पहलगाम हमले से पहले पहचान के नाम पर हुई थी हैवानियत, कांप उठे जांचकर्ता भी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला न सिर्फ खौफनाक था, बल्कि इसकी जो परतें अब खुल रही हैं, वो इंसानियत को शर्मसार करने वाली हैं। इस हमले में मारे गए 26 लोगों के शवों की जांच के दौरान जो खुलासे हुए, उसने जांच टीम के होश उड़ा दिए। जांच में सामने आया कि करीब 20 शवों के कपड़े अस्त-व्यस्त थे, खासकर निचले हिस्से के। कुछ की पैंट्स की ज़िप खुली हुई थी, कुछ के कपड़े नीचे खींचे गए थे और उनके प्राइवेट पार्ट्स तक दिख रहे थे। ये संकेत थे कि आतंकियों ने उन्हें मारने से पहले उनकी धार्मिक पहचान जांची थी।
धर्म की पहचान के नाम पर क्रूरता
सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने जब इन शवों की जांच की, तो उन्होंने देखा कि मरने वालों में अधिकांश पुरुषों की पहचान हिंदू थी, और उनकी इस पहचान को जानने के लिए आतंकियों ने बेहद दरिंदगी भरा तरीका अपनाया। चश्मदीदों के मुताबिक, आतंकियों ने पीड़ितों से उनके आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज मांगे, कलमा पढ़ने को कहा और उनके निचले कपड़े हटवाए, ताकि वे खतना की जांच कर सकें – यानी यह जानने के लिए कि वे मुसलमान हैं या नहीं। इन "टेस्ट" के बाद जब ये तय हो गया कि वे हिंदू हैं, तो उन्हें करीब से गोली मार दी गई।
डर और सदमे में परिवार, नजरअंदाज हो गई दरिंदगी
शवों की हालत देखकर अधिकारियों को समझ आया कि इस हमले के पीछे केवल मारने का मकसद नहीं था – बल्कि एक खास समुदाय को निशाना बनाना था। परिवार वाले तो गहरे सदमे में थे, उन्हें कपड़ों की स्थिति पर ध्यान देने का मौका ही नहीं मिला, और कर्मचारियों ने भी जल्दी में शवों को वैसे ही कफन में लपेट दिया।
FIR में दर्ज की जा रही है हर बारीकी
जांच टीम ने अब इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है और हर छोटी से छोटी बात को FIR में शामिल किया जा रहा है। उनकी कोशिश है कि कोई भी जानकारी छूटे नहीं – चाहे वह कपड़ों की स्थिति हो, पहचान पत्र की मांग, या धार्मिक प्रार्थना को लेकर की गई पूछताछ। इस घटना में मारे गए 26 लोगों में से 25 हिंदू थे, और सभी पुरुष थे – यह बात अब साफ हो चुकी है।
70 OGWs से पूछताछ, बड़ी साजिश का अंदेशा
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, NIA, IB और RAW की टीमों ने जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में 70 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को पकड़कर पूछताछ शुरू की है। OGWs वो लोग होते हैं जो आतंकियों को छुपने की जगह, खाद्य सामग्री या सूचनाएं देते हैं। शुरुआती जांच में करीब 1,500 संदिग्धों को सूचीबद्ध किया गया था, जिनमें से 70 पर सीधा शक है कि उन्होंने हमले में शामिल आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया।
जल्द पहुंचेगा जांच अपने अंजाम तक
जांच एजेंसियां अब इस हमले के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश में हैं। उनका मानना है कि यह हमला सिर्फ एक जगह तक सीमित नहीं था, बल्कि पूर्व नियोजित और सामूहिक साजिश थी। सरकार ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है और मृतकों के परिवारों को मुआवजा व सहायता देने का वादा किया है। यह हमला सिर्फ गोलियों से नहीं, बल्कि आत्मा को जख्मी करने वाली मानसिकता से किया गया था। जांच जारी है, और उम्मीद है कि जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी – और दोषियों को सज़ा भी।
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