पहलगाम के बाद बारामूला में आतंकी घुसपैठ! एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को किया ढेर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद बारामूला में सुरक्षाबलों ने 23 अप्रैल को घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दो आतंकियों को मार गिराया है। बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा की शाखा TRF ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें अभी तक 26 लोग मारे गए हैं। वहीं सतर्क भारतीय फ़ौज ने बारामूला में ऑपरेशन टिक्का चलाकर 2 आतंकियों को ढेर कर बड़ी संख्या में हथियार बरामद जब्त किए हैं। फ़िलहाल पूरे जम्मू-कश्मीर में फोर्स की छापेमारी तेज है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझें!
बारामूला में सेना का ऑपरेशन टिक्का
23 अप्रैल को बारामूला के उरी नाला (सर्जीवान) में 2-3 आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की। चिनार कॉर्प्स ने X पर बताया कि सतर्क सैनिकों ने गोलीबारी में दो आतंकियों को ढेर किया। AK-47, गोला-बारूद और युद्ध सामग्री भी बरामद हुई है। वहीं सर्च ऑपरेशन जारी है। बता दें कि सेना और J&K पुलिस होटलों, गेस्टहाउस और संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। पहलगाम हमले के बाद यह त्वरित कार्रवाई घाटी में आतंकियों के नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश है।
पहलगाम हमला: रेकी कर किया टूरिस्ट पर हमला
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को 6-8 आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया। 24 भारतीय, 2 विदेशी (UAE, नेपाल) और एक नौसेना अधिकारी मारे गए। आतंकियों ने रेकी कर AK-47 और AK-56 से गोलीबारी की, जब पर्यटक घुड़सवारी कर रहे थे। स्थानीय निवासी सैयद हुसैन शाह ने कहा, “कोई सुरक्षा नहीं थी।” NIA ने जांच शुरू की, जिसमें TRF कमांडर सैफुल्लाह कसूरी और रावलकोट के लश्कर आतंकियों का नाम सामने आया। यह कश्मीर में टूरिस्ट को निशाना बनाने वाला पहला बड़ा हमला है।
अमरनाथ यात्रा पर मंडरा रहे खतरे के बादल?
पहलगाम अमरनाथ यात्रा (3 जुलाई से शुरू) का मुख्य पड़ाव है, जो इसे संवेदनशील बनाता है। 32 किमी दूर अमरनाथ गुफा में हर साल लाखों तीर्थयात्री पहुंचते हैं। हमले की जगह पहलगाम से 4 किमी दूर थी, जहां पर्यटकों की भीड़ रहती है। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने टूरिस्ट स्पॉट की रेकी की थी। सेना और CRPF ने यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बढ़ा दी है, ताकि कोई और घटना न हो।
क्यों अहम है यह घटना?
पहलगाम हमला पर्यटन और अमरनाथ यात्रा की छवि पर चोट है, जिसे आतंकी भय फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। बारामूला में घुसपैठ नाकाम करना सेना की सतर्कता और ताकत दिखाता है। 2019 के पुलवामा हमले (40 CRPF जवान शहीद) के बाद यह सबसे बड़ा हमला है, जिसने घाटी में सुरक्षा पर सवाल उठाए। NIA और सेना की कार्रवाई से क्या TRF का नेटवर्क टूटेगा, या आतंकी नए तरीके अपनाएंगे? यह सवाल अब सबके जेहन में है।
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