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Pakistani Army Medals: हर जंग में मुंह की खाने वाले पाकिस्तानी सेना अधिकारी सीने पर किस बात के मेडल लटकाकर घूमते हैं?

Pakistani Army Medals: पाकिस्तान एक बार नहीं, कई बार भारत के साथ कई जंग लड़ चुका है। हर बार नतीजा ये ही होता है कि पाकिस्तान को भारत से करारा जवाब मिलता है।
04:20 PM Apr 28, 2025 IST | Pushpendra Trivedi

Pakistani Army Medals: पाकिस्तान एक बार नहीं, कई बार भारत के साथ कई जंग लड़ चुका है। हर बार नतीजा ये ही होता है कि पाकिस्तान को भारत से करारा जवाब मिलता है और पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ता है। सिर्फ भारत ही नहीं, जब भी पाकिस्तान का अन्य देशों से सामना हुआ है तब भी पाकिस्तानी आर्मी को मुंह की खानी पड़ती है। लेकिन, जब भी आपने पाकिस्तानी सेना के अफसर को देखा होगा, तो उनकी वर्दी पर कई मेडल लटके होते हैं। ऐसे में ये सवाल अक्सर पूछा जाता है कि जब पाकिस्तान की सेना को हमेशा हार का सामना ही करना पड़ता है तो फिर सेना के जवान इतने मेडल किस बात के लेकर घूमते हैं। तो जानते हैं पाकिस्तानी आर्मी के इन मेडल की क्या कहानी है?

पाक ने किया हर बार हार का सामना

पाकिस्तान भारत से ही भारत-पाक युद्ध (1947-48), भारत-पाक युद्ध (1965), भारत-पाक युद्ध (1971) और करगिल युद्ध (1999) में हार चुका है। पाकिस्तान को सैन्य हार के साथ कूटनीतिक हार का भी सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि हर देश की आर्मी अपने सेना के जवानों को उनकी सेवा, वीरता आदि को ध्यान में रखते हुए मेडल देती है। जैसे युद्ध में हिस्सा लेने, वीरता, या विशेष ऑपरेशंस में योगदान के लिए मेडल दिए जाते हैं। इसी वजह से हार के बाद भी पाकिस्तान में कई जवानों को मेडल दिया गया।

इसके अलावा सिर्फ युद्ध ही नहीं बल्कि आतंरिक ऑपरेशन के लिए भी मेडल दिए जाते हैं, जैसे पाकिस्तान का ऑपरेशन zarb-e-Azb। हर देश की सेना में मेडल्स और डेकोरेशन एक परंपरा का हिस्सा होते हैं। जिस तरह भारत ने भी कई सालों से कोई जंग नहीं लड़ी है, लेकिन फिर भी सेना की ओर से जवानों को पीस टाइम से जुड़े मेडल दिए जा रहे हैं, ऐसा ही पाकिस्तान में होता है। पाकिस्तानी सेना अपने सैनिकों को 1948, 1965, 1971 की लड़ाई के लिए और इसके अलावा 1970 के बलूचिस्तान में ऑपरेशन, सियाचिन विवाद, शिया इनसर्जेंसी, आंतरिक मामलों को लेकर अवॉर्ड दे चुका है।

इतने तरह के मेडल देता है पाकिस्तान

पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य वीरता पुरस्कार है निशान-ए-हैदर. ये मेडल सिर्फ पाकिस्तान सशस्त्र बलों के सदस्यों को दिया जाता है। यह पुरस्कार असाधारण बहादुरी के सर्वोच्च कार्यों को मान्यता देता है। इसके बाद हिलाल-ए-जुरात, सितारा-ए-जुरात, तमगा-ए-जुरात, इम्तियाजी सनद का नंबर आता है। नॉन ऑपरेशनल अवॉर्ड में सितारा-ए-बिसालत, तमगा-ए-बिसालत, तमगा-ए-खिद्मत क्लास-1, तमगा-ए-खिद्मत क्लास-2, तमगा-ए-खिद्मत क्लास-3 शामिल है। सिविल मिलिट्री अवॉर्ड्स में निशान-ए-इम्तियाज, हिलाल-ए-इम्तियाज, सितारा-ए-इम्तियाज, तमगा-ए-इम्तियाज, तमगा-ए-खिद्मत शामिल है।

भारत से हुए युद्ध के लिए भी मिला है मेडल?

भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंगों में भले ही पाकिस्तान को हार मिली है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से जवानों को सम्मान दिया गया। पाकिस्तान में भारत से हुई जंग को लेकर ये अवॉर्ड मिले हैं।

राजा मुहम्मद सरवर (भारत-पाक युद्ध 1947)
सैफ अली जंजुआ (भारत-पाक युद्ध 1947)
तुफैल मोहम्मद (Indo-Pakistani border skirmishes of 1958)
राजा अजीज भट्टी
मुहम्मद अकरम (भारत-पाक युद्ध 1971)
शब्बीर शरीफ़ (भारत-पाक युद्ध 1971)
मुहम्मद हुसैन (भारत-पाक युद्ध 1971)
मुहम्मद महफ़ूज़ (भारत-पाक युद्ध 1971)
करनाल शेर खान (कारगिल युद्ध)
लालक जान (कारगिल युद्ध)

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