल का कहना है कि कबूतरों की बीट और पंखों से केवल सिटाकोसिस ही नहीं, बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियां भी फैल रही हैं। इनमें सबसे खतरनाक है हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस (एचपी), जो फेफड़ों में सूजन और सांस की गंभीर समस्या पैदा करता है।
इसके अलावा, क्रिप्टोकोकोसिस नामक फंगल इंफेक्शन भी फेफड़ों को संक्रमित करता है और इलाज न मिलने पर दिमाग तक पहुंच सकता है। हिस्टोप्लास्मोसिस एक अन्य बीमारी है, जो बुखार, खांसी और सांस लेने में परेशानी का कारण बनती है।
निगम ने बढ़ाई सख्ती, चालान की शुरुआत
समस्या की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली नगर निगम ने सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। गंदगी फैलाने वालों पर चालान किया जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थाई समाधान नहीं है। इसके लिए लोगों को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा और कबूतरों को दाना डालने की आदत छोड़नी होगी।
कैसे करें बचाव?
- डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि इन बीमारियों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करें:
- कबूतरों के सीधे संपर्क में आने से बचें।
- कबूतरों की बीट साफ करते समय मास्क और दस्ताने जरूर पहनें।
- घरों में कबूतरों को घोंसला बनाने से रोकें।
- बच्चों और बुजुर्गों को कबूतरों के पास न जाने दें।
- सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने से बचें।
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