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ऑपरेशन रियल कुबेर: मालेगांव से मुंबई, दुबई तक फैली धोखाधड़ी, 255 बैंक अकाउंट्स में हेरफेर

वोट जिहाद मामले में ईडी ने पता लगाया कि देशभर में 255 बैंक अकाउंट्स में से मालेगांव के बैंकों में 144 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हुई थी।
06:01 PM Jan 04, 2025 IST | Vyom Tiwari

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान एक बड़ी साजिश सामने आई है, जिसमें धार्मिक दंगा भड़काने, दो गुटों में तनाव बढ़ाने और एक खास वर्ग के वोटर्स को पैसे देकर वोट दिलवाने की कोशिश की जा रही थी। इस मामले की जांच ईडी, इनकम टैक्स और कई अन्य एजेंसियां कर रही हैं।

ईडी और इनकम टैक्स विभाग इस मामले की जांच "ऑपरेशन रियल कुबेर" के तहत कर रहे हैं। इस ऑपरेशन की शुरुआत नासिक के मालेगांव में दो बैंकों में हुई धोखाधड़ी से हुई थी, जो अब मुम्बई, गुजरात, दुबई, बहरीन और नेपाल तक फैल चुकी है।

255 बैंक अकाउंट्स में 144 करोड़ रुपये हुए ट्रांसफर 

मुंबई आयकर विभाग ने बेनामी लेनदेन का पर्दाफाश किया है। मालेगांव बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आईटी विभाग ने बड़ी कार्रवाई की और फर्जी बैंक खातों का खुलासा किया। इस घोटाले में 125 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन की बात सामने आई है। जांच एजेंसियों ने सिराज अहमद मेनन और मोहम्मद हारून को मुख्य आरोपी बनाया है। ऑपरेशन रियल कुबेर के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है।

ईडी की जांच में सामने आया कि देशभर में कुल 255 बैंक अकाउंट्स में से मालेगांव के बैंकों में 144 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम आई थी। यह रकम कई बेनामी हिंदू नामों के फर्जी पते के प्रमाण पत्र के जरिए इन खातों में जमा कराई गई थी। गिरफ्तार आरोपी सिराज मेमन, जो मालेगांव का व्यापारी है और रेड रोज ट्रेडिंग कंपनी का मालिक था उसकी  कंपनी में इन नामों से जुड़ी कंपनियों से बेनामी रकम ट्रांसफर की गई।

कुल 104 कंपनियां हैं, जिनमें से 95 प्रतिशत कंपनियों के नाम हिंदू नामों पर रखे गए हैं। इनमें से एक कंपनी, जो पकड़े गए आरोपी सिराज मेमन की है, "रेड रोज ट्रेडिंग कंपनी" नाम से है। इस कंपनी में लगभग 16 करोड़ 50 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। भाजपा नेता किरीट सोमैया का कहना है कि अब तक 2 सिंडिकेट पकड़े गए हैं, और जांच के बाद इनकी कुल रकम 2 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, 8 और सिंडिकेट्स हैं, जो देशभर में सक्रिय हैं।

जांच में सामने आई ये 5 बड़ी बातें 

14 फर्जी बैंक खाते खुलवाए गए: आयकर विभाग की जांच में यह सामने आया है   कि सिराज हारून ने सितंबर और अक्टूबर 2024 के बीच 14 फर्जी बैंक खाते खोले थे। इन खातों में कुल 112.7 करोड़ रुपये का क्रेडिट और 111.7 करोड़ रुपये की निकासी की गई।

खाताधारकों को जानकारी नहीं थी: जिन लोगों के नाम पर ये खाते खोले गए, उन्होंने विभाग को बताया कि उन्हें इन खातों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके हस्ताक्षर नकली थे और उन्होंने कभी इन बैंक शाखाओं को विजिट नहीं किया।

हवाला नेटवर्क का खुलासा: जांच में यह भी पता चला कि इन खातों से निकाली गई रकम हवाला नेटवर्क के जरिए महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में भेजी गई। इन फंड ट्रांसफर्स के लिए 21 खातों और 175 बैंक शाखाओं का इस्तेमाल किया गया, जो महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में फैली हुई थीं।

बेनामी संपत्ति की जांच: आयकर विभाग ने चॉइस मार्केटिंग के मालिक प्रतीक जाधव को बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विभाग ने जाधव के बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। जाधव ने आरोप लगाया कि ये खाते सिराज हारून द्वारा खोले और चलाए गए थे।

आरोपियों के बयान बदलना: प्रतीक जाधव ने कहा कि सिराज हारून ने उनके नाम और हस्ताक्षर का इस्तेमाल करके फर्जी खाते खोले। वहीं, सिराज हारून ने अपने बचाव में कहा कि वह इन खातों के असली मालिक नहीं हैं और इन खातों पर नियंत्रण मोनू बापू नाम के व्यक्ति का था। हालांकि, पुलिस और ईडी की जांच में यह साबित हो गया कि मोनू बापू दरअसल सिराज हारून का ही उपनाम है।

विदेशों से मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला के जरिए आये फंड्स

महाराष्ट्र के मालेगांव में कुछ लोग विदेशों से मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला के जरिए फंड्स लाकर उन्हें अलग-अलग बैंकों में जमा करवा रहे थे। इन पैसों का इस्तेमाल महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए किया जा रहा था। अब तक इस मामले में 5 लोगों के नाम सामने आए हैं। इन लोगों में सिराज मेमन, मोहम्मद सफी, महमूद भागड, मोनू बापू शामिल हैं। इसके अलावा, प्रतीक का नाम भी फर्जी बैंक अकाउंट्स खुलवाने में आया है।

बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम (PBPTA) के तहत आयकर विभाग किसी भी संपत्ति के असली मालिक, बेनामीदार और बेनामी संपत्तियों की पहचान करता है। आयकर विभाग ने प्रतीक जाधव को नोटिस भेजा है और उनसे पूछा है कि क्यों न उनकी संपत्तियों को बेनामी घोषित किया जाए। यह मामला आयकर विभाग, मालेगांव पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, जो अब इस वित्तीय घोटाले का पूरा नेटवर्क उजागर करने में लगे हुए हैं।

 

 

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