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ओवैसी का पाकिस्तान पर गुस्सा: FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग, जानिए क्या है ये लिस्ट!

पहलगाम हमले के बाद ओवैसी ने पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की। जानिए क्या है FATF, ग्रे और ब्लैक लिस्ट, और क्यों है ये मांग!
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पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को गुस्से से भर दिया है। हर कोई, चाहे आम आदमी हो या कोई बड़ा नेता, पाकिस्तान के खिलाफ सख्त एक्शन की मांग कर रहा है। इस हमले से भारत के मुस्लिम समुदाय में भी पड़ोसी मुल्क के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तो हद ही कर दी। उन्होंने भारत सरकार से साफ कह दिया कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में दोबारा डाल देना चाहिए, ताकि उसे सबक मिले। ओवैसी पाकिस्तान के बड़बोले रवैये से भी खासे खफा नजर आए। लेकिन ये FATF की ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट आखिर है क्या? क्यों ओवैसी चाहते हैं कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला जाए? चलिए, इसकी पूरी कहानी आसान भाषा में समझते हैं।

FATF क्या है?

FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो 1989 में बनाया गया था। इसका मकसद है मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग और वैश्विक वित्तीय सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाली गड़बड़ियों से निपटना। इस वक्त FATF के 39 सदस्य हैं, जिनमें यूरोपियन कमीशन और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल जैसे दो क्षेत्रीय संगठन भी शामिल हैं। भारत भी इसका हिस्सा है और FATF कंसल्टेंट्स के साथ-साथ एशिया पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है।

ग्रे लिस्ट का मतलब क्या?

ग्रे लिस्ट का मतलब है कि FATF ने किसी देश को कड़ी निगरानी में रखा है। ये वो देश होते हैं, जिनके आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के इंतजामों में कुछ खामियां होती हैं। FATF इन देशों पर नजर रखता है और इन्हें अपनी कमियों को ठीक करने के लिए कहता है। मार्च 2022 तक 23 देश इस लिस्ट में थे, जिन्हें 'रणनीतिक कमियों वाले देश' कहा जाता है। यानी, इन देशों को चेतावनी दी जाती है कि अगर इंतजाम नहीं सुधरे, तो आगे चलकर हालात और बिगड़ सकते हैं।

ब्लैक लिस्ट से क्या होता है?

ब्लैक लिस्ट वो लिस्ट है, जिसमें उन देशों को डाला जाता है, जिनके आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के इंतजाम बिल्कुल नाकाफी होते हैं। FATF ऐसे देशों को 'हाई रिस्क' मानता है और अपने सभी सदस्य देशों से कहता है कि इनके साथ सावधानी बरतें। ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी इकॉनमी को भारी नुकसान होता है। अभी इस लिस्ट में ईरान, नॉर्थ कोरिया और म्यांमार जैसे देश हैं।

ओवैसी की मांग क्यों?

पहलगाम हमले के बाद ओवैसी का गुस्सा जायज है। उनका कहना है कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है और उसे सबक सिखाने के लिए FATF की ग्रे लिस्ट में डालना जरूरी है। ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान की इकॉनमी पर दबाव पड़ेगा और उसे अपनी हरकतों पर लगाम लगानी पड़ेगी। ओवैसी चाहते हैं कि भारत सरकार इस दिशा में सख्त कदम उठाए, ताकि पाकिस्तान को उसकी करतूतों की कीमत चुकानी पड़े। तो ये थी ओवैसी की मांग और FATF की ग्रे-ब्लैक लिस्ट की कहानी। अब देखना ये है कि भारत सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। आप क्या सोचते हैं, कमेंट में बताइए!

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