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ओडिशा से श्रीलंका होते हुए महाराष्ट्र पहुंचा कछुआ, वैज्ञानिक भी हैरान!

ओलिव रिडले कछुए ने 3500 किमी का सफर तय किया! ओडिशा से श्रीलंका और महाराष्ट्र तक डबल नेस्टिंग की कहानी। जानें कैसे करते हैं कछुए प्रजनन और टैगिंग।
12:10 AM Apr 16, 2025 IST | Girijansh Gopalan

दुनिया का दूसरा सबसे छोटा समुद्री कछुआ, ओलिव रिडले, ने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि वैज्ञानिक भी हैरान हैं। इस कछुए ने डबल प्रजनन के लिए 3500 किलोमीटर का सफर तय किया। साल 2021 में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे टैग किया था और अब पता चला कि 03233 नाम का ये कछुआ ओडिशा से श्रीलंका और फिर वहां से महाराष्ट्र तक पहुंच गया!

डबल नेस्टिंग क्या है?

डबल नेस्टिंग का मतलब है जब मादा कछुआ एक ही प्रजनन सीजन में दो बार अंडे देती है। इसके लिए वो समुद्र तट पर एक खोखला गड्ढा खोदती है, जिसे घोंसला कहते हैं। ये घोंसला अंडों को सुरक्षित रखता है ताकि बच्चे सही सलामत निकल सकें।

कछुओं को कैसे ट्रैक करते हैं?

वैज्ञानिक कछुओं की हरकतों पर नजर रखने और उनकी सुरक्षा के लिए टैगिंग करते हैं। इसके तीन तरीके हैं। पहला, फ्लिपर टैग- इसमें कछुए के पंख पर एक खास कोड वाला टैग लगाया जाता है। दूसरा, पीआईटी टैग- ये कछुए की चमड़ी के नीचे डाला जाता है और स्कैनर से पढ़ा जाता है। तीसरा है सैटेलाइट टैग, जो कछुए के खोल पर लगता है और सैटेलाइट से उसकी लोकेशन ट्रैक की जाती है।

समुद्री कछुए कैसे देते हैं अंडे?

अब सवाल ये कि समुद्र में रहने वाले कछुए अंडे कहां देते हैं? समुद्र में तो घोंसला बनाना मुमकिन नहीं। तो जवाब है- ये कछुए समुद्र में रहते हैं, लेकिन अंडे देने के लिए तट पर आते हैं। यहीं पर वो रेत में घोंसला खोदकर अंडे देते हैं।

सामूहिक घोंसला क्या होता है?

ओलिव रिडले कछुए खास हैं क्योंकि ये सामूहिक घोंसला बनाते हैं। यानी हजारों मादा कछुए एक साथ किसी एक समुद्र तट पर जमा होकर अंडे देती हैं। ये नजारा देखने लायक होता है, जब ढेर सारे कछुए एकसाथ तट पर आते हैं।

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