भारत का 'ऑपरेशन ब्रह्मा' म्यांमार के लिए क्यों अहम है? नाम के पीछे की कहानी
जब म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भयानक भूकंप आया, तो पूरा देश हिल गया। इमारतें गिर गईं, पुल टूट गए और हज़ारों लोग बेघर हो गए। ऐसे मुश्किल वक्त में भारत ने अपने पड़ोसी की मदद के लिए तुरंत कदम बढ़ाया और एक खास नाम के साथ राहत अभियान शुरू किया – 'ऑपरेशन ब्रह्मा'। यह नाम कोई आम नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा मतलब छुपा है। भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए न सिर्फ म्यांमार की मदद की, बल्कि एक बड़ा संदेश भी दिया।
म्यांमार में क्या हुआ?
शुक्रवार को आए भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड में भारी तबाही मचाई। म्यांमार की सरकार के मुताबिक, अब तक 1,644 लोगों की मौत हो चुकी है, 3,408 लोग घायल हैं और 139 लोग लापता हैं। कई इलाकों में बिजली और पानी की सप्लाई बंद हो गई है। सड़कें टूट जाने की वजह से राहत कामों में भी दिक्कत आ रही है। ऐसे में भारत ने तुरंत अपनी सेना और राहत टीमों को म्यांमार भेजकर मदद का हाथ बढ़ाया।
भारत ने क्या किया?
भारत ने म्यांमार की मदद के लिए अपनी वायु सेना और नौसेना को तैनात किया। भारतीय वायु सेना (IAF) के दो सी-130जे विमानों ने 15 टन राहत सामग्री यांगून पहुंचाई। इसके बाद एक और विमान ने 38 एनडीआरएफ कर्मियों और 10 टन सामान को म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ में उतारा।
इसके अलावा, भारतीय नौसेना के जहाज सतपुड़ा, सावित्री, करमुक और एलसीयू 52 भी म्यांमार के लिए रवाना हुए। इन जहाजों पर 52 टन राहत सामग्री लदी है, जिसमें दवाएं, खाने-पीने का सामान, कपड़े और मेडिकल उपकरण शामिल हैं। यह साफ दिखाता है कि भारत ने म्यांमार की मदद के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
'ऑपरेशन ब्रह्मा' नाम क्यों?
इस मिशन का नाम 'ऑपरेशन ब्रह्मा' रखने के पीछे एक खास वजह है। दरअसल हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा को दुनिया का निर्माता माना जाता है। भारत ने इस नाम को चुनकर यह संदेश दिया है कि वह म्यांमार के पुनर्निर्माण में मदद करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं। हम म्यांमार को फिर से खड़ा करने में उसकी मदद कर रहे हैं, इसलिए यह नाम सही है।"
बता दें कि यह नाम सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि भारत की उस सोच को दिखाता है, जिसमें मानवता सबसे ऊपर है। भारत ने पहले भी नेपाल, तुर्की, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में आपदा के समय मदद की है। इस बार भी भारत ने साबित किया कि वह पड़ोसी देशों के साथ खड़ा रहता है।
भारत का बड़ा संदेश
म्यांमार में यह ऑपरेशन सिर्फ राहत कार्य तक सीमित नहीं है। भारत ने इसके जरिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी दिया है। पिछले कुछ सालों में चीन ने म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है। चीन इन देशों में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स लगाकर उन्हें अपने कर्ज में डाल रहा है।
लेकिन भारत ने हमेशा दोस्ती और सहयोग की राह चुनी है। जब भी किसी पड़ोसी देश पर मुसीबत आई, भारत ने बिना किसी स्वार्थ के उसकी मदद की। 2015 में नेपाल (ऑपरेशन मैत्री), 2023 में तुर्की-सीरिया (ऑपरेशन दोस्त) और अब म्यांमार (ऑपरेशन ब्रह्मा) – भारत ने हर बार यही दिखाया है कि वह मानवता को सबसे ऊपर रखता है।
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